कांग्रेस के सियासी जनाधार को दोबारा से हासिल करने के लिए राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं. कांग्रेस के इस यात्र की शुरुआत दक्षिण भारत के कन्याकुमारी से हुई, जो कश्मीर में जाकर समाप्त होगी. दक्षिण भारत के राज्यों से गुजरते हुए राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का रुख अब हिंदी हार्टलैंड की तरफ बढ़ने लगा है. राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' बुधवार को महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश में प्रवेश करेगी, जहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वेलकम करेंगी.
भारत जोड़ो यात्रा का हिंदी पट्टी वाले राज्य में भी दक्षिण भारत की तरह माहौल को बनाए रखना कांग्रेस के लिए किसी 'अग्निपथ' से कम नहीं है. ऐसे में राहुल गांधी के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए प्रियंका गांधी 'भारत जोड़ो यात्रा' में शिरकत करेंगी. बुधवार से मध्य प्रदेश में चार दिनों तक प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल के साथ पदयात्रा करेंगी. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि बुधवार को यात्रा बुरहानपुर के पास मध्य प्रदेश में प्रवेश करेगी, जहां प्रियंका गांधी जुड़ेंगी.
हिंदी बेल्ट कांग्रेस के लिए चुनौती
बता दें कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक के लिए लगभग 3570 किलोमीटर की भारत जोड़ो यात्रा का आगाज सात सितंबर को हुआ था. राहुल गांधी लगातार पैदल चल रहे हैं, लेकिन अभी तक प्रियंका गांधी ने शिरकत नहीं की थी. जबकि उनकी मां सोनिया गांधी कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुईं थीं. हालांकि, 'भारत जोड़ो यात्रा' की असल परीक्षा अब हिंदी बेल्ट वाले राज्यों में होनी है, जिसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से हो रही है.
दक्षिण भारत के मुकाबले उत्तर भारत और खासकर हिंदू पट्टी वाले राज्य में कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा चुनौती है. महाराष्ट्र के रास्ते होते हुए 'भारत जोड़ो यात्रा' बुधवार को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में एंट्री करेगी. मध्य प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते भारत जोड़ो यात्रा को कांग्रेस सफल बनाना चाहती है ताकि 2023 के चुनाव में इसका फायदा भी उठाया जा सके. इसी के मद्देनजर प्रियंका गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में एंट्री मध्य प्रदेश में हो रही है, जिसके सियासी मायने को भी समझा जा सकता है.
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्य प्रदेश के जरिए हिंदी पट्टी वाले इलाके में प्रवेश कर रही. यही वह क्षेत्र है जहां कांग्रेस के लिए वापस जड़ें जमाना मुश्किल हो रहा है. हालांकि, कांग्रेस चार साल पहले मध्य प्रदेश की चुनावी जंग जीतकर 15 साल से जमी बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया था, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते कांग्रेस को सत्ता गंवाना पड़ी थी. ऐसे में अगले साल विधानसभा चुनाव है, जहां कांग्रेस को अपनी वापसी की काफी उम्मीदें है. इसीलिए कांग्रेस किसी तरह की कोई गुंजाइश मध्य प्रदेश में राहुल गांधी की यात्रा में नहीं छोड़ना चाहती है.
13 दिनों तक मध्य प्रदेश में पदयात्रा
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भारत जोड़ो यात्रा में पहले दिन से राहुल गांधी के साथ चल रहे हैं. वो भारत जोड़ो यात्रा के संयोजक भी है. एमपी में कांग्रेस की कमान कमलनाथ के हाथों में है. कांग्रेस उन्हीं के चेहरे और अगुवाई में 2023 का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. ऐसे में कमलनाथ 'भारत जोड़ो यात्रा' को सफल बनाने में जुटे हैं, क्योंकि राहुल गांधी 13 दिनों तक मध्य प्रदेश में पदयात्रा करेंगे. कांग्रेस इस यात्रा के जरिए मध्य प्रदेश में अपना सियासी माहौल को अपने पक्ष में बनाने की कोशिश करेगी.
राहुल गांधी महाकाल की नगरी उज्जैन भी पहुंचेंगे और बाबा महाकाल के दर्शन करेंगे. साथ ही राहुल इस दौरान प्रदेश में साधु-संतों के साथ नर्मदा की पूजा करेंगे. राहुल की यात्रा करीब 13 दिन तक प्रदेश में रहेगी और इंदौर में तीन दिन तक रुकेगी. इस यात्रा के जरिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी एमपी में बुरहानपुर, खंडवा, खरगौन, इंदौर, उज्जैन और मालवा से होते हुए करीब 382 किलोमीटर का सफर तय करेंगे. इसके बाद झालावार से राजस्थान में एंट्री करेगी.
मध्य प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा जिस इलाके से गुजर रही है, वो कांग्रेस के लिए सबसे चुनौती वाले जिले रहे हैं. पिछले चुनाव में भी कांग्रेस इस इलाके में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी थी. मालवा बेल्ट में बीजेपी मजबूत है. ऐसे में राहुल गांधी की यात्रा कांग्रेस के लिए इस इलाके में सियासी संजीवनी साबित हो सकती है. इसी राजनीतिक समीकरण को देखते हुए प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी के साथ मध्य प्रदेश में चार दिनों तक पदयात्रा कर कांग्रेस के सियासी जड़ों को मजबूत करने का काम करती नजर आएंगी.
MP के बाद राजस्थान में प्रवेश करेगी यात्रा
मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा जाएगी, वह अभी तक की यात्रा के दौरान राहुल गांधी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच अदावत जगजाहिर है और पार्टी की गुटबाजी भी भयानक रूप में है. पिछले चार सालों से लगातार ऐसी गुटबाजी कहीं नहीं हुई, जिसमें कभी एक गुट ने खुला विद्रोह किया हो और अपने विधायकों को लेकर बीजेपी शासित राज्य हरियाणा के मानेसर में चला गया हो. वहीं, दूसरा गुट हाईकमान द्वारा बुलाई गई विधायक दल की बैठक का ही बहिष्कार कर गया हो.
राहुल गांधी के लिए राजस्थान में यात्रा के सफल बनाना चुनौती होगी. हालांकि, 2023 में मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव होने है, जहां कांग्रेस को सत्ता में वापसी करना एक बड़ी चुनौती है. इसकी वजह यह है कि तीन दशक से हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड रहा है. ऐसे में राहुल की यात्रा के दौरान गुटबाजी दिखी तो कांग्रेस की सारी संभावनाओं को खत्म कर देगी. राजस्थान के बाद भारत जोड़ो यात्रा यूपी में बुलंदशहर के पास प्रवेश करेगी, जो गाजियाबाद और नोएडा होते हुए दिल्ली में दाखिल होगी. इस तरह से कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा की असल परीक्षा हिंदी पट्टी वाले राज्यों में होगी?