बिहार विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव पटना पहुंच चुके हैं. घर की दहलीज में लालू यादव के कदम पड़ने से पहले ही बिहार की राजनीति के साथ-साथ 'परिवार' में महासंग्राम छिड़ गया है. एक तरफ सहयोगी दल कांग्रेस के साथ आरजेडी के साथ रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं तो दूसरी ओर लालू परिवार में तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के बीच सियासी घमासान मचा हुआ है.
लालू परिवार में मचा घमासान
परिवार और पार्टी में पहले से ही खुद को उपेक्षित महसूस करते आ रहे तेज प्रताप यादव ने आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद के व्यवहार से आहत होकर पार्टी से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया. जगदानंद को आरजेडी से बाहर निकालने की मांग को लेकर देर रात अपने आवास के बाहर धरने पर बैठ गए. रविवार रात साढ़े नौ बजे के करीब राबड़ी देवी और लालू प्रसाद के पहुंचने पर ही तेज प्रताप माने और धरना खत्म किया.
तेज प्रताप यादव ने पहली बार भाई तेजस्वी पर खुलकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि यही रवैया रहा तो अर्जुन (तेजस्वी) गद्दी पर नहीं बैठ पाएंगे. साथ ही चेताया भी कि रवैया सुधारें, नहीं तो संघर्ष होगा. वह बच्चे नहीं हैं, अब बड़े हो गए हैं. तेज प्रताप ने खुद को संघर्ष की उपज बताया और कहा कि लगातार बोलता रहा हूं कि मुझे अपने अर्जुन को मुख्यमंत्री बनाना है, लेकिन अब दुख हो रहा है. तेजस्वी और संजय पर आरोप लगाया कि पार्टी का अपहरण कर लिया है. कहा कि संजय को साथ लेकर चलिएगा तो पार्टी का भला नहीं होगा. उन्हें कौन पहचानता है.
लालू 41 महीने के बाद पटना लौटे
बता दें कि चारा घोटाले में सजायाफ्ता और लंबे समय से बीमार चल रहे लालू प्रसाद यादव एक लंबे अरसे बाद बिहार अपने घर आए हैं. जमानत पर रिहा होने के बाद से ही लालू यादव पटना आना चाहते थे, लेकिन बीमारियों को देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें दिल्ली में ही रहने की सलाह दी थी. आखिरकार डॉक्टरों की इजाजत के बाद लालू यादव पटना पहुंचे हैं, मगर इस वक्त हालात ऐसे हैं कि उनके परिवार और सहयोगी दल के बीच घमासान छिड़ा है.
कांग्रेस और आरजेडी में रिश्ते बिगड़े
बिहार विधानसभा उपचुनाव में आरजेडी ने सहयोगी दल कांग्रेस की परवाह किए बिना तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीट पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए, जिसके बाद कांग्रेस ने भी दोनों सीट पर प्रत्याशी उतार दिए. इसके बाद से कांग्रेस और आरजेडी में नोकझोंक जारी है. लेफ्ट को अलविदा कह कर कांग्रेस का दामन थामने वाले कन्हैया कुमार ने जिस तरह से आरजेडी को लेकर निशाना साधा, उससे साफ जाहिर है कि बिहार में अब पार्टी बिना बैसाखी के सहारे संभावना तलाश रही है.
वहीं, लालू यादव ने कांग्रेस को लेकर भी अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. बिहार में महागठबंधन टूटने के सवाल पर लालू प्रसाद यादव ने तल्ख लहजे में कहा कि क्या होता है कांग्रेस का गठबंधन, हारने के लिए दे देते कांग्रेस को, जमानत जब्त कराने के लिए? इतना ही नहीं लालू ने कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास के आरजेडी पर बीजेपी से मिले होने के आरोपों पर गुस्साते हुए भक्त चरण दास को 'भकचोन्हर' (mindless) कह डाला. इस बयान को लेकर लालू यादव को दलित विरोधी बताने में कांग्रेस लेकर विपक्ष तक जुटी है.
बिहार में महागठबंधन बनाने में लालू प्रसाद यादव की महत्वपूर्ण भूमिका थी, लेकिन अब जब लालू ने कांग्रेस को लेकर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है तो निश्चित तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन की परिकल्पना को एक बड़ा झटका लग सकता है. सहयोगी दल कांग्रेस के साथ बिगड़ते रिश्ते ही लाल यादव के लिए चुनौती नहीं बल्कि लालू परिवार में भी जिस तरह से सियासी घमासान छिड़ा है, वो चिंता का सबब बना हुआ है.