कन्याकुमारी से कश्मीर तक के लिए चल रही कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' अब अपने मंजिल के करीब है. राहुल गांधी 30 जनवरी को श्रीनगर में तिरंगा फहराएंगे. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 'भारत जोड़ो यात्रा' के समापन कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए समान विचाराधारा वाले 21 विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है, लेकिन अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से लेकर केसीआर की बीआरएस और एचडी देवगौड़ा की जेडीएस सहित कई विपक्षी दलों को न्योता नहीं भेजा गया है. ऐसे में आखिर क्या वजह रही, जिसके चलते कांग्रेस विपक्ष के इन सात विपक्षी दलों से दूरी बनाए रखना चाहती है?
कांग्रेस ने इन 21 दलों को भेजा आमंत्रण
कांग्रेस 'भारत जोड़ो यात्रा' के समापन कार्यक्रम के जरिए विपक्षी एकजुटता का संदेश देना चाहती है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने समान विचारधारा वाले 21 दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है. खड़गे ने टीएमसी चीफ ममता बनर्जी, जेएमएम के हेमंत सोरेन, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीम मायावती, आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव, शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन, टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू, नेशनल कॉफ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती जैसे विपक्षी नेताओं को न्योता भेजा है. इस तरह से HAM के जीतनराम मांझी, सीपीआई, आरएसपी, आरएलएसपी, एमडीएमके, वीसीके, आरएलडी, आइयूएमएल और केएसएस के नेताओं को भी बुलाया गया है.
विपक्ष के 7 दलों के नेताओं को न्योता नहीं
कांग्रेस ने विपक्ष खेमे के 21 दलों को भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के केसीआर की बीआरएस, एआईयूडीएफ के मौलाना बदरुद्दीन अजमल और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को शिरकत करने के लिए नहीं बुलाया गया. इसके अलावा विपक्ष के शिरोमणि अकाली दल, बीजेडी, आईएसआर कांग्रेस और गुलाम नबी आजाद की पार्टी को भी न्योता नहीं दिया गया है.
केजरीवाल से केसीआर तक क्यों नहीं बुलाया?
तेलंगाना में राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही केसीआर को सत्ता से बाहर करने का बिगुल बजा दिया था. कांग्रेस और केसीआर एक दूसरे के खिलाफ तेलंगाना में लड़ रहे हैं, जिसके चलते केसीआर गैर-कांग्रेसी दलों के साथ विपक्षी एकता बनाने की मुहिम में जुटे हैं. केसीआर मकर संक्रांति के बाद एक रैली कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने केजरीवाल, अखिलेश, ममता बनर्जी को बुलाया है, लेकिन कांग्रेस और उससे जुड़े हुए दलों को न्योता नहीं भेजा. नीतीश कुमार को भी नहीं बुलाया है. ऐसे में कांग्रेस भी केसीआर को अपने विपक्षी एकता से बाहर रख रही है. इसी के मद्देनजर कांग्रेस ने यात्रा के समापन कार्यक्रम में केसीआर को न्योता नहीं भेजा.
कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को भी यात्रा के समापन कार्यक्रम में नहीं बुलाया है, जबकि संसद के बीते शीत सत्र में सरकार की घेराबंदी के लिए नेता विपक्ष के नाते खड़गे की बुलाई बैठक में आम आदमी पार्टी शामिल हुई थी. गुजरात चुनाव के बाद कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल की पार्टी को लेकर स्टैंड बदला है. केजरीवाल 2024 के लोकसभा चुनाव में खुद पीएम नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं और एक के बाद एक राज्य में कांग्रेस की जमीन कब्जाते जा रहे हैं. ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा के सबसे बड़े विपक्षी शो के मंच पर कांग्रेस ने केजरीवाल को न बुलाकर अपना स्टैंड साफ कर दिया है.
जेडीएस-अकाली से भी बनाई दूरी
कर्नाटक में इसी साल अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस कर्नाटक में अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है और जेडीएस को अलग-थलग रखने की कवायद कर रही है. ऐसे में जेडीएस को कांग्रेस बीजेपी की बी-टीम साबित करने में जुटी है. जेडीएस भी कर्नाटक में राहुल की यात्रा में शामिल नहीं हुई थी और अब कांग्रेस भी उसी विपक्षी एकता के शो से बाहर रखने के चलते इन नेताओं को नहीं बुलाया है. पंजाब में अकाली दल और कांग्रेस एक दूसरे के विरोधी है. लंबे समय तक इन्हीं दोनों दलों के बीच चुनावी मुकाबला होता रहा है. अकाली हमेशा से कांग्रेस विरोधी गुट में रही है. कांग्रेस अकाली दल को साथ लेकर अब उसे दोबारा से उभरने का मौका नहीं देना चाहती है. इसीलिए वह अकाली और जेडीएस से दूरी बनाए रखने की कवायद कर रही है.
ओवैसी और अजमल से किया किनारा
कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी एक दूसरे को फूटी आंख नहीं देखना चाहते हैं. औवेसी के खिलाफ कांग्रेस लंबे अर्से से मुखर है और उन्हें बीजेपी की बी-टीम बताती रही है. इसी तरह असम विधानसभा चुनाव में बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन से हुए नुकसान के बाद कांग्रेस उनसे दूरी बनाने में ही भलाई समझ रही है. कांग्रेस मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि अजमल का अब यूपीए से कोई लेना-देना नहीं है. वो बीजेपी के माउथपीस हैं और उन्होंने हिमंत बिस्वा सरमा के साथ सांठ-गांठ कर रखी है. इस तरह से असदुद्दीन ओवैसी से लगातार दूरी रख रही कांग्रेस का उनको न्योता नहीं भेजना स्वाभाविक है और बदरूद्दीन अजमल को भी कांग्रेस ने विपक्षी गोलबंदी की अपनी सूची से बाहर रखा है.
बीजेडी-वाइएसआर कांग्रेस को न्योता नहीं
कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम में नवीन पटनायक की बीजेडी और जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस को भी न्योता नहीं दिया. दोनों ही दल विपक्षी खेमे में जरूर है, लेकिन कांग्रेस से दूरी बनाए रखते हैं तो कई मौके पर एनडीए के समर्थन में खड़े नजर आते हैं. कांग्रेस ने समान विचाराधारा वाले दलों को बुलाया है, जिसके चलते बीजेजी और वाईएसआर को न्योता नहीं दिया. इस तरह से जम्मू-कश्मीर में कई विपक्षी दलों को कांग्रेस ने राहुल गांधी की यात्रा में बुलाया है, लेकिन कांग्रेस से अलग होकर पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद को न्योता नहीं दिया गया है.
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस को छोड़ते समय पत्र लिखा था, जिसमें राहुल गांधी और सोनिया गांधी को लेकर निशाना साधा था, उसके चलते कांग्रेस अब उन्हें तवज्जो देने के मूड में नहीं है. पिछले दिनों गुलाम नबी आजाद की पार्टी के तमाम नेताओं की कांग्रेस में घर वापसी कराई गई है. इसके लिए कांग्रेस ने उन्हें भारत जोड़ा यात्रा में निमंत्रण नहीं दिया है. इस तरह से कांग्रेस ने अपनी मंशा साफ कर दी है. वहीं, कांग्रेस ने शरद यादव जैसे नेताओं को बुलाकर भी सियासी संदेश देने की कवायद की है.
जयराम रमेश ने ट्वीट कर 21 समान विचाराधारा वाले दलों के अध्यक्षों को मल्लिकार्जन खड़गे की ओर से भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दिए गए न्योता भेजा है. खड़गे ने इन नेताओं से कहा है कि उनकी उपस्थिति यात्रा के सत्य, करुणा और अहिंसा के संदेश को मजबूत करेगी. कश्मीर के श्रीनगर में 30 जनवरी को भारत जोड़ो यात्रा का समापन महात्मा गांधी की स्मृति को समर्पित है, जिन्होंने इसी दिन नफरत और हिंसा की विचाराधारा के खिलाफ अथक संघर्ष करते हुए अपने जीवन का बलिदान किया. खड़गे ने अपने न्योते में कहा है कि इस समय जब देश में लोगों को मुद्दों से ध्यान व्यवस्थित रूप से हटाया जा रहा है तब भारत जोड़ो यात्रा एक शक्तिशाली आवाज के रूप में उभरी है. इन नेताओं की भागीदारी से मजबूत संदेश जाएगा.