समाजवादी नेता शरद यादव न सिर्फ अच्छे नेता, बल्कि अच्छे वक्ता भी थे. करीब पचास सालों तक राजनीतिक पारी खेलने के बाद गुरुवार रात उनका निधन हो गया. शरद यादव को एक ऐसे राजनेता के तौर पर याद किया जाएगा जिन्होंने सिर्फ सरकारों को बनाने और गिराने तक ही अहम भूमिका नहीं निभाई बल्कि वो अपने अक्खड़ स्वभाव और सीधे बेबाक बोल के लिए भी जाने जाते रहे. संसद के अंदर जब बोलने खड़े होते थे तो विपक्ष के दांत खट्टे कर देते थे. कालाधन, नोटबंदी, अरविंद केजरीवाल और विजय माल्या को लेकर संसद में शरद यादव के दिए भाषण ऐतिहासिक रहे हैं.
नोटबंदी पर शरद यादव का भाषण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 के शाम आठ बजे पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटबंद कर दिए थे. मोदी के इस फैसला को लेकर शरद यादव ने जमकर आलोचना की थी. शरद यादव ने राज्यसभा में कहा था, 'मुझे नहीं लगता है कि अरुण जेटली को पता है नोटबंदी का. इनको बताया था कि नहीं बताया था. इनको पता होता तो ये हमारे मित्र हैं तो हमको जरूर बताते. अब इन्होंने हमको तो बताया नहीं.
तत्कालीन आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल का नाम लेते हुए कहा कि ये उर्जित पटेल का दस्तखत नोट पर है, जोकि 2 महीने पहले हैं, जबिक प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि हमने छह महीने पहले चुपचाप ये काम कर लिया, हम छह महीने से लगे थे. अकेले लगे थे, आपको साथ लेकर लगे थे या उर्जित पटेल के साथ या फिर रघुराम राजन के साथ लगे थे. किसके-किसके साथ लगे थे. सदन में एक वाकये का जिक्र करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली से कहा कि हमने दो बार आपकी दोस्ती के चलते भारत बंद कराया था, लेकिन इस बार तो आपने पूरा भारत बंद करा दिया. भारत बंद करके पूरा भारत लाइन में खड़ा कर दिया.
कालाधन पर साधा निशाना
कालेधन पर शरद यादव ने संसद में कहा था, 'मैं कालेधन से तंग और परेशान हूं कि ये फालतू और निर्थक और काली बहस है कि मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि आप खरगोश भी नहीं ला पाओगे. पैसे लाने तो छोड़िए आप फूटी कोड़ी भी नहीं ला पाओगे. जिस हालत में ये देश है, ये यूरोप और अमेरिका नहीं है, उनके देश का पैसा अगर कोई ले गया होता और जमा होता तो वो ले लेते. कालेधन को लेकर बकवास बंद होनी चाहिए. वित्त मंत्री गजब आदमी है. आप जितने दिन तक बहस चलाओगे, उतने दिन तो वो जवाब दे सकता है. सच और झूठ को हम कभी अलग नहीं कर पाए.'
शरद यादव ने कहा, 'मंत्री रविशंकर जी से कहना चाहता हूं कि अपनी डायरी में नोट कर लें कि ये देश सामर्थ्यवान नहीं है कि जिस देश की 80 फीसदी आबादी घिसट-घिसट कर जी रही है. उस देश की विदेश नीति कभी भी बाहर धक्का देकर नहीं चल सकती है. भले हम जलसे करवा लें और 68 साल से वही हो रहा है. जी-20 में हमने ललकारकर बोल दिया कि कालाधन वापस लाएंगे. आपकी सरकार से कहना चाहता हूं कि चुनाव के समय कम से कम यही कह देते कि हम एनपीए वसूल करेंगे. साधारण आदमी बैंक का पैसा वापस कर देता है इसीलिए बैंक बचे हुए हैं. कालाधन आपसे आने वाला नहीं है, इसलिए आप तो बस बेरोजगारों को रोजगार दो.
लोकपाल को लेकर केजरीवाल पर किए हमले
जन लोकपाल की मांग को लेकर अरविंद केजरीवाल ने तमाम राजनीतिक पार्टियों को निशाने पर लिया था. शरद यादव ने संसद में कहा था, ' लोकपाल के आने के बाद इसमें जो काम थोड़ा बहुत हो रहा था देश में, जितने भी भ्रष्टाचार के केस हैं वो कोई दूसरा आदमी ने नहीं लिए, यही सदन है, जिसने भ्रष्टाचार के मामले को उठाकर कई भ्रष्टाचारियों को अंदर करने का काम किया है. इस सदन से बाहर ऐसी संस्था खड़ी कर रहे हैं, मैं प्राइम मिनिस्टर का विरोध करता रहा हूं, लेकिन प्रधानमंत्री की संस्था को भी उनके हाथ में दे दिया. दुनिया में कोई पीएम इसके दायरे में नहीं आता.'
शरद यादव ने कहा था, 'मेरे पास लोकपाल बनाने वाले लोग आए थे. मैंने कहा पीएम को लोकपाल बिल से निकालो. ये देश ऐसी स्थिति में है कि इसमें प्राइम मिनिस्टर को मत रखिए, लेकिन इन्होंने उस बिल में प्रधानमंत्री को रख दिया. अगर पीएम को उसमें रख दिया तो उसकी जवाबदेही संसद से नहीं, उस संस्था के प्रति हो जाएगी. लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही कुछ लोग डिस्क्रेडिट करने में जुटे हैं, लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि इसी संसद ने 9 सदस्यों को बाहर किया है. लोकतंत्र के चलते ही एक गरीब, दलित और ओबीसी का बेटा संसद में पहुंच पा रहा है.'
पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने कहा था, 'एक बात और जान लीजिए कि 1991 से जो बाजार आया है. उसने राजनीतिक चुने हुए व्यक्तियों को निकम्मा और पंगा बना दिया है कि कोई काम नहीं होता है. थोड़ा-बहुत जो काम हो रहा था, वो भी बंद हो जाएगा. इस गरीब देश में इतनी बड़ी संस्था खड़ी कर रहे हैं आप. इस बिल के बाद चुने हुए लोगों का कोई मतलब नहीं होगा. लोकपाल को सजा देने का अधिकार दे रहे हैं. आप ऐसा काम कर रहे हो कि मैं नहीं मानता कि ये देश को सही रास्ते पर लेकर जाएगा. महात्मा बुद्ध ने कहा कि समाज अच्छा होगा तो व्यक्ति अच्छा होगा. आप समाज अच्छा नहीं बनाना चाहते हैं. उसकी विषमता पर नहीं बोलना चाहते हैं. बहस किए बगैर आप लोकपाल को पास कर रहे हैं, भ्रष्टाचार इस रास्ते से नहीं मिटेगा.
माल्या के बहाने शरद यादव का हमला
शराब कारोबारी विजय माल्या राज्यसभा सदस्य चुनकर आए थे, लेकिन बाद में देश छोड़कर फरार हो गए थे. विजय माल्या के बहाने शरद यादव ने मोदी सरकार को घेरा ही साथ ही इस तरह के लोगों के सदन में आने पर भी सवाल खड़े किए. शरद यादव ने कहा था,'विजय माल्या जैसे लोगों पर जब सरकार मेहराबन होगी, तो यही होगा. विजय माल्या लोफर आदमी है. इसको पकड़ना चाहिए. मैंने पहले ही कहा था कि ये भाग जाएगा. सरकार माल्या को वापस लाने के लिए क्या कदम उठा रही है तो यह बात तो सदन को बताए. विजय माल्या के चलते देश की बैंकिंग पर बुरा असर पड़ा.' शरद ने कहा था कि ऐसे धनाढ्य जब पैसे के बल पर संसद में आएंगे तो यही करेंगे.