सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम और केंद्र सरकार के बीच सीनियर वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का जज नियुक्त करने को लेकर चल रहे विवाद में अब कांग्रेस भी कूद गई है. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कृपाल का समर्थन करते हुए इस मामले में सरकार के रवैये पर सवाल खड़े किए हैं.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्वीट किया- रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) एक भारतीय नागरिक के सेक्सुअल ओरिएंटेशन की जांच कैसे कर रहा था? भारत में बैठा एक स्विस नागरिक भी उनके चार्टर के दायरे में नहीं आएगा. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि 2011 से मांग की जा रही थी कि आईबी, रॉ और एनटीआरओ को वैधानिक आधार पर रखने के लिए 2 प्राइवेट मेंबर बिल लाए जाएं.
उन्होंने अपने एक और ट्वीट में कहा- रॉ एक भारतीय नागरिक पर रिपोर्ट क्यों कर रहा था? भले ही सीनियर सौरभ कृपाल के साथी एक स्विस नागरिक हैं, फिर भी जांच का काम इंटेलिजेंस ब्यूरो का है, न कि रॉ का. हम वह जांच तब कर सकते हैं, जब उनके मूल देश में उनकी छवि की जांच चल रही हो.
सौरभ कृपाल समलैंगिक हैं, इसलिए केंद्र का कहना है कि समलैंगिक अधिकारों के लिए उनके ‘लगाव’ के चलते सौरभ कृपाल में पूर्वाग्रह होने की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. साथ ही केंद्र ने कृपाल के पार्टनर के स्विस नागरिक होने पर सवाल उठाए हैं.
कृपाल के नाम की दोबारा सिफारिश
केंद्र की आपत्तियों के बावजूद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनाने की फिर से सिफारिश की है. कॉलेजियम ने रॉ की आपत्तियों को खारिज कर दिया. रॉ ने समलैंगिक वकील के विदेशी पार्टनर को लेकर शक जाहिर किया था.
कॉलेजियम ने कहा कि रॉ ने जो कुछ भी बताया, उससे यह बिल्कुल नहीं लगता कि कृपाल के आचरण से राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई असर पड़ता है. पहले से यह मान लेना कि उनके पार्टनर भारत के प्रति दुश्मनी का भाव रखते होंगे, गलत है. सौरभ कृपाल के पार्टनर निकोलस जर्मेन बाकमैन स्विस नागरिक हैं. वह स्विस दूतावास में काम करते हैं.
13 अक्टूबर 2017 उनके नाम पर बनी थी सहमति
सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट में जज नियुक्ति करने के लिए 13 अक्टूबर 2017 को दिल्ली हाई कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा सर्वसम्मति से सिफारिश की गई. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने 11 नवंबर, 2021 को उनके नाम का अनुमोदन किया. इसके बाद 25 नवंबर, 2022 को उनके नाम पर पुनर्विचार के लिए फिर से प्रस्ताव भेजा लेकिन केंद्र ने आपत्ति दर्ज करा दी थी. अब कॉलेजियम ने फिर उनके नाम की सिफारिश कर दी है.