किसान नेता राकेश टिकैत ने आजतक के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में उत्तर प्रदेश चुनावों पर अपने विचार रखे हैं. साथ ही यह भी बताया है कि इस बार 26 जनवरी पर क्या होगा किसानों का ट्रैक्टर वाला एजेंडा. पंजाब के किसानों पर भी टिकैत ने अपनी बात रखते हुए कहा है कि वह मार्च तक पंजाब नहीं जाएंगे.
'सरकारों की नजरें किसानों की जमीनों पर'
राकेश टिकैत अलग-अलग जगह का दौरा कर रहे हैं, वह जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं? इस सवाल पर उनका कहना है कि हम तो अपनी बात कर रहे हैं. सरकारों की नजरें किसानों की जमीनों पर हैं, वह बैंक के माध्यम से हो या फिर कर्ज से हो. हमारा कहना यह है कि जमीनें बचानी हैं, तो आंदोलन का हिस्सा बनना पड़ेगा और सरकारों के चक्कर में ना आएं.
'यूपी में 15 मार्च तक चुनावी प्रवचन चलेगा'
सारी पार्टियां इस गुणा-भाग में लगी रहती हैं कि चुनाव में वोट कैसे मिलेगा. उन्हें ना किसान से मतलब है ना गांव से, न दुकानदार से और ना ही बेरोजगारी से मतलब है. एक पार्टी हिंदू-मुस्लिम और जिन्ना में लग हुई है और इनका ढाई महीने का प्रोजेक्ट है. वे यूपी में हिंदू-मुस्लिम और जिन्ना पर प्रवचन करवाते हैं. उनकी कोशिश यही है कि लोग ये चुनावी प्रवचन सुनें क्योंकि उन्हें इसी से फायदा होगा. 15 मार्च तक यही चलेगा क्योंकि उन्हें इसी से वोट चाहिए. हम जनता को कहते हैं कि इनके प्रवचनों के चक्कर में नहीं आना और जनता उनकी बातों में नहीं आ रही है.
'जनता समझ गई है कि देश में क्या होने जा रहा है'
उन्होंने यह भी कहा कि यहां की जनता पूर्णरूप से भुक्तभोगी है, वह समझ गई है कि देश में क्या होने जा रहा है. देश को मजदूर कालोनी बनाने का जो षणयंत्र है, पढ़े-लिखे बच्चों को बेरोजगार और अनपढ़ बनाने का जो षड्यंत्र है वह जनता समझ गई है.
' 26 जनवरी पर गांवों में ही चलेंगे ट्रैक्टर'
टिकैट मिशन उत्तर प्रदेश भी शुरू करने की घोषणा की है, इसपर उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को हम लोगों से कह रहे हैं कि वह गांव में ही ट्रैक्टर चलाएं. बच्चे कह रहे हैं कि हम ट्रैक्टर पर तिरंगा झंडा लगाकर गांव में ही ट्रैक्टर चलाएंगे, तो हम उन्हें चलाने देंगे. लेकिन इस बार दिल्ली नहीं आना है.
31 जनवरी को हम जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे. यूपी में जहां नामांकन भरे जा रहे हैं उन जगहों को छोड़कर हम प्रदर्शन करेंगे और ज्ञापन देंगे. भारत सरकार जो किसानों की बात नहीं मान रही है, उसपर एक विरोध प्रदर्शन होगा. रही बात मिशन यूपी की, तो वह तो चल ही रहा है. किसान अपनी फसल आधी रेट में बेचकर वोट जहां देना चाहें दें और आधे दाम पर अपनी फसल बेचकर वोट कहां देना है उन्हें पता है.
'हम मार्च तक पंजाब नहीं जाएंगे'
पंजाब में जो लोग हमारे साथ थे वह 4 महीने की छुट्टी पर गए हैं. चुनाव लड़ने के लिए वह जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल तक वह छुट्टी पर रहेंगे. अब चुनाव लड़ना और वोट देना अपना मौलिक अधिकार है और इसी अधिकार का वह इस्तेमाल कर रहे हैं और वह छुट्टी पर हैं. हम पहरेदार भी नहीं है कि उन पर पहरा देंगे. हम मार्च तक पंजाब में जाएंगे ही नहीं.
यूपी में लोगों से मिल रहे हैं, लेकिन चुनाव से दूरी
यूपी में भी हम मीटिंग कर रहे हैं लेकिन चुनाव से दूर हैं. अब जो लोग हमारे पास आ जाते हैं, तो उन्हें मना क्या करना. क्योंकि गांव वाले तलाश कर रहे हैं कि बीजेपी वाले कहां है क्योंकि हम उनसे सवाल करेंगे. गांव वाले जो भी वोट मांगने आए, उससे बात जरूर करें और जो भी मन में सवाल है वह जरूर पूछें, क्योंकि 5 साल में एक बार ही सरकार गांव में आती है.
हमारे पास तो सभी पार्टी वाले आते हैं और हमारे पास आशीर्वाद नहीं है, वह तो जनता से लेना होगा. जिस किसान ने अपना धान 1200 में बेचा और गन्ना बाजरा आधे रेट में बेचा, उससे जाकर आशीर्वाद लो.