राज्यसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने पत्ते खोल दिए हैं. बीजेपी ने 9 राज्यों की 18 राज्यसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है तो कांग्रेस ने सात राज्यों की 10 राज्यसभा सीट पर अपने कैंडिडेट के नाम की घोषणा की है. वहीं, जेडीयू से लेकर आरजेडी, सपा, शिवसेना और बीजेडी ने भी अपने-अपने प्रत्याशियों के नाम की सूची जारी कर दी है. ऐसे में किसी दल ने अपने पुराने नेताओं की जगह नए चेहरों पर दांव खेला तो किसी दल ने जातीय समीकरण साधने की कवायद की है. जानें राज्यसभा चुनाव के लिए सामने आए लिस्ट के 10 चौंकाने वाले फैक्टर.
1. बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में पुराने और वफादार नेताओं को जगह दी है. बीजेपी ने यूपी कोटे से छह प्रत्याशी घोषित किए हैं, जिनमें लक्ष्मीकांत बाजपेयी और राधामोहन दास अग्रवाल पुराने नेताओं को जगह दी गई है तो पूर्व मंत्री शिव प्रताप शुक्ला का नाम नहीं शामिल किया गया. लक्ष्मीकांत बाजपेयी काफी समय से साइड लाइन थे जबकि राधामोहन दास अग्रवाल की सीट से सीएम योगी चुनाव लड़े थे और उनका टिकट काट दिया गया था. राजस्थान से घनश्याम तिवारी को जगह दी गई, जिनकी हाल ही में दोबारा से बीजेपी में वापसी की है.
2. बीजेपी के राज्यसभा लिस्ट में किसी भी मुस्लिम चेहरे को जगह नहीं मिली. बीजेपी के तीनों मुस्लिम नेताओं- केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, एमजे अकबर और सैय्यद जफर इस्लाम का कार्यकाल खत्म रहा है, लेकिन इनमें से किसी भी नेता को राज्यसभा के उम्मीदवारों को जगह नहीं मिली. ऐसे में सबसे बड़ी दिक्कत मोदी सरकार की कैबिनेट में शामिल मुख्तार अब्बास नकवी को लेकर हैं, जिनकी अगर संसद में वापसी नहीं हो पाती है तो उन्हें मंत्री पद गवांना पड़ सकता है. हालांकि, अभी चार उम्मीदवारों के नाम की घोषणा बाकी है.
3. राज्यसभा चुनाव के जरिए बीजेपी ने 2024 का सियासी समीकरण साधने का दांव चला है. यूपी में जिन नेताओं को जगह दी गई है, उनमें सवर्ण और ओबीसी को बराबर की हिस्सेदारी दी गई. पिछड़ा वर्ग से सुरेंद्र सिंह नागर, बाबूराम निषाद और संगीता यादव हैं तो सवर्ण वर्ग से डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ब्राह्मण, डा. राधामोहन दास अग्रवाल वैश्य और डा. दर्शना सिंह क्षत्रिय हैं. बिहार से बीजेपी ने ब्राह्मण समुदाय के सतीश चंद्र दुबे को रिपीट किया है तो ओबीसी के कुर्मी समाज से आने वाले शंभू शरण पटेल को दूसरा उम्मीदवार बनाया है. इस तरह ब्राह्मण-कुर्मी समीकरण का दांव चला, जिसके जरिए जेडीयू के कोर वोटबैंक को संदेश दिया गया है.
4. बीजेपी ने 9 राज्यों से 18 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है, जिनमें 5 महिलाएं भी शामिल हैं. इस तरह बीजेपी ने 30 फीसदी महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है. निर्मला सीतारमण, कवित पाटीदार, दर्शना सिंह, संगीता यादव और कल्पना सैनी का नाम शामिल हैं. कांग्रेस और आरजेडी ने एक-एक महिला को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने रंजीता रंजन को टिकट दिया है तो आरजेडी ने मीसा भारतीय को दोबारा से प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा सपा, जेडीयू, शिवसेना ने किसी महिला को प्रत्याशी को मौका नहीं दिया है.
5. जेडीयू ने राज्यसभा की अपनी एकलौती सीट पर केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के बजाय खीरू महतो को उम्मीदवार बनाया है. आरसीपी को प्रत्याशी नहीं बनाने का फैसला काफी चौंकाने वाला माना जा रहा है, क्योंकि आरसीपी सिंह की अब मंत्री पद की कुर्सी खतरे में पड़ गई है. आरसीपी सिंह के बदले खीरू महतो को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने के सवाल पर जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि यह निर्णय दल के नेता सीएम नीतीश कुमार ने लिया है. पार्टी का निर्णय सबों को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए. मंत्रिपरिषद में कौन मंत्री रहेगा या नहीं, इसका निर्णय प्रधानमंत्री को करना है.
6. कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए 10 उम्मीदवारों के नाम दिए हैं, जिनमें गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा जैसे दिग्गज नेताओं को जगह नहीं मिल सकी है तो जी-23 से विवेक तन्खा का ही नाम शामिल है. इस तरह कांग्रेस और गांधी फैमली के प्रति सवाल खड़े करने वाले नेताओं को राज्यसभा में जगह नहीं मिली जबकि वफादार नेताओं को इनाम मिला है. हालांकि, पार्टी की उम्मीदवारों के लिस्ट सामने आने के बाद पवन खेड़ा से लेकर आचार्य प्रमोद कृष्णम और नगमा तक ने सवाल खड़े करते हुए अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर कर दी है.
7. कांग्रेस ने राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और छत्तीसगढ़ की राज्यसभा सीट के लिए जिन्हें उम्मीदवार बनाया गया है, उनके बाहरी होने का मुद्दा भी उठ रहा है. यूपी में कांग्रेस के महज दो विधायक हैं, जिसके चलते सूबे के नेताओं को दूसरे राज्य से राज्यसभा भेजा है. प्रमोद तिवारी से लेकर इमरान प्रतापगढ़ी और राजीव शुक्ला हैं. हरियाणा से अजय माकन, राजस्थान से रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और छत्तीसगढ़ से रंजीता रंजन को भेजा जा रहा है. आने वाले समय चुनाव है, जिसके चलते स्थानीय समीकरण को साधने के बजाय अपने राष्ट्रीय नेताओं को सेट किया है.
8. शिवसेना ने राज्यसभा चुनाव में दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें एक नाम संजय राउत है और दूसरा संजय पवार को प्रत्याशी बनाया गया है. इससे शिवाजी के वंशज सभाजी राजे के निर्दलीय राज्यसभा पहुंचने की उम्मीदों पर ग्रहण लग गया है, क्योंकि महाविकास अघाडी में शामिल दल अब शिवसेना के प्रत्याशी को समर्थन करेंगे.
9. सपा और आरजेडी ने अपने-अपने जातीय और सियासी समीकरण को तवज्जो दी है. आरजेडी ने दो राज्यसभा सीट के लिए एक पर मीसा भारती तो दूसरे पर फैयाज अहमद को प्रत्याशी बनाकर यादव-मुस्लिम समीकरण साधने की कवायद की है. इस तरह से सपा ने भी यूपी में अपने कोटे की तीन राज्यसभा सीटों के लिए कपिल सिब्बल, जावेद अली खान और जयंत चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. सपा ने सिब्बल के जरिए आजम खान की नाराजगी को दूर करने का दांव चला तो जयंत और जावेद अली के बहाने जाट-मुस्लिम समीकरण को साधे रखने की कवायद की है.
10. इस लिस्ट से बीजेपी और कांग्रेस के कई दिग्गजों के अरमानों पर पानी फिरा है. बीजेपी ने तीनों मुस्लिम नेताओं में से किसी को जगह नहीं दी है, तो पंकजा मुंडे और विनय सहस्रबुद्धे के राज्यसभा पहुंचने के अरमानों को भी झटका लगा है. आरजेडी से पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना को राज्यसभा नहीं भेजा गया तो यूपी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का नाम भी आखिरी वक्त में काट दिया गया. कांग्रेस से राज्यसभा जाने वाले नेताओं की लंबी फेहरिश्त थी, जिनमें से तमाम नेताओं के उम्मीदों को झटका लगा है.