कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोमवार को बड़ा विवाद देखने को मिला. पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने उन नेताओं को आड़े हाथ लिया जिन्होंने कार्यसमिति के पहले एक चिट्ठी लिखी थी. राहुल गांधी ने कहा कि वे इस पत्र से आहत हैं क्योंकि यह सही समय नहीं था कि इसे लिखा जाए और मीडिया में लीक किया जाए. राहुल गांधी की इस बात पर कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद ने जवाब दिया. बाद में यह विवाद सोशल मीडिया तक पहुंच गया. इस विवाद को थामने के लिए कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने एक ट्वीट किया और कहा कि राहुल गांधी ने किसी के लिए ऐसी बात नहीं कही है.
रणदीप सुरजेवाला ने कपिल सिब्बल को जवाब देते हुए ट्वीट में लिखा, राहुल गांधी ने ऐसी कोई बात (बीजेपी से मिलीभगत) नहीं कही है. मीडिया में जो गलत जानकारी फैलाई जा रही है, कृपया उससे बचें और गुमराह न हों. सुरजेवाला ने कहा, हमें सबको एकसाथ मिलकर काम करना है और मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होना है. न कि हम आपस में ही झगड़ें और खुद को व कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएं.
Sh. Rahul Gandhi hasn’t said a word of this nature nor alluded to it.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 24, 2020
Pl don’t be mislead by false media discourse or misinformation being spread.
But yes, we all need to work together in fighting the draconian Modi rule rather then fighting & hurting each other & the Congress. https://t.co/x6FvPpe7I1
आपको बता दें कि कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद उन 23 नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी से पहले चिट्ठी लिखी थी. चिट्ठी में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल खड़े किए गए और कहा गया कि इस वक्त एक ऐसे अध्यक्ष की मांग है कि जो पूर्ण रूप से पार्टी को वक्त दे सके. राहुल गांधी की बातों पर कपिल सिब्बल ने एक ट्वीट में कहा कि अगर वे बीजेपी के साथ मिले होते तो राजस्थान और मणिपुर में पार्टी को सफल नहीं होने देते. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सिब्बल ने कहा कि अगर बीजेपी से मिले होते तो पिछले 30 साल में बीजेपी के पक्ष में भी बयान देते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
बाद में कपिल सिब्बल ने अपना ट्वीट वापस ले लिया और कहा कि राहुल गांधी ने व्यक्तिगत तौर पर उन्होंने बताया कि बीजेपी से मिलने जैसी बात उन्होंने नहीं ही है. बता दें, कांग्रेस की इस बैठक में चिट्ठी को लेकर काफी विवाद हुआ और सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी. हालांकि, कई वरिष्ठ नेताओं ने ऐसा करने से इनकार किया.