देश के 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को चुनाव का ऐलान कर दिया है, जहां पर 10 जून को वोटिंग होगी और नतीजे भी उसी दिन घोषित कर दिए जाएंगे. इनमें सबसे ज्यादा 11 राज्यसभा सीटें उत्तर प्रदेश, 6 सीटें महाराष्ट्र, 5 सीटें बिहार, चार-चार सीटें राजस्थान, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की है तो 6 सीटें तमिलनाडू और 3-3 सीटें एमपी और ओडिशा की है. इसके अलावा 2-2 सीटें पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड से है और एक राज्यसभा सीट उत्तराखंड की है.
उत्तर प्रदेश और राजस्थान की राज्यसभा सीटों पर मुकाबला काफी रोचक होने जा रहा है. उत्तर प्रदेश की जिन 11 सीटों पर चुनाव है, विधायकों के आंकड़ों को देखते हुए 7 बीजेपी और 3 सपा के खाते में जाना तय है. ऐसे में 11वीं सीट के लिए सपा और बीजेपी के बीच एक दूसरे के खेमे में सेंधमारी की कवायद करनी होगी. वहीं, राजस्थान की चार राज्यसभा सीटों में से दो सीटें कांग्रेस और एक सीट बीजेपी को मिलनी तय है जबकि चौथी सीटें के लिए सियासी संग्राम मचेगा.
यूपी में किसके हक में जाएगी 11वीं सीट
उत्तर प्रदेश के विधानसभा में कुल 403 विधायक हैं, जिनमें से 2 सीटें रिक्त हैं. इस तरह से 401 विधायक फिलहाल हैं. ऐसे में एक सीट के लिए 36 विधायकों का वोट चाहिए. बीजेपी गठबंधन के पास 273 विधायक है, जिसके लिहाज से 7 सीट जीतने में कोई परेशानी नहीं होगी. सपा के पास 125 विधायक हैं. उसे 3 सीट जीतने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन 11वीं सीट के लिए बीजेपी और सपा सियासी घमासान मचेगा और एक दूसरे के खेमे में सेंधमारी की कवायद होगी.
देखना है कि बीजेपी और सपा कितने-कितने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरती है, क्योंकि उसी के बाद तय आगे की तस्वीर तय होगी. राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो, कांग्रेस के दो, बसपा के एक विधायक है. जनसत्ता दल के दो विधायकों का समर्थन बीजेपी को मिल सकता है. कांग्रेस और बसपा का किसी भी दल से कोई गठबंधन नहीं होने के कारण वोट देने के लिए आजाद है.
एससी मिश्रा-कपिल सिब्बल की कैसे होगी वापसी
यूपी से जिन 11 राज्यसभा सदस्यों के कार्यकाल पूरे हो रहे हैं. उसमें बीजेपी से जफर इस्लाम, शिव प्रताप शुक्ला, सुरेंद्र सिंह नागर, संजय सेठ और जय प्रकाश निषाद का कार्यकाल समाप्त हो रहा हैं तो सपा के वरिष्ठ नेता रेवती रमण सिंह, विशंभर प्रसाद निषाद और सुखराम सिंह यादव हैं. बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, अशोक सिद्धार्थ जबकि कांग्रेस से कपिल सिब्बल का कार्यकाल समाप्त हो रहा. बसपा और कांग्रेस के खाते में कोई सीट नहीं आ रही है. ऐसे में सतीश चंद्र मिश्रा और पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल जैसे दिग्गज नेताओं की राज्यसभा में वापसी पर ग्रहण लग गया है.
राजस्थान की चौथी सीट के लिए संग्राम
राजस्थान की चार राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. मौजूदा समय में चारों सीटों पर भाजपा काबिज हैं, लेकिन वर्तमान में विधानसभा में विधायकों के आंकड़ों को देखे तो सत्ताधारी कांग्रेस की 2 और विपक्षी पार्टी भाजपा की एक सीट पर जीत तय है. ऐसे में चौथी राज्यसभा सीट के लिए सियासी संग्राम छिड़ेगा, क्योंकि निर्दलीय, बीटीपी, आरएलपी और माकपा के सदस्य के समर्थन से ही जीत मिल सकेगी.
हालांकि, निर्दलीयों के समर्थन से कांग्रेस का पलड़ा फिलहाल भारी दिख रहा है. राजस्थान में कांग्रेस के 108, भाजपा के 71, निर्दलीय 13, आरएलपी 3, बीटीपी 2, माकपा 2, आरएलडी 1 विधायक हैं. राज्यसभा की एक सीट के लिए 51 विधायकों का समर्थन चाहिए. इस लिहाज से कांग्रेस अपने अतरिक्त वोटों के साथ-साथ निर्दलीय और अगर अन्य छोटी पार्टियों का समर्थन जुटा लेती है तो तीसरी सीट पर काबिज हो सकती है. आखिरी समय में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उलटफेर करने में माहिर हैं. इस लिहाज से भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा.
राज्यसभा चुनाव के नामांकन से मतदान तक
राज्यसभा के जिन 57 सीटों पर चुनाव होने है, वहां के सदस्यों का कार्यकाल 4 जुलाई को समाप्त हो रहा है. चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव के लिए ऐलान कर दिया है, जिसके लिए 24 से 31 मई तक नामांकन दाखिल किए जाएंगे. ऐसे में एक जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी जबकि 3 जून तक नाम वापस ले सकेंगे. 10 जून को सुबह 9 से शाम 4 बजे तक राज्यसभा के लिए मतदान होंगे और उसी दिन शाम 5 बजे से मतगणना शुरू होगी.