प्रियंका गांधी कांग्रेस की तरफ से वायनाड संसदीय सीट से यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) की उम्मीदवार घोषित की गई हैं. प्रियंका ने चुनाव में पदार्पण और वादों पर आजतक से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि मैं जनता से किया हुआ वादा पूरा करूंगी. मेरा वादा है कि मैं कड़ी मेहनत करूंगी और जनता के साथ खड़ी रहूंगी. मैं संसद और अन्य सभी मंचों पर उनकी आवाज उठाऊंगी.
'वायनाड से पारिवारिक रिश्ता, जीवन भर सम्मान करेंगे'
वामपंथी और भाजपा के इस आरोप पर कि वायनाड को पारिवारिक गढ़ में बदला जा रहा है, इसका क्या मतलब है? इस सवाल के जवाब में प्रियंका ने कहा कि यह सही नहीं है कि गांधी परिवार के सदस्यों ने केवल अमेठी और रायबरेली का प्रतिनिधित्व किया है. अभी भी अमेठी का प्रतिनिधित्व केएल शर्मा कर रहे हैं. मेरे भाई का वायनाड से रिश्ता राजनीति से परे है. उनके लिए, जब सभी ने उनसे मुंह मोड़ लिया, तो वे उनके साथ खड़े रहे. यह ऐसी चीज है जिसका हमारा पूरा परिवार जीवन भर आभारी रहेगा. इसलिए अगर इसका मतलब पारिवारिक रिश्ता है, तो हां, वायनाड के साथ हमारा पारिवारिक रिश्ता है और मैं जीवन भर इसका सम्मान करूंगी.
आपदा आने पर राजनीति न करें, वायनाड को मदद मिले
प्रियंका गांधी ने कहा कि वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के लिए पैकेज की मांग की गई थी, लेकिन केंद्र ने अभी तक नहीं दिया है. उन्होंने कहा, सबसे दुखद बात यह है कि केंद्र सरकार राजनीति कर रही है. मैंने हिमाचल प्रदेश में ऐसा होते देखा है. अब वायनाड में भी. आपदा आने पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. दुर्भाग्य से मैंने पहले भी ऐसा होते देखा है और अब भी. मैं यह सुनिश्चित करने के लिए काम करूंगी कि उन्हें वह मिले जिसकी उन्हें जरूरत है. यही एक समय है जब हम उम्मीद करते हैं कि मदद मिलेगी. मैं अपनी आवाज सबसे ऊंची उठाऊंगी और उन्हें इस हद तक शर्मिंदा करूंगी कि वायनाड को मदद दें.
गौरतलब है कि वायनाड संसदीय क्षेत्र तीन जिलों- वायनाड, मलप्पुरम और कोझिकोड में फैली है. इसमें कुल सात विधानसभा क्षेत्र - कलपेट्टा, सुल्तान बथरी, मनंथवडी (वायनाड), तिरुवम्बडी (कोझिकोड), एरणाड, वंडूर और नीलांबुर (मलप्पुरम) शामिल हैं.
प्रियंका के जरिए कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद
प्रियंका गांधी वाड्रा की उम्मीदवारी के पीछे कांग्रेस की यह उम्मीद है कि उनकी लोकप्रियता और प्रभावशाली व्यक्तित्व से वायनाड में कांग्रेस को बेहतर परिणाम मिलेगा. हालांकि, उन्हें सीपीआईएम और अन्य क्षेत्रीय दलों से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है. कांग्रेस का मानना है कि प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी से उन्हें आत्मीयता और विश्वास मिलेगा, जिससे वे इस बार पहले से भी अधिक मत से जीत हासिल करेगी.