फ्रेंच मीडिया में राफेल डील के लिए 'कमीशन' देने के खुलासे के बाद सियासत तेज हो गई है. मंगलवार को बीजेपी ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि ये 'कमीशन' यूपीए सरकार में दिया गया था. इसके साथ ही बीजेपी ने ये भी कहा कि इंडियन नेशनल कांग्रेस का नाम 'आई नीड कमीशन' होना चाहिए.
पलटवार करते हुए कांग्रेस ने सवाल किया कि फ्रेंच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सीबीआई और ईडी के पास 2018 से इस बात की जानकारी थी कि दसॉ एविएशन ने बिचौलिए को कमीशन दिया है, उसके बाद भी मोदी सरकार ने जांच शुरू क्यों नहीं की और आरोपी को क्यों बचाया? कांग्रेस ने इस मामले की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग दोहराई.
मंगलवार को बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वो लगातार राफेल की खरीद को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ झूठ फैलाते रहे. पात्रा ने कहा कि फ्रेंच मीडिया ने दावा किया है कि ये कमीशन 2007 से 2012 के बीच दिया गया था, इसलिए राहुल को इस पर जवाब देना चाहिए.
वहीं, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि जब सत्य साथ है तो फिक्र की क्या बात है. उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि 'भ्रष्ट केंद्र सरकार' के खिलाफ ऐसे ही लड़ते रहो.
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि राफेल मामले में जेपीसी जांच ही इन सारे सवालों का जवाब होगा. उन्होंने कहा कि सरकार जांच से क्यों भाग रही है? ये पूरा साफ है कि अब इस मामले में जेपीसी जांच की जरूरत है, जिसकी मांग हम सरकार से कर रहे हैं.
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संबित पात्रा ने कहा था कि कौन कहता है कि भ्रष्टाचार का पता नहीं होता है. भ्रष्टाचार का पता है 10 जनपथ. जब से बीजेपी आई है तब से भ्रष्टाचार बेघर हो गया है और गांधी परिवार बेबस हो गया है और इस बेबसी का आलम हमने देखा है. उन्होंने कहा कि फ्रेंच मीडिया की रिपोर्ट की साफ है कि इस सबके पीछे गांधी परिवार का हाथ था. पात्रा ने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, रॉबर्ट वाड्रा...सभी को कमीशन चाहिए और इन्होंने भ्रष्टाचार के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए.
फ्रेंच पब्लिकेशन 'मीडियापार्ट' ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि राफेल डील के लिए दसॉ एविएशन ने सुशेन गुप्ता नाम के बिचौलिए को 2007 से 2012 के बीच 7.5 मिलियन यूरो (करीब 65 करोड़ रुपये) का कमीशन दिया था. रिपोर्ट में ये भी दावा है कि इस कमीशन के बारे में सीबीआई और ईडी को भी जानकारी थी, लेकिन उसके बावजूद कोई जांच शुरू नहीं की गई.
मोदी सरकार ने 23 सितंबर 2016 को फ्रांस की दसॉ एविएशन के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की डील की थी. वहीं, यूपीए सरकार में 126 लड़ाकू विमान खरीदने की बात तय हुई थी.
इस पूरे मामले में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी सरकार को घेरते हुए कहा कि बात सिर्फ 60 या 80 करोड़ रुपये के कमीशन की नहीं है, बल्कि ये सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है. उन्होंने कहा कि नए खुलासे से राफेल भ्रष्ट्राचार को दफनाने के लिए मोदी सरकार, सीबीआई और ईडी के बीच सांठगांठ का पता चलता है.