गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी की परेड में इस बार तमिलनाडु की झांकी को शामिल न करने पर राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है. दक्षिणी सूबे के सीएम ने झांकी को खारिज करने के लिए केंद्र सरकार की भी आलोचना की और दावा किया कि ऐसा जानबूझकर किया गया है.
दरसअल, केंद्रीय चयन समिति ने इस वर्ष दिल्ली, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल आदि की झांकियों को परेड में शामिल करने की इजाजत नहीं दी है. बताया गया कि राष्ट्रीय राजधानी के राजपथ पर सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के लिए रक्षा मंत्रालय के पास राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से 56 प्रस्ताव आए थे, जिनमें से सिर्फ 21 का चयन किया गया है, जबकि 36 प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया है.
उधर, भाषाई मुद्दे पर भी सीएम स्टालिन लगातार मुखर हैं और काफी बयानबाजी कर रहे हैं. मंगलवार को एक कार्यक्रम में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा, हम हिंदी का विरोध नहीं करते, केवल हिंदी थोपने का विरोध करते हैं. हम तमिल के चाहनेवाले हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम दूसरी भाषा से नफरत करते हैं. सिर्फ इसलिए कि हम तमिल बोलते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हम संकीर्ण सोच वाले हैं. हम न केवल हिंदी, बल्कि हम किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि भाषा सीखना एक व्यक्ति की रुचि पर निर्भर करता है, इसे कभी भी थोपा नहीं जाना चाहिए. जो लोग हिंदी को थोपना चाहते हैं, वे इसे प्रभुत्व का प्रतीक मानते हैं. सीएम स्टालिन ने आरोप लगाया कि जो ताकतें हिंदी थोपना चाहती हैं, वे हिंदी भाषी लोगों को सभी विभागों में लाना और गैर हिंदी भाषी लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहती हैं. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम नेता का कहना है कि मातृभाषा को हिंदी से बदलने का प्रयास किया जा रहा है और इसका हम विरोध जता रहे हैं.
इससे पहले, डीएमके सरकार ने बैंककर्मियों से कहा है कि बैंकों, एटीएम में तमिल भाषा का इस्तेमाल करना सुनिश्चित किया जाएगा. बैंकों की हेल्पलाइन डेस्क समेत दूसरी जगहों पर तमिल भाषा के ही जानकारों की ड्यूटी लगाई जाए.