26 जनवरी की हिंसा के बाद अचानक पूरे किसान आंदोलन का माहौल बदल गया. जैसे ही ट्रैक्टर रैली खत्म हुई किसान घर जाने लगे. जो भीड़ पहले दिखाई पड़ती थी वह नदारद हो गई और जो रुके भी थे, उनका मनोबल बहुत नीचा था. 28 जनवरी को तो पुलिस ने पूरी तरह दबाव बनाना शुरू कर दिया. पहले किसान नेताओं को नोटिस भिजवाया गया और फिर जब गाजीपुर बॉर्डर पर हजारों पुलिसकर्मियों का फ्लैग मार्च निकला तो लगा कि किसान मानसिक दबाव में आ गए हैं.
कई किसानों को हमने दबे पांव अपने ट्रैक्टर के साथ गाजीपुर बॉर्डर से निकलते देखा. किसान नेता राकेश टिकैत को भी दिल्ली पुलिस नोटिस दे चुकी थी. राकेश के बड़े भाई और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत पर भी पुलिस अलग से गांव में दबाव बना रही थी. दोपहर के ठीक बाद गाजीपुर बॉर्डर में फिजा बदलने लगी. तंबू सिमटने लगे.
सिमटने लगे थे तंबू, मना रहे थे टिकैत
राकेश टिकैत इधर-उधर घूम कर जो आंदोलनकारी बचे थे, उनसे मिलने लगे, सलाह मशविरा करने लगे और तभी यह खबर आई कि गाजियाबाद प्रशासन ने गाजीपुर में चलने वाले आंदोलन को अवैध घोषित कर दिया है. इस आदेश के ठीक बाद भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों की आनन-फानन में एक बैठक बुलाई गई और उसमें यह तय कर लिया गया कि राकेश टिकैत अब गिरफ्तारी देंगे और मंच पर जाकर इसकी घोषणा कर देंगे.
मंच से दिया भाषण
राकेश टिकैत मंच पर पहुंच गए और वहां बाकी नेताओं के बाद उन्होंने एक भाषण दिया. इसमें उन्होंने सभी को आंदोलन सफल करने के लिए धन्यवाद भी दिया. साथ ही यह भी जरूर कहा कि आंदोलन जारी रहेगा लेकिन हो सकता है कि अब बड़े नेता इस आंदोलन के साथ नहीं रहें.
इस भाषण के ठीक बाद पुलिस को आंदोलनकारियों ने मंच पर बुलाया और ऐसा लगा कि अब किसी भी क्षण बड़े किसान नेता गिरफ्तारी दे सकते हैं. इधर राकेश टिकैत के भाषण के बाद पुलिस अधिकारियों की एक बैठक शुरू हुई जिसमें गाजियाबाद के एसपी सिटी समेत कई सारे सीनियर अधिकारी मौजूद रहे.
मीडिया इस बात पर टकटकी लगाए हुए थी कि आखिरकार जो पुलिस अधिकारी स्टेज पर पहुंचे हैं वह कब राकेश टिकैत समेत तमाम नेताओं को लेकर चले जाएंगे.
आधे घंटे पहले नरम दिखने वाले टिकैत गरम हो गए
राकेश टिकैत दोबारा भाषण देने के लिए सामने आए. लेकिन आधे घंटे पहले नरम से दिखने वाले टिकैत अचानक आक्रामक थे. माइक पकड़ कर उन्होंने इस आंदोलन का अब तक सबसे आक्रामक भाषण दिया, जिसमें सीधे-सीधे बीजेपी के विधायकों और उनके समर्थकों पर मारपीट करने के आरोप लगाए. यहां तक कहा गया कि अगर उन्हें यहां से हटाने की कोशिश की जाएगी तो वह फांसी पर लटक जाएंगे.
टिकैत ने यह कहा कि अगर आंदोलन अभी खत्म होता है और आंदोलनकारी किसान वापस जाते हैं तो उनकी रास्ते में पिटाई की जाएगी. यह साफ दिखने लगा था कि अब टिकैत अपनी गिरफ्तारी नहीं देने जा रहे हैं. इस भाषण के खत्म होते ही सभी आला अधिकारी स्टेज से एक-एक कर निकल गए.
भाषण के बाद गला बैठा
राकेश टिकैत की हुंकार के बाद उनका गला बैठ चुका था. तमाम सीनियर किसान नेताओं ने टिकैत को स्टेज के पीछे वाले हिस्से में ले जाकर बैठा दिया. कई सारे मीडियाकर्मी स्टेज के सामने मौजूद थे. तभी मैंने यह जानने की कोशिश की कि आखिरकार उस आधे घंटे की मीटिंग में किसान नेताओं और पुलिस के आला अधिकारियों के साथ क्या कुछ गुफ्तगू हुई.
कई नेताओं को टटोला लेकिन कोई भी कुछ कहने को तैयार नहीं था. राकेश टिकैत तब भी कुछ नेताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे और तभी मुझे मौका मिला कि मैं उनके पास जाकर उनसे कुछ बात करूं. माहौल काफी तनाव भरा था इसलिए कई नेताओं ने मुझे रोका कि इस समय सही वक्त नहीं है कि राकेश टिकैत के साथ बात की जाए. लेकिन मुझे अंदाजा था कि राकेश टिकैत ने वह सारी बातें मंच से नहीं बताई है जो कि पुलिस के साथ उस आधे घंटे की मीटिंग में हुई है.
गिरफ्तारी देते-देते अपना मन क्यों बदल लिया?
मौका मिलते ही मैंने अपने कैमरामैन अजय कुमार को बोला कि वह मंच के ऊपर आ आएं, जहां मैं पहले से ही मौजूद था. आखिरकार बहुत कोशिश के बाद कुछ किसान नेताओं ने मुझे टिकैत के पास जाने दिया. टिकैत ने भी हामी भर दी और फिर हमारी बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ. सबसे पहला ही सवाल यह था कि आखिरकार उन्होंने गिरफ्तारी देते देते अपना मन क्यों बदल लिया? सवाल के जवाब में टिकैत किसी षड्यंत्र का जिक्र कर रहे थे. लेकिन अभी वह सवाल अनसुलझा था कि आखिरकार आधे घंटे की मीटिंग में पुलिस के साथ उनकी क्या बात हुई जिसकी वजह से उनके तेवर बदल गए.
पुलिस के साथ क्या मीटिंग का जिक्र होते ही रोने लगे टिकैत
पुलिस के साथ मीटिंग का सवाल आते ही टिकैत की आंखों में आंसू आ गए और वह फफक फफक कर रोने लगे. यह बात तो साफ थी कि उस पुलिस मीटिंग में ही कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे आंदोलन को बदल डाला. पुलिस की मीटिंग के बाद अब तक राकेश टिकैत ने यह नहीं बताया है कि वहां बात आखिरकार क्या हुई थी. लेकिन करीबी सूत्र बताते हैं कि मामला उनके समर्थकों के सेफ पैसेज को लेकर अटक गया.
कुछ किसान नेताओं ने बताया कि जिस समय यह बात तय हो चुकी थी कि अब राकेश टिकैत समेत बाकी किसान नेता गिरफ्तारी देंगे, ठीक उसी समय कुछ असामाजिक तत्व आकर गाजीपुर प्रदर्शन स्थल पर आंदोलनकारियों को धमकाने लगे. किसान नेताओं का दावा है कि वह स्थानीय विधायकों के समर्थक थे. यहीं बात फंस गई. टिकैत को ऐसा लगा कि उनके गिरफ्तार होते ही यहां पर कुछ अनहोनी घटने वाली है और इसकी जिम्मेदारी भी उन्हीं के सिर आ जाएगी क्योंकि वह अब तक आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं.
इसी मामले ने पूरा समीकरण बदल कर रख दिया और टिकैत ने यह तय कर लिया कि अब वह इमोशनल कार्ड खेलेंगे और अपने समर्थकों की सुरक्षा के नाम पर वहीं डटे रहेंगे. इसके बाद आज तक के कैमरे के सामने राकेश टिकैत फूट-फूट कर रोए और उनकी उस तस्वीर को पूरी दुनिया ने देखा. रात होते-होते बात भी बदलने लगी और हजारों की तादाद में आसपास के जिलों से आंदोलनकारी गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने लगे. इस तरह से आंदोलन ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली.