सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने अटॉर्नी जनरल के पद को ऑफर ठुकरा दिया है. केंद्र सरकार की तरफ से रोहतगी को AG की जिम्मेदारी फिर से संभालने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था. रोहतगी मोदी सरकार में 2014 से 2017 तक अटॉर्नी जनरल रहे हैं. बाद में केंद्र सरकार ने ये जिम्मेदारी केके वेणुगोपाल को सौंप दी थी.
बता दें कि वर्तमान अटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल का कार्यकाल 30 सितंबर को पूरा होने जा रहा है. वेणुगोपाल (91 साल) का पहले 30 जून को कार्यकाल खत्म होने जा रहा था. हालांकि, केंद्र सरकार ने तीन महीने के लिए कार्यकाल बढ़ा दिया था. वेणुगोपाल को मोदी सरकार ने तीसरी बार सेवा विस्तार दिया था. अब केंद्र सरकार नए अटॉर्नी जनरल की तलाश में हैं.
केंद्र सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार किया
सूत्रों का कहना है कि केंद्र ने मुकुल रोहतगी से एक बार फिर अटॉर्नी जनरल के लिए संपर्क किया था. लेकिन उन्होंने AG का पद संभालने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. रोहतगी 2014 में पहली बार मोदी सरकार बनने पर तीन साल के लिए अटॉर्नी जनरल नियुक्त किए गए थे. 2017 में कार्यकाल खत्म होने को आया तो सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ाने की पेशकश की थी. लेकिन रोहतगी ने जून 2017 में इस्तीफा दे दिया था.
केंद्र सरकार को धन्यवाद भी दिया
अब एक बार फिर केंद्र सरकार ने प्रस्ताव भेजा तो रोहतगी ने आगे जिम्मेदारी संभालने में असमर्थता जता दी है और प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. सूत्रों ने इस बात की भी पुष्टि की है कि रोहतगी ने केंद्र को अपने फैसले से अवगत करा दिया है और प्रस्ताव देने के लिए धन्यवाद भी दिया है.
जानिए अटॉर्नी जनरल के बारे में...
अटॉर्नी जनरल (देश के महान्यायवादी) केंद्र सरकार के लिए देश के सबसे शीर्ष विधि अधिकारी और मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं. ये सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण मामलों में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं. कोर्ट भी अक्सर पेचीदा मसलों पर अटॉर्नी जनरल की राय लेती है. कई बार राष्ट्रपति भी किसी कानूनी या संवैधानिक मसले पर अटॉर्नी जनरल से सलाह मशविरा करते हैं. पिछली साल भी जून में अपनी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए वेणुगोपाल ने आगे दोबारा एक्सटेंशन न देने का आग्रह सरकार से किया था. लेकिन सरकार का प्रबल आग्रह था कि वेणुगोपाल पद पर बने रहें. इसके लिए गृहमंत्री खुद उनके घर भी गए थे.