मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक इन दिनों लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. वो एक के बाद एक बयान देकर सियासत में खलबली मचा रहे हैं, जो बीजेपी के लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है. मोदी सरकार के स्टैंड से उलट सत्यपाल मलिक ने पहले तीन केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी का भी समर्थन किया तो अब जम्मू-कश्मीर में डील और गोवा में भ्रष्टचार तक के मुद्दों को लेकर वो मुखर हैं. बीजेपी से लेकर आरएसएस के नेता को भी वो अपने निशाने पर ले रहे हैं. सत्यपाल मलिक ने पिछले काफी दिनों से बीजेपी सरकार के विपरीत रुख अख्तियार कर रखा है.
गोवा के भ्रष्टाचार को उठाया
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इंडिया टुडे पर एक इंटरव्यू में गोवा के भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि गोवा में बहुत भ्रष्टाचार है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर ध्यान देना चाहिए. मलिक ने कहा कि गोवा में बीजेपी सरकार कोविड से ठीक तरह से नहीं निपट पाई और मैं अपने इस बयान पर कायम हूं.
मलिक ने ये भी कहा कि गोवा सरकार ने जो कुछ भी किया, उसमें भ्रष्टाचार था. गोवा सरकार पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से मुझे हटा दिया गया. मैं लोहियावादी हूं, मैंने चरण सिंह के साथ वक्त बिताया है. मैं भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं कर सकता.
सत्यपाल मलिक ने कहा, 'गोवा सरकार की घर-घर राशन बांटने की योजना अव्यवहारिक थी. ये एक कंपनी के कहने पर किया गया था, जिसने सरकार को पैसे दिए थे. मुझसे कांग्रेस समेत कई लोगों ने जांच करने को कहा था. मामले की जांच की और प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी दी.'
उन्होंने कहा कि गोवा सरकार मौजूदा राज्यभवन को ढहाकर नया भवन बनाना चाहती थी, लेकिन इसकी कोई जरूरत नहीं थी. उन्होंने कहा कि ये तब प्रस्तावित किया गया था, जब सरकार वित्तीय दबाव में थी. उन्होंने कहा कि आज देश में लोग सच बोलने से डरते हैं.
कश्मीर में संघ नेता और अंबानी डील
सत्यपाल मलिक ने कुछ दिनों पहले कहा था कि जब वे जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल बने, तब उनके पास दो फाइलें आई थीं. एक फाइल में अंबानी शामिल थे जबकि दूसरी फाइल में आरएसएस के एक बड़े अफसर और महबूबा सरकार में मंत्री से जुड़ी थी. ये नेता खुद को पीएम मोदी के करीबी बताते थे. राज्यपाल ने कहा था कि जिन विभागों की ये फाइलें थीं, उनके सचिवों ने उन्हें बताया था कि इन फाइलों में घपला है और सचिवों ने उन्हें यह भी बताया कि इन दोनों फाइलों में उन्हें 150-150 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. लेकिन, उन्होंने इन दोनों फाइलों से जुड़ी डील को रद्द कर दिया था.
गवर्नर सत्यपाल मलिक ने कहा था कि मैं दोनों फाइलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गया. मैंने उन्हें बताया कि इस फाइल में घपला है, ये-ये लोग इसमें इनवॉल्व हैं. ये आपका नाम लेते हैं, आप बताएं कि मुझे क्या करना है. मैंने उनसे कहा कि फाइलों को पास नहीं करूंगा, अगर करवाना है तो मैं पद छोड़ देता हूं, दूसरे से करवा लीजिए. मैं प्रधानमंत्री की तारीफ करूंगा, उन्होंने मुझसे कहा कि सत्यपाल करप्शन पर कोई समझौता नहीं करने की जरूरत है.
गवर्नर के आरोप पर राम माधव की सफाई
राज्यपाल सतपाल मलिक द्वारा जम्मू-कश्मीर में आरएसएस के नेता पर लगाए आरोप पर राम माधव ने आजतक से कहा कि सत्यपाल मलिक तो कुछ भी बोलते रहते है. आरएसएस का कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं करेगा जैसा सत्यपाल मलिक ने आरोप लगाया है. राम माधन ने पत्रकारों से कहा कि सत्यपाल मलिक जब तक जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल रहे, तब तक हुए सभी समझौतों की फ़ाइल्स की जांच होनी चाहिए.
माधव ने कहा कि सत्यपाल मलिक ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा है कि जम्मू-कश्मीर में एक फाइल में मेरा नाम था और इस बारे में पैसे देने का भी जिक्र था. इस तरह के आरोप झूठे हैं. मेरा नाम या मेरे कहने पर किसी तरह की फाइल का सवाल ही नहीं उठता. माधव ने कहा कि उन्होंने दो समझौतों को रद्द कर दिया था, इन्हें क्यों रद्द किया गया. इस बात की जांच होनी चाहिए कि सरकार अगर कुछ समझौते कर चुकी है तो इन्हें रद्द क्यों किया गया?
जम्मू-कश्मीर में हो रही हत्याओं पर घेरा
सत्यपाल मलिक ने ये भी आरोप लगाए हैं कि जम्मू-कश्मीर में उनके राज्यपाल रहते श्रीनगर में तो क्या उसके 50-100 किमी के आसपास भी आतंकी नहीं फटक पाते थे जबकि अब राज्य में वो हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं. मलिक ने बयान के जरिए कश्मीर में आतंकी वारदातों पर अंकुश लगा पाने में बीजेपी सरकार की नाकामी पर सीधा हमला बोला. जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है. अभी इसकी कमान उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के हाथों में है. सत्यपाल मलिक इस राज्य के अंतिम राज्यपाल भी थे. उनके कार्यकाल के दौरान ही जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटाया गया था.
किसानों के समर्थन में सत्यपाल मलिक
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में भी गवर्नर सत्यपाल मलिक खुलकर खड़े हैं. उन्होंने कहा कि अगर किसानों की नहीं सुनी गई तो यह केंद्र सरकार (बीजेपी सरकार) दोबारा नहीं आएगी. मलिक ने कहा कि लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का इस्तीफा उसी दिन होना चाहिए था. वो वैसे ही मंत्री होने लायक नहीं हैं. सत्यपाल ने ये भी कहा है कि किसानों के साथ ज्यादती हो रही है. वो इतने महीने से पड़े हैं. उन्होंने घर बार छोड़ रखा है, फसल बुवाई का समय है और वो अब भी दिल्ली में पड़े हैं तो उनकी सरकार को सुनवाई करनी चाहिए.
राज्यपाल ने कहा कि वह किसानों के साथ हैं और किसानों के लिए प्रधानमंत्री, गृह मंत्री सबसे झगड़ा कर चुके हैं. सबको कह चुके हैं कि यह गलत हो रहा है. जिसकी सरकार होती है उसको बहुत घमंड होता है. वो समझते नहीं जब तक कि पूरा सत्यानाश न हो जाए. सरकारें जितनी भी होती हैं उनका मिजाज थोड़ा आसमान में हो जाता है. लेकिन, वक्त आता है फिर उनको देखना भी पड़ता है सुनना भी पड़ता है. यही सरकार का होना है. किसानों के गांव में बीजेपी नेता घुस नहीं पा रहे हैं और अगर ऐसे ही रहा तो सरकार की वापसी नहीं हो पाएगी.