2024 का लोकसभा चुनाव अभी दो साल दूर है, लेकिन सभी पार्टियों ने अपनी सियासी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने भी रविवार को दिल्ली के गांधी मैदान में हल्ला बोल रैली का आयोजन किया. महंगाई को मुद्दा बनाया और मोदी सरकार पर कई तीखे वार किए. उस कार्यक्रम का केंद्र राहुल गांधी रहे जिन्होंने 26 मिनट के भाषण में 26 बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द ही अपनी रणनीति बनाने वाली है? एक एक बार फिर मोदी केंद्रित राजनीति के जरिए ही सत्ता में वापसी करने की कोशिश की जाएगी? जो रणनीति पहले फेल हुई, क्या अब पार्टी के सत्ता वनवास को समाप्त कर पाएगी?
राहुल की मोदी केंद्रित राजनीति
राहुल गांधी हमेशा से ही पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधने में विश्वास रखते हैं. वे बीजेपी या कह लीजिए सरकार से ज्यादा सीधे मोदी के खिलाफ आक्रमक रुख दिखाते हैं. रविवार को हल्ला बोल रैली के दौरान भी राहुल गांधी अपने उसी चिर-परिचित अंदाज में नजर आए थे. उन्होंने महंगाई से लेकर बेरोजगारी तक, अर्थव्यवस्था से लेकर चीन-पाकिस्तान तक, कई मुद्दे उठाए, लेकिन हमला सिर्फ पीएम मोदी पर रखा. राहुल ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी 24 घंटे सिर्फ अपने दो उद्योगपति मित्रों के लिए काम करते हैं. उनकी लीडरशिप में दो भारत बन रहे हैं, एक वो जो गरीबों का है जहां पर किसी का कोई भी सपना पूरा नहीं होगा और दूसरा उन चुनिंदा उद्योगपतियों का है जहां हर सपना साकार होगा.
26 मिनट का भाषण, 26 बार मोदी का जिक्र
इसी तरह एक और बड़े हमले में राहुल ने जोर देकर कहा कि पीएम मोदी देश को पीछे धकेल रहे हैं. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी जी देश में नफरत फैला रहे हैं, डर का माहौल पैदा कर रहे हैं. इससे देश के दुश्मनों को फायदा होगा, चीन को फायदा होगा, पाकिस्तान को फायदा होगा. देश में जितनी नफरत फैलाई जाएगी, ये उतना ही कमजोर होता जाएगा. अब ये तो राहुल गांधी के 26 मिनट वाले भाषण का एक छोटा अंश है, लेकिन उन्होंने तो 26 बार सीधे-सीधे पीएम मोदी पर ही हमला किया है.
2019 में फेल हुई थी मोदी केंद्रित राजनीति
इसे राहुल गांधी की 'मोदी केंद्रित' राजनीति कहा जा सकता है. ये वो रणनीति है जिस पर राहुल गांधी पिछले आठ सालों से लगातार काम कर रहे हैं. इन आठ सालों में उन्होंने केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए हैं, कभी 'सूट-बूट वाली सरकार' कहा है तो कभी किसान और गरीब विरोधी बताया है, लेकिन इस सब के लिए उन्होंने सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी राहुल गांधी ने राफेल का मुद्दा उठाया था, आरोप लगाया था कि सरकार ने उस डील में भ्रष्टाचार किया. अब वहां उनका आरोप सरकार पर था लेकिन चुनावी मौसम में नारा दिया गया- चौकीदार चोर है. हर रैली में सिर्फ 'चौकीदार चोर है' वाले नेरेटिव पर जोर रहा.
ये अलग बात है कि राहुल गांधी की उस रणनीति को बीजेपी और पीएम मोदी ने अपनी काउंटर रणनीति 'मैं भी चौकीदार' से परास्त कर दिया था. हाल ही में कांग्रेस छोड़ने वाले गुलाम नबी आजाद ने भी राहुल गांधी की उस रणनीति की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि मैंने कभी भी 'चौकीदार चोर है' स्लोगन को स्वीकृति नहीं दी थी. हरेक पब्लिक मीटिंग जो आप अटेंड करते हैं, उसमें चौकीदार चोर है चुनावी मुद्दा नहीं हो सकता. क्या महंगाई और बेरोजगारी मुद्दा नहीं थे?
ऐसे में जिस रणनीति की वजह से कांग्रेस पिछले आठ सालों से सत्ता से दूर चल रही है, एक बार फिर उसी रणनीति के साथ 2024 के चुनाव में उतरने की तैयारी दिख रही है. सवाल ये उठता है कि क्या कांग्रेस एक तय रणनीति के तहत एक बार फिर 2024 की लड़ाई को मोदी बनाम राहुल करने वाली है? क्या राहुल गांधी ही कांग्रेस का चेहरा बनने वाले हैं?
राहुल की अगुवाई में ही आगे बढ़ेगी कांग्रेस?
अब कांग्रेस ने औपचारिक तौर पर तो अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं. लेकिन चर्चा है कि राहुल गांधी को ही फिर कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहिए. उन्हीं की अगुवाई में कांग्रेस को 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए. ये संदेश हल्ला बोल रैली ने भी स्पष्ट कर दिया था. मंच से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दो टूक कहा था कि राहुल गांधी लगातार किसानों, गरीबों और मजदूरों की आवाज उठा रहे हैं, लेकिन सत्ता में बैठे लोग सिर्फ राहुल गांधी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में व्यस्त हैं. इसी तरह मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी ने भी अपने संबोधन में कई मौकों पर राहुल गांधी का ही जिक्र किया. अब ये बयान ही बताने के लिए काफी हैं कि कांग्रेस पहले भी राहुल की अगुवाई में आगे बढ़ रही थी और आगे भी उन्हीं के चेहरे के सहारे बढ़ने की तैयारी है.
वैसे कुछ दिनों में कांग्रेस की भारत जोड़ों यात्रा भी शुरू होने वाली है. उस यात्रा की अगुवाई भी राहुल गांधी ही करेंगे. ऐसे में कांग्रेस 2024 की जो सियासी पिच तैयार कर रही है, उस पर बैटिंग करने के लिए राहुल गांधी को आगे किया जा रहा है.
किन बातों का कांग्रेस को रखना होगा ध्यान
वैसे अगर कांग्रेस 'मोदी केंद्रित राजनीति' करने भी वाली है, उसे अपने पुराने अनुभवों से काफी कुछ सीखना पड़ेगा. कांग्रेस के कई नेताओं का ऐसा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है जहां पर पीएम मोदी का सिर्फ विरोध नहीं किया गया है, सिर्फ निजी हमला नहीं हुआ है, बल्कि विवादित बयान दिए गए हैं. ऐसे बयान जो बाद में पीएम मोदी ने ही अपनी राजनीति को और ज्यादा चमकाने के लिए इस्तेमाल किए हैं. फिर चाहे वो मणिशंकर अय्यर का 'नीच आदमी' और 'चायवाला' बयान रहा हो या फिर संजय निरूपम का पीएम के लिए 'अनपढ़-गंवार' वाला बयान रहा हो. खुद राहुल गांधी भी साल 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कह गए थे कि पीएम मोदी ने शहीदों के खून की दलाली की है. ऐसे में अगर एक बार फिर राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस 2024 में आगे बढ़ने वाली है तो मोदी केंद्रित राजनीति करते वक्त विवादित बयानों से हर कीमत पर बचना होगा.