गणतंत्र दिवस में शामिल होने वाली झांकियों (tableau republic day) को लेकर केंद्र सरकार और बंगाल-तमिलनाडु सरकार में तनाव खत्म नहीं हुआ है. गणतंत्र दिवस के लिए बंगाल ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की झांकी तैयार करने की बात कही थी. लेकिन इसे रिजेक्ट कर दिया गया, जिसपर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र को घेर लिया. ममता बनर्जी के बाद तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने भी पीएम मोदी को पत्र लिख दिया. अब केंद्र सरकार की तरफ से दोनों सीएम को पत्र लिखकर सफाई दी गई है.
आखिर यह झांकी विवाद क्या है और झांकियों का सिलेक्शन कैसे होता है, आइए यहां आपको विस्तार से समझाते हैं.
सीएम ममता बनर्जी और स्टालिन ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
26 जनवरी की परेड में बंगाल नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125वीं जयंती वर्ष पर उनके और आजाद हिन्द फौज के योगदान से जुड़ी झांकी प्रस्तुत करना चाहता था, लेकिन इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली. इसपर बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने हैरानी जताई और पीएम मोदी को पत्र लिखा. मुख्यमंत्री ने लिखा था, 'प्रस्तावित झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती वर्ष पर उनके और आजाद हिन्द फौज के योगदान तथा इस देश के महान बेटे और बेटियों ईश्वर चंद्र विद्यासागर, रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद देशबंधु चित्तरंजन दास, श्री अरबिंदो, मातंगिनी हाजरा, नजरूल, बिरसा मुंडा और कई देशभक्तों की स्मृति में बनाई गई थी.’
उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर "बार-बार" और "व्यवस्थित तरीके से" उनके इतिहास, संस्कृति और गौरव का अपमान करने का आरोप लगाया. इसके बाद स्टालिन ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखा. झांकी के रिजेक्ट होने को 'तमिलनाडु और उसके लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय' बताया गया. इस झांकी मे स्वतंत्रता सेनानी वीओ चिदंबनार, महाकवि भरतियार, रानी वेलु नचियार और मारथु बंधुओं को दिखाया गया था.
इसके बाद कांग्रेस की तरफ से अधीर रंजन चौधरी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी. केरल की झांकी भी रिजेक्ट हुई थी, वहां के नेताओं ने भी केंद्र को घेरा. लेकिन केंद्र की तरफ से साफ कहा गया कि इस मामले को क्षेत्रीय गौरव से नहीं जोड़ना चाहिए.
राजनाथ सिंह ने दिया जवाब
गणतंत्र दिवस की झांकियों पर उठे विवाद को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है. इसमें केंद्र सरकार की ओर से स्थिति स्पष्ट की गई है. ममता बनर्जी को लिखे पत्र में कहा गया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान अविस्मरणीय है. इसलिए पीएम मोदी ने 23 जनवरी को उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है. हर साल गणतंत्र दिवस समारोह अब चौबीस के बजाए उनकी जयंती यानी 23 जनवरी से शुरु होगा.
कुल 56 में से 21 प्रस्ताव ही मंजूर
आगे बताया गया कि झांकी के चयन की प्रक्रिया बेहद पारदर्शी है और सब काम एक समिति चयन करती है. कहा गया कि 2016, 2017, 2019 और 2021 में राज्य की झांकी सम्मिलित की गई थी. इस बार भी 29 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में से 12 को ही मंजूरी दी गई थी. राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से कुल 56 प्रस्ताव मिले थे जिनमें से 21 का चयन किया गया है.
बंगाल की झांकी को शामिल ना करने के पीछे एक वजह और बताई गई. कहा गया कि इस बार सीपीडब्ल्यूडी की झांकी में भी नेताजी को 125वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी गई है. उस झांकी की तस्वीर भी सामने आई है.
तमिलनाडु के सीएम स्टालिन को लिखे पत्र में कहा गया कि राज्य की झांकी के बारे में तीन बार समिति की बैठक में चर्चा हुई. इसके बाद राज्य की झांकी अंतिम 12 में जगह नहीं बना सकी. तमिलनाडु की झांकियों को 2017, 2019, 2020 और 2021 में जगह मिली थी.
गणतंत्र दिवस के लिए झांकियों का कैसे होता है सिलेक्शन
झांकियों के लिए सिलेक्शन कमेटी होती है. इसमें रक्षा मंत्रालय, कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला, नृत्यकला, आदि से जुड़े लोग होते हैं. समिति सबसे पहले प्रस्तावित झांकी के स्केच या डिजाइन की जांच करती है. यहां कोई सुझाव होता है तो वह बताया जाता है. ध्यान रखा जाता है कि डिजाइन बेहद सरल, रंगीन और आसानी से समझने में आने वाला हो. फिर उसका 3डी डाइमेंशनल मॉडल मंगाया जाता है. फिर प्रस्तावकों और समिति की मीटिंग होती है, अगर कोई प्रस्ताव मीटिंग में नहीं पहुंचता तो भी प्रस्ताव खारिज हो जाता है.
झांकी के साथ अगर कोई नृत्य होना है तो वह लोक नृत्य हो, वेशभूषा और संगीत वाद्ययंत्र पारंपरिक और प्रामाणिक हों इन बातों का ध्यान भी कमेटी रखती है. झांकी के मकसद, विचार, जनता पर पड़ने वाले असर को भी ध्यान में रखा जाता है. रक्षा मंत्रालय की तरफ से झांकी को प्रदर्शित करने के लिए एक ट्रैक्टर और ट्रॉली उपलब्ध कराई जाती है.