सपा नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में उनकी बेटी और बीजेपी की सांसद संघमित्रा मौर्य उतर आई हैं. उन्होंने खुलकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का बचाव किया और बयान का एनालिसिस किए जाने की मांग उठाई है. संघमित्रा का कहना था कि कुछ लोग अनावश्यक मुद्दों को उठा रहे हैं और अशांति पैदा करने के लिए विवाद खड़ा रहे हैं.
बता दें कि सपा नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस की चौपाइयों को लेकर सवाल किए थे. उन्होंने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा- सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश हैं, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की चौपाई है. इसमें वह शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं.
'विशेष लाइन पर बार-बार विवाद क्यों'
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान पर समाजवादी पार्टी ने चुप्पी साध रखी है. इस बीच, स्वामी की बेटी और बीजेपी की सांसद संघमित्रा मौर्य ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा- ये विवाद का नहीं, चर्चा का विषय है. विश्लेषण किया जाना चाहिए और चर्चा की जानी चाहिए कि एक विशेष लाइन पर बार-बार क्यों विवाद हो रहा है. कुछ लोग अनावश्यक मुद्दों को उठा रहे हैं और अशांति पैदा करने के लिए विवाद खड़ा कर रहे हैं.
स्वामी प्रसाद बोले- ऐसे धर्म का सत्यानाश हो
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ब्राह्मणों को लेकर भी बयान दिया था. उन्होंने कहा- ब्राह्मण भले ही लंपट, दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है तो उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान या फिर ज्ञाता हो, उसका सम्मान मत करिए. क्या यही धर्म है? अगर यही धर्म है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं. ऐसे धर्म का सत्यानाश हो, जो हमारा सत्यानाश चाहता हो. उन्होंने कहा कि जब इनकी किसी बात पर टिप्पणी की जाती है, तो चंद मुट्ठीभर धर्म के ठेकेदार जिनकी इसी पर रोजी-रोटी चलती है वह कहते हैं कि हिंदू भावना आहत हो रही है.
'राम ना रामायण का अपमान किया, चौपाइयों पर आपत्ति'
स्वामी प्रसाद मौर्य का यह भी कहना है कि उन्होंने किसी ग्रंथ या भगवान के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है. बल्कि रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि मैं आज भी अपने बयान पर कायम हूं. हमने रामायण की उन चौपाइयों पर आपत्ति जताई है, जिसमें दलितों और पिछड़ों को अपमानित किया गया है, उस अंश को रामचरितमानस से निकालने की बात कही है.