कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2011 की जाति आधारित जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की चुनौती दी. उन्होंने पीएम से आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने की भी मांग की. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि केंद्र सरकार में सचिव के रूप में केवल 7 प्रतिशत अन्य पिछड़ी जातियां, दलित और आदिवासी हैं.
राहुल गांधी कर्नाटक दौरे पर हैं और उन्होंने कोलार में रैली की. पिछले महीने मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद संसद से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस नेता कि कर्नाटक में यह पहली रैली है.
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2011 में सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना कराया था. जाति के आंकड़ों को छोड़कर जनगणना की रिपोर्ट प्रकाशित की गई है. 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों की ओर इशारा करती है. जिसमें कहा गया है कि विभिन्न समुदायों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का उल्लंघन नहीं होना चाहिए.
राहुल गांधी ने रैली में कहा, 'यूपीए ने 2011 में जाति आधारित जनगणना की. इसमें सभी जातियों का डेटा है. प्रधानमंत्री आप ओबीसी की बात करते हैं. उस डेटा को सार्वजनिक करें. देश को बताएं कि देश में कितने ओबीसी, दलित और आदिवासी हैं.'
आंकड़ों को सार्वजनिक करने की जरूरत पर जोर देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर सभी को देश के विकास का हिस्सा बनना है तो प्रत्येक समुदाय की आबादी का पता लगाना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करें ताकि देश को पता चले कि ओबीसी, दलितों और आदिवासियों की जनसंख्या कितनी है. यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो यह ओबीसी का अपमान है. साथ ही 50 प्रतिशत की सीमा को हटा दें.
गांधी ने कहा, सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारत में कितने ओबीसी, आदिवासी और दलित हैं. अगर हम पैसे और बिजली वितरण की बात करते हैं, तो उनकी आबादी के आकार का पता लगाने के लिए पहला कदम होना चाहिए.