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उपसभापति के लिए आरजेडी सांसद मनोज झा हो सकते हैं विपक्ष के प्रत्याशी

राज्यसभा उपसभापति के लिए एनडीए प्रत्याशी हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ आरजेडी सांसद मनोज झा विपक्ष की ओर से उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं. हालांकि, पहले डीएमके के तिरुची शिवा को खड़ा करने की बात की जा रही थी, लेकिन अब मनोज झा के नाम की चर्चा तेज हो गई है. 

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आरजेडी सांसद मनोज झा
आरजेडी सांसद मनोज झा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • विपक्ष एनडीए को वॉकओवर देने के मूड में नहीं
  • विपक्ष उपसभापति पद के लिए उतारेगा प्रत्याशी
  • डीएमके सांसद तिरुची शिवा के नाम की भी चर्चा

राज्यसभा उपसभापति चुनाव में विपक्ष किसी भी सूरत में एनडीए को वॉकओवर देने के मूड में नहीं है. कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि विपक्ष संयुक्त रूप से अपना प्रत्याशी मैदान में उतारेगा. राज्यसभा उपसभापति के लिए एनडीए प्रत्याशी हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ आरजेडी सांसद मनोज झा विपक्ष की ओर से उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं. हालांकि, पहले डीएमके के तिरुची शिवा को खड़ा करने की बात की जा रही थी, लेकिन अब मनोज झा के नाम की चर्चा तेज हो गई है. 

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राज्यसभा उपसभापति पद का चुनाव संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन 14 सितंबर को होगा. ऐसे में नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 11 सितंबर है. एनडीए की ओर से जेडीयू सांसद हरविंश सिंह ने बुधवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. बीजेपी ने व्हिप भी जारी कर दिया है. साथ ही सरकार की तरफ से हरिवंश के नाम पर आम राय बनाने की अपील की गयी है, लेकिन विपक्ष सांकेतिक तौर पर ही सही लेकिन टक्कर देने के मूड में नजर आ रहा है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में मंगलवार को हुई बैठक में उपसभापति के लिए विपक्ष की ओर संयुक्त अपना प्रत्याशी उतारने की बात कही गई है. 

दरअसल, राज्यसभा के उपसभापति रहे हरिवंश नारायण सिंह का कार्यकाल इसी साल अप्रैल में खत्म हो चुका है, जिसके बाद अब दोबारा से सासंद चुनकर आए हैं. ऐसे में उपसभापति का चुनाव दोबारा से होना है. एनडीए की ओर से एक बार फिर हरिवंश सिंह उपसभापति के लिए मैदान में उतरे हैं. ऐसे में कांग्रेस ने विपक्षी दलों को एकजुट करने की रणनीति अपनाई है, जिसके लिए पहले डीएमके सांसद तिरुची शिवा को प्रत्याशी बनाने की बात चल रही थी, लेकिन अब मनोज झा को प्रत्याशी बनाने की बात कही जा रही है.

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हालांकि, विपक्ष को राज्यसभा उपसभापति के लिए अपना प्रत्याशी को तय करने के लिए महज एक ही दिन बचा है, क्योंकि नामांकन का शुक्रवार को अंतिम दिन है. सोमवार को सांसद का सत्र शुरू हो रहा और पहले दिन ही चुनाव होने है. ऐसे में विपक्ष को सहयोगी दलों को भी साधना होगा, क्योंकि 2018 के उपसभापति चुनाव में कांग्रेस ने ऐन वक्त पर बीके हरिप्रसाद को मैदान में उतारा था, लेकिन वो जीत नहीं सके थे. 
 

एनडीए के सहयोगी दल
एनडीए के पास राज्यसभा में सबसे ज्यादा सीटें हैं. बीजपी 87, एआईडीएमके 9, जेडीयू 5, अकाली दल 3, एजेपी 1, बीपीएफ 1, आरपीआई 1, एनपीएफ 1, एमएनएफ 1, एनपीपी 1 और नामित सदस्य 7 को मिलाकर कुल 116 सदस्यों का समर्थन हासिल है. हालांकि, राज्यसभा सीट जीतने के लिए अभी भी 10 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है.  

यूपीए के समर्थक दल
वहीं, यूपीए के आकंड़े को देखें तो कांग्रेस 40, वामपंथी दल 6, डीएमके 7, आरजेडी, 5, शिवसेना 3, एनसीपी 4, मुस्लिम लीग 1, जेडीएस 1, जेएमएम 1, केरला कांग्रेस 1 और टीडीपी के 1 राज्यसभा सदस्या का समर्थन हासिल है. इन्हें मिलाकर कुल 70 का आंकड़ा पहुंचता है. 

अन्य दल

गैर-एनडीए और गैर यूपीए के दल ही सबसे अहम भूमिका में है, क्योंकि इनकी संख्या राज्यसभा में 68 है. इनमें आम आदमी पार्टी 3, टीएमसी 13, बीएसपी 4, बीजेडी 9, निर्दलीय 2, एमडीएमके 1, पीएमके 1, सपा 8, एसडीएफ 1, टीएमसी एम 1, टीआरएस 7, वाईएसआर 6 और पीडीपी के 2 सदस्य शामिल हैं.

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राज्यसभा उपसभापति के चुनाव लड़ाई भले ही देखने में प्रतीकात्मक लग रही हो और विपक्ष के पास एनडीए उम्मीदवार को हराने के लिए संख्या न दिख रही हो. इसके बावजूद कांग्रेस नेतृत्व एनडीए उम्मीदवार को निर्विरोध नहीं होने देना चाहती. इतना ही नहीं कांग्रेस मानसून सत्र से पहले विपक्षी दलों को एकजुट कर अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास भी कराकर बड़ा संदेश देना चाहती है. 


 

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