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Inside story: अंबिका सोनी ने ठुकराई CM की कुर्सी, कांग्रेस हाईकमान क्यों देना चाहता था पंजाब की कमान?

कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद पंजाब का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इसे लेकर अभी तक कुछ तय नहीं हुआ है. कांग्रेस आलाकमान ने अंबिका सोनी के नाम पर सहमति जताई थी, लेकिन अंबिका सोनी ने मुख्यमंत्री का पद संभालने से मना कर दिया है.

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अंबिका सोनी को राजनीति में 50 साल से ज्यादा का अनुभव है. (फाइल फोटो)
अंबिका सोनी को राजनीति में 50 साल से ज्यादा का अनुभव है. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अंबिका सोनी ने ठुकराया सीएम पद का ऑफर
  • बोलीं- पंजाब में सिख ही होना चाहिए मुख्यमंत्री

कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) के इस्तीफे के बाद पंजाब के अगले मुख्यमंत्री के रूप में अंबिका सोनी (Ambika Soni) का नाम सबसे आगे चल रहा था. कांग्रेस हाईकमान भी उनके हाथों में ही पंजाब की कमान सौंपना चाहता है. अंबिका सोनी करीब 50 सालों से राजनीति में हैं. हालांकि, बताया जा रहा है कि अंबिका सोनी ने मुख्यमंत्री बनने से इनकार कर दिया है. लेकिन ऐसा क्यों हुआ?

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दरअसल, कैप्टन अमरिंदर के इस्तीफे के बाद दो नाम सबसे आगे चल रहे थे. इनमें एक नाम था अंबिका सोनी और दूसरा नाम था सुनील जाखड़ का. बताया जा रहा है कि सिद्धू खेमे की ओर से सुनील जाखड़ के नाम पर आपत्ति जताई गई, जिसके बाद अंबिका सोनी का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय हो गया था. हालांकि, उन्होंने सीएम का पद ठुकरा दिया है.

अंबिका सोनी ने बताया ये कारण

सूत्रों ने बताया कि अंबिका सोनी ने कांग्रेस आलाकमान को मुख्यमंत्री बनने से ये कहते हुए इनकार कर दिया है कि वो इस वक्त मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहतीं. अंबिका सोनी खत्री हिंदू हैं और उन्होंने सिख को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही है. उनका कहना है कि पंजाब में सिख नहीं होगा तो और कौन होगा. अंबिका सोनी ने ये भी कहा है कि वो पार्टी की लॉयल हैं और सम्मान करती हैं, लेकिन वो मुख्यमंत्री पद नहीं संभालना चाहतीं. 

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बताया ये भी जा रहा है कि पार्टी के सीनियर नेताओं ने अंबिका सोनी को सीएम पद संभालने के लिए बार-बार कहा. उनसे कहा गया कि उनके नाम पर आसानी से सहमति बन जाएगी, लेकिन अंबिका सोनी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. फिलहाल अंबिका सोनी दिल्ली में ही हैं और चंडीगढ़ नहीं जा रही हैं.

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अंबिका सोनी का नाम ही क्यों था सबसे आगे?

कैप्टन अमरिंदर ने भले ही इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अभी भी पंजाब कांग्रेस में जारी तनाव कम होता दिखाई नहीं दे रहा है. ऐसे में अंबिका सोनी सबसे सटीक नाम थी. माना जाता है कि अंबिका पंजाब में सिद्धू कैंप और कैप्टन कैंप के बीच बैलेंस स्थापित करने में भी कामयाब रहतीं.

इसके अलावा अंबिका सोनी इसलिए भी मजबूत थीं, क्योंकि उनका न सिर्फ सियासी करियर 50 साल से ज्यादा का है, बल्कि वो गांधी परिवार की हर पीढ़ी से जुड़ी रही हैं. इंदिरा गांधी उन्हें राजनीति में लेकर आई थीं. संजय गांधी के साथ उन्होंने काम किया. राजीव गांधी और सोनिया गांधी के साथ भी काम किया. 

अंबिका सोनी एक ऐसी उम्मीदवार थीं जो कैप्टन को तो संभाल ही सकती थीं, साथ ही सिद्धू को भी उनसे कोई परेशानी नहीं होती. इसके अलावा अंबिका सोनी एक हिंदू हैं और नवजोत सिंह सिद्धू सिख हैं, तो इससे पंजाब में सिख-हिंदू का कॉम्बिनेशन बन जाता. लिहाजा इससे पंजाब के हिंदू वोटर को भी साधने में मदद मिलती.

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