पूर्व केंद्रीय मंत्री और लगातार 13 साल जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे शरद यादव का निधन हो गया है. शरद यादव का जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था. वह छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे. समाजवादी नेता और पूर्व सांसद शरद यादव की कर्मभूमि जबलपुर भी रहा है.
जबलपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके शरद यादव का राजनीतिक सफर 1970 में तब शुरू हुआ, ज़ब मीसा लगाकर उन्हें जेल भेज दिया गया. इसके बाद 1972 और 1975 में जबलपुर पुलिस ने मीसा में उन्हें गिरफ्तार किया था. इतना ही नहीं, शरद यादव आपातकाल में 19 महीने जेल में भी रहे.
जबलपुर में छात्र राजनीति का प्रमुख गढ़ माने जाने वाले मालवीय चौक पर देर रात तक छात्र नेताओं और उनके समर्थकों का जमावड़ा रहता था. उन सबके बीच शरद यादव आकर्षण का केंद्र रहते थे. सैकड़ों छात्र शरद यादव के जुझारू विचारों से प्रभावित थे. महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने का रास्ता भी शरद यादव ने ही दिखाया था. इतना ही नहीं, छात्रों को पढ़ने के साथ जनआंदोलन से जुड़ने का रास्ता भी शरद यादव ने दिखाया था.
डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित शरद यादव ने 1974 में जबलपुर संसदीय क्षेत्र से पहला चुनाव लड़ा था. यह सीट स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सेठ गोविन्द दास के निधन से खाली हुई थी. तब जनता ने नारा दिया था एक नोट एक वोट... फिर शरद यादव ने आपातकाल के बाद 1977 में हुआ लोकसभा चुनाव भी लड़ा और जीता.
1980 में चुनाव हारने के बाद शरद यादव ने अमेठी (उत्तरप्रदेश) में राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. शरद यादव उन विरले नेताओं में हैं, जिन्होंने तीन राज्यों से लोकसभा चुनाव लड़ा.
राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के बाद भी शरद यादव का जबलपुर से लगाव बना रहा. दिल्ली के लिए सीधी ट्रेन चलवाने के साथ ही जबलपुर रेल जोन, हवाई सेवा, जबलपुर-गोंदिया नैरोगेज रेल लाइन को ब्रॉडगेज और ट्रिपल आईटीडीएम खुलवाने के लिए शरद यादव को याद किया जाएगा.
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