किसानों से जुड़े तीन अहम बिल फिलहाल संसद में पेश कर दिए गए हैं. सरकार इन्हें पास कराने की तैयारी में है तो दूसरी तरफ किसान इन बिलों का विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस कानून को लेकर पीएम मोदी को घेरा है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि बड़े से बड़ा निरंकुश शासक भी जन्मदिन पर रहमदिल व्यवहार करता है. पीएम मोदी ऐसे अहंकारी शासक हैं जिन्होंने अपने 70वें जन्मदिन पर 'काला कानून' बना किसान-मजदूर की आजीविका छीन ली. खेत खलिहान पर किए इस क्रूर आक्रमण के लिए देश, बीजेपी की सात पुश्तों को माफ नहीं करेगा. किसान विरोधी बीजेपी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी खुले तौर पर इसका विरोध किया है. आम आदमी पार्टी के प्रमुख ने ऐलान किया है कि संसद में उनकी पार्टी इन तीनों विधेयकों के खिलाफ वोट करेगी. गुरुवार सुबह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा कि खेती और किसानों से संबंधित तीन कानून संसद में लाए गए हैं जो किसान विरोधी हैं. देश भर में किसान इनका विरोध कर रहे हैं. केंद्र सरकार को इन तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए, आम आदमी पार्टी संसद में इनके विरोध में वोट करेगी.
इस बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा है. अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘जब जवान भी खिलाफ, किसान भी खिलाफ.. तब समझो दंभी सत्ता के दिन अब बचे हैं चार’.
बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस पहले जिन चीजों का समर्थन करती थी, अब उन्हीं पर राजनीति कर रही है. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसानों की भलाई के लिए काम कर रही है नड्डा ने कहा कि सरकार के इन नये प्रयासों से किसानों को बहुत फायदा मिलेगा.
जेपी नड्डा ने कहा कि ये तीनों ही अध्यादेश बहुत दूर-दृष्टि वाले हैं, इसलिए हम इन्हें बिल के रूप संसद में ला रहे हैं और पास कराने जा रहे हैं. नड्डा ने कहा कि ये तीनों ही बिल कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए बहुत लाभकारी हैं.
दरअसल, केंद्र सरकार के द्वारा कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल, आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल, मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल संसद में लाए जा रहे हैं, जिनका विरोध हो रहा है. मोदी कैबिनेट इन्हें पहले ही मंजूरी दे चुकी है.
कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया है, देश के कई शहरों में किसान इसके विरोध में सड़कों पर भी उतरे हैं. किसान संगठन, किसान व कांग्रेस समेत कुछ राजनीतिक दल इन अध्यादेशों का विरोध कर रहे है. विरोध के पीछे दलील दी जा रही है इससे मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और निजी कारोबारियों या बाहरी कंपनियों की मनमानी बढ़ जाएगी.
केंद्र सरकार में मोदी सरकार की साथी अकाली दल ने भी इन कानूनों का खुलकर विरोध किया है और खिलाफ बयान दिए हैं. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्ष पर इस मसले पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया था. साथ ही कहा था कि अकाली दल से उनकी इस मसले पर बात हो गई है.