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कोरे कागज पर लालू यादव को इस्तीफा लिखकर 3 दिन बाद दुनिया से विदा हो गए रघुवंश बाबू

10 सितंबर को रघुवंश प्रसाद सिंह ने एम्स के वार्ड से बिना लेटर हेड वाले एक कोरे कागज पर, जिसमें कि रघुवंश प्रसाद सिंह का परिचय भी नहीं था, लालू यादव को अपने हाथों से एक चिट्ठी लिखी और आरजेडी से मुक्त होने की घोषणा कर दी.

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रघुवंश प्रसाद सिंह (फाइल फोटो)
रघुवंश प्रसाद सिंह (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इस्तीफा देने के 3 दिन बाद चल बसे रघुवंश प्रसाद
  • लालू यादव ने नहीं स्वीकार किया इस्तीफा
  • 50 शब्दों में समेट दी 32 सालों की राजनीतिक यात्रा

कौन जानता था जिस कोरे कागज पर रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू यादव को अपना इस्तीफा लिख भेजा था वो उनका आखिरी सार्वजनिक संवाद होगा. दिल्ली के एम्स से बिस्तर पर लेटे-लेटे रघुवंश बाबू ने लगभग 50 शब्दों में आरजेडी के साथ अपनी यात्रा की समाप्ति की घोषणा कर दी. मात्र 3 दिनों के बाद वे इस दुनिया से विदा ले गए. 

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भारत में लोक कल्याणकारी योजना मनरेगा के जनक कहे जाने वाले रघुवंश बाबू पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. दिल्ली के एम्स में उनका इलाज चल रहा था. जनता दल और बाद में राष्ट्रीय जनता दल के जिस बैनर तले रघुवंश बाबू ने समाजवाद का प्रयोग किया, जीवन के आखिरी दिनों में उस छांव में उनको ठौर मिलनी मुश्किल हो गई थी. 

तेजस्वी के तेज मिजाज से नहीं छनी 

लालू यादव चारा घोटाले में जेल में सजा काट रहे थे और आरजेडी की कमान तेजस्वी के हाथों में थी. खांटी समाजवादी रघुवंश प्रसाद सिंह की तेजस्वी यादव की तेज मिजाज पॉलिटिक्स से छन नहीं रहती थी और इसे लेकर रघुवंश बाबू दुखी रहते थे. कई एक बार सार्वजनिक मंचों पर उन्होंने अपनी इस कुंठा को जाहिर किया था.

लेकिन पार्टी में उनकी नहीं सुनी गई. कई बार उनकी आवाज पटना से होकर रांची के कारागर तक पहुंची भी पर इस पर अमल नहीं किया गया.

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इसे दैवीय हस्तक्षेप कहें या फिर नियति का रचा विधान कि रघुवंश बाबू आरजेडी से अंतिम दिनों में अलग होना चाह रहे थे. 

...बड़ा स्नेह दिया, लेकिन मुझे क्षमा करें

10 सितंबर को रघुवंश बाबू ने एम्स के वार्ड से बिना लेटर हेड वाले एक कोरे कागज पर, जिसमें कि रघुवंश प्रसाद सिंह का परिचय भी नहीं था, लालू यादव को अपने हाथों से एक चिट्ठी लिखी और आरजेडी से मुक्त होने की घोषणा कर दी. रघुवंश बाबू ने लिखा, "सेवा में राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय, रिम्स अस्पताल रांची,  जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक आपके पीछे खड़ा रहा लेकिन अब नहीं. पार्टी, नेता, कार्यकर्ता और आमजन ने बड़ा स्नेह दिया, लेकिन मुझे क्षमा करें. रघुवंश प्रसाद सिंह."

रघुवंश प्रसाद सिंह का इस्तीफा पत्र

रघुवंश बाबू ने 2 पंक्तियों के इस पत्र में अपनी सारी यात्रा का सार, अपनी पीड़ा, पार्टी में अपनी उपेक्षा लिख दी. रांची में लालू यादव तक जब ये चिट्ठी पहुंची तो वे हतप्रभ रह गए.

आप कहीं नहीं जा रहे हैं...समझ लीजिए

 लालू ने उनका इस्तीफा तुरंत खारिज कर दिया. लालू ने कहा कि 'प्रिय रघुवंश बाबू, आपके द्वारा कथित तौर पर लिखी एक चिट्ठी मीडिया में चलाई जा रही है, मुझे वो विश्वास ही नहीं होता. अभी मेरे और मेरे परिवार के साथ ही राजद परिवार भी आपको स्वस्थ होकर अपने बीच देखना चाहता है. चार दशकों में हमने हर राजनीतिक, सामाजिक और यहां तक कि पारिवारिक में मिल बैठकर विचार किया है. आप जल्द स्वस्थ हों, फिर बैठ के बात करेंगे. आप कहीं नहीं जा रहे हैं. समझ लीजिए. आपका, लालू प्रसाद.

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रघुवंश प्रसाद को लालू यादव का जवाबी पत्र

लालू की अपील शायद रघुवंश बाबू मान गए हों, लेकिन नियति को ये मंजूर नहीं था. रघुवंश प्रसाद सिंह लालू के पत्र का जवाब दिए बिना अनंत यात्रा पर निकल गए. 

 

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