नास्ति मातृ समो गुरुः यानी माता के समान कोई गुरु नहीं हो सकता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी संस्कृत के इस श्लोक का अक्षरसा पालन करते हैं. इसलिए जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने सभी शिक्षकों का सार्वजनिक रूप से सम्मान करना चाहा. जिन शिक्षकों का सम्मान होना था, उस लिस्ट में PM मोदी की मां हीरा बा का नाम भी था. मां ही नरेंद्र मोदी के जीवन की सबसे बड़ी गुरु थीं. ये बातें PM मोदी ने मां पर लिखे अपने ब्लॉग में बताई हैं.
पीएम मोदी ने मां हीरा बा से कार्यक्रम में आने का अनुरोध किया. लेकिन उन्होंने मना कर दिया. हीरा बा ने कहा, 'मैं एक साधारण व्यक्ति हूं. मैंने तुम्हें जन्म दिया, लेकिन सर्वशक्तिमान ईश्वर ने तुम्हें पाला और सिखाया है.' उस दिन पीएम मोदी के सभी शिक्षकों का सम्मान किया गया. पीएम मोदी जब हीरा बा से कार्यक्रम में आने की गुजारिश कर रहे थे, तब उन्होंने पूछा था कि क्या इस कार्यक्रम में स्थानीय शिक्षक जेठाभाई जोशी के परिवार से भी किसी को भी बुलाया गया है?
दरअसल, जेठाभाई जोशी ने ही पीएम मोदी को प्रारंभिक शिक्षा दी थी. हीरा बा जानती थीं कि जेठाभाई इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उन्हें इस बात की चिंता थी कि जेठाभाई के परिवार से भी किसी को कार्यक्रम में बुलाया जाए. हालांकि, हीरा बा कार्यक्रम में नहीं गई थीं. हीरा बा ने पीएम मोदी को यह अहसास कराया था कि औपचारिक शिक्षा लिए बिना भी चीजें सीखी जा सकती हैं.
कर्तव्यों के प्रति हीरा बा हमेशा जागरूक रहीं
हीरा बा की विचार प्रक्रिया और दूरदर्शी सोच ने पीएम मोदी को हमेशा हैरान किया. एक आदर्श नागरिक के रूप में हीरा बा अपने कर्तव्यों के प्रति हमेशा जागरूक रहीं. चुनाव की शुरुआत से ही उन्होंने पंचायत से लेकर संसद तक हर चुनाव में मतदान किया. कुछ दिन पहले वे गांधीनगर नगर निगम चुनाव में वोट डालने भी गईं थीं.
मां हीरा बा से जुड़ी एक और घटना को याद करते हुए पीएम मोदी बताते हैं कि मां (हीरा बा) पानी में डूबा हुआ पुराना कागज और इमली के बीज से गोंद जैसा पेस्ट बनाती थीं. इस लेप से वो दीवारों पर शीशे के टुकड़े चिपकाकर सुंदर चित्र बनाती थीं. दरवाजे पर टांगने के लिए वह बाजार से छोटे-छोटे सजावटी सामान मंगवा लेती थीं.
पीएम मोदी बताते हैं कि मां अक्सर मुझसे कहती थीं कि मुझे कुछ नहीं हो सकता, क्योंकि मुझ पर जनता और ऊपरवाले दोनों का आशीर्वाद है. वह मुझे याद दिलाती थीं कि यदि मैं लोगों की सेवा करना जारी रखना चाहता हूं तो एक स्वस्थ जीवन शैली का नेतृत्व करना जरूरी होगा. मैंने जीवन में मां को कभी किसी बात की शिकायत करते नहीं सुना. ना वो किसी से शिकायत करती थीं और ना ही किसी से कोई उम्मीद रखती थीं.
अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती थीं
पीएम की मां हीरा बा को मंगलवार को अचानक से सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी. इसके अलावा उन्हें कफ की शिकायत भी थी. इसके बाद उन्हें आनन-फानन में अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल के कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती करा दिया गया था. डॉक्टरों ने उनकी मां का एमआरआई और सीटी स्कैन किया था. गुरुवार को अस्पताल की ओर से बयान जारी कर बताया गया था कि उनकी तबीयत में सुधार है. लेकिन शुक्रवार सुबह 3.30 बजे उनका निधन हो गया.
PM मोदी पहुंचे थे अस्पताल
इससे पहले बुधवार को शाम 4 बजे पीएम नरेंद्र मोदी भी उनसे मिलने अस्पताल गए थे. यहां वह करीब डेढ़ घंटे उनके साथ रहे थे. डॉक्टरों से उनका हाल जाना था. इसके बाद वह दिल्ली रवाना हो गए थे. पीएम से पहले उनके भाई सोमाभाई के अलावा गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल और स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल हीरा बा का हाल चाल जानने के लिए अस्पताल पहुंचे थे.
100 साल की थीं हीरा बा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा जून में ही 100 साल की हुई थीं. हीरा बा के 100वें जन्मदिन पर पीएम मोदी गांधीनगर में उनसे मिलने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने मां हीरा बा का आशीर्वाद लिया था और उनकी पूजा-अर्चना भी की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मां के पैर पखारे और गिफ्ट में शॉल दी थी.