बीते दिन केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के काफिले और किसानों के बीच झड़प का मामला सामने आया था. इस मसले को लेकर किसान आंदोलन और जाट राजनीति पर बात होने लगी है. इसी को लेकर आज तक ने राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के नेता जयंत चौधरी से बात की है. उन्होंने आजतक से कहा, ''नेताओं का विरोध नहीं है, किसान समझ गए हैं कि यह कानून उनके लिए नहीं बनाया गया है कुछ खास लोगों को लाभ पंहुचाने के लिए कानून बनाए गए हैं. किसान डटकर विरोध कर रहे हैं 3 महीने से सड़कों पर बैठे हैं, वह तकलीफ में हैं, आहत हैं, जिस तरीके से उनकी सड़क पर उनकी पिटाई की गई. उन्हें खालिस्तानी, आतंकवादी कहा गया, तो ये सब किसान देख रहा है, वह गुस्से में है.''
जयंत चौधरी ने आगे कहा ''आप किसी के बीच जा रहे हैं, इसका कोई विरोध नहीं है, लेकिन अगर वहां कोई किसान एकता जिंदाबाद के नारे लगा रहा है तो आप उसके साथ मारपीट करेंगे तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे.''
केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने आरोप लगाया है कि उनपर रालोद कार्यकर्ताओं ने हमला किया है, इस पर जवाब देते हुए जयंत चौधरी ने कहा ''भाई हमारा तो एक विधायक था, वो भी बीजेपी में भाग गया, हम इतने ताकतवर हैं क्या कि हम गांव-गांव में उनका विरोध करेंगे? संजीव बालियान दो बार जीते हैं, पब्लिक ने इतना ताकत दिया है अभी भी उनको मस्जिदों से डर क्यों लग रहा है? मस्जिदों में अजान हो रही है तो वो ऐसी बातें क्यों कह रहे हैं? हिंदू-मुसलमान में बांटकर जो आप राजनीति करते हैं इस बार पूरी तरीके से नाकाम रहेगी.''
जयंत चौधरी ने आगे कहा ''नेता अगर उल्टा समाज को समझाने की कोशिश करेंगे तो समाज नहीं मानेगा. किसान की एक ही बात है कि कानून वापस लो. अपनी पार्टी को मनाओ आप विधायक, सांसद, मंत्री जो भी हो, आप जनता को मनाने की कोशिश मत करो, आप अपनी पार्टी और अपनी सरकार को समझाओ. मैं तो अपने पंचायत में भाजपा नेताओं को न्योता दे रहा हूं कि वे आएं और हमारी बात सुनें, आपमें सहन करने की क्षमता होनी चाहिए, आप अपनी बुराई को सहन करें, संजीव बालियान को आज भी मैं ही मैं दिख रहा हूं, किसान की पीड़ा नहीं दिखाई दे रही.''
''हरियाणा के कृषि मंत्री ने आपत्तिजनक बयान दिया, तब आपने विरोध नहीं किया. आज आपको विरोध दिख रहा है, मैं अपील करता हूं कि बीजेपी के नेता डरे नहीं, किसानों के बीच जाएं और बोलें कि आप से गलती हुई है और अपने नेताओं को और अपने आलाकमान को जाकर समझाएं कि किसान क्या चाहता है.''
किसान आंदोलन और जाटों के समीकरण पर जवाब देते हुए जयंत चौधरी ने कहा ''इस पूरे आंदोलन को एक जाति के आंदोलन में बदलने की कोशिश की गई है. किसानों के बजाय इसे खास जाति का आंदोलन बताने की कोशिश की गई और ये उन्हें अलग-अलग करने की कोशिश है, इससे उनमें गुस्सा है. जिस तरीके से गृहमंत्री मीटिंग लेते हैं, मीटिंग में कहा जाता है जाटों को ठीक करना है, किसान से जाट और जाट से खाप और अब गोत्र पर आ रहे हैं, अंग्रेजों की तरह डिवाइड एंड रूल कर रहे हैं. सभी किसानों को जातियों में बांट रहे हैं. तो क्या किसान यह नहीं देख रहा? इसी वजह से गुस्सा पनप रहा है, जाति तक यह आंदोलन को ले जा रहे हैं, इसका विरोध है, चंद नेताओं का विरोध नहीं है.''