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शशि थरूर कांग्रेस से नाराज हैं या पार्टी उनसे? क्यों खुलकर सामने आ गई लड़ाई, पूरा बैकग्राउंड समझिए 

शशि थरूर की राहुल गांधी से मुलाकात और इसके बाद उनके दो बयान, कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई खुलकर सामने आ गई है. अब सवाल है कि शशि थरूर कांग्रेस से नाराज हैं या पार्टी उनसे?

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शशि थरूर, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी (फोटोः पीटीआई)
शशि थरूर, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी (फोटोः पीटीआई)

लोकसभा चुनाव में दमदार वापसी के संकेत के बाद हरियाणा से महाराष्ट्र तक हार के ट्रैक पर लौटी कांग्रेस में अब समुद्रतटीय राज्य केरल से  सियासी बवंडर उठ गया है. केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने हाल ही में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मुलाकात की, दो बयान दिए और हत्थे से उखड़े नजर आए. थरूर के बयानों पर केरल कांग्रेस ने लक्ष्मण रेखा याद दिलाई है. अब सवाल है कि शशि थरूर कांग्रेस से नाराज हैं या कांग्रेस थरूर से? कांग्रेस के भीतर की ये लड़ाई क्यों खुलकर सामने आ गई है?

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थरूर के बयान और राहुल गांधी से मुलाकात

शशि थरूर ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की सराहना करते हुए कहा था कि मुझे लगता है कि इसके नतीजे बहुत अच्छे हैं. पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले चौथे नेता हैं, ये भारत की वैश्विक स्थिति को दर्शाता है. उन्होंने एक लेख में निवेश के अनुकूल नीतियों और स्टार्टअप इनिशिएटिव के लिए केरल की लेफ्ट सरकार की भी तारीफ की थी. पीएम मोदी के अमेरिका दौरे और लेफ्ट सरकार के कामकाज की तारीफ करने के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शशि थरूर को तलब किया था.

शशि थरूर ने 18 फरवरी को राहुल गांधी से मुलाकात की थी. राहुल गांधी से मुलाकात के बाद शशि थरूर हत्थे से उखड़े नजर आ रहे हैं. उन्होंने अब ये तक कह दिया है कि अगर पार्टी को मेरी जरूरत नहीं है तो मेरे पास अन्य विकल्प भी हैं. शशि थरूर ने केरल में नए मतदाताओं को कांग्रेस से जोड़ने, अपना वोटर बेस बढ़ाने का आह्वान करते हुए यह भी कहा था कि पार्टी की केरल यूनिट को एक अच्छे लीडर की जरूरत है. उन्होंने स्वतंत्र संगठनों की ओर से कराए गए सर्वे का हवाला देते हुए नेतृत्व के लिए लगे हाथ अपनी दावेदारी भी ठोक दी.

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थरूर कांग्रेस से नाराज हैं कांग्रेस थरूर से?

शशि थरूर के इस बयान कि पार्टी को मेरी जरूरत नहीं तो अन्य विकल्प भी हैं, इससे उनकी नाराजगी के चर्चे आम हो गए हैं. कांग्रेस आलाकमान और शशि थरूर, दोनों के बीच संबंधों का समीकरण समझने के लिए थोड़ा पीछे चलना होगा. शशि थरूर पिछले कुछ समय से हाशिए पर चल रहे हैं. वह सीडब्ल्यूसी में हैं लेकिन कोई एक्टिव रोल नहीं है. शशि थरूर ने पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और अब 2026 के केरल चुनाव से पहले नेतृत्व की जरूरत बता इसके लिए सर्वे में लोकप्रियता के आधार पर अपनी दावेदारी भी ठोक दी है.

शशि थरूर एक्टिव लीडरशिप रोल चाहते हैं. केरल में नेतृत्व की लड़ाई पहले से ही रमेश चेन्निथला और केसी वेणुगोपाल के गुटों के बीच चल रही है. केसी वेणुगोपाल, राहुल गांधी और गांधी परिवार के करीबियों में गिने जाते हैं. राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान शशि थरूर ने पार्टी में अनदेखा किए जाने की शिकायत करते हुए अपनी भूमिका स्पष्ट करने की मांग की है. विपक्ष के नेता से हुई मुलाकात के बाद शशि थरूर ने सोशल मीडिया पर अंग्रेजी कवि थॉमस ग्रे की एक कविता का कोट शेयर किया था- 'जहां अज्ञानता आनंद है, वहां बुद्धिमान होना मूर्खता है'. इसे भी कांग्रेस से जोड़कर ही देखा गया.

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शशि थरूर अब केरल कांग्रेस में ही सही, एक्टिव लीडरशिप चाहते हैं तो वहीं केरल कांग्रेस की कोशिश उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में ही धकेले रखने की है. केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मुरलीधरन ने खुलकर कह दिया कि उनका (शशि थरूर का) उपयोग उपयोग राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए किया जाना चाहिए. केरल में, हमारे जैसेय कार्यकर्ता पार्टी का काम करने के लिए हैं.

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ये तो हुई शशि थरूर और केरल कांग्रेस की बात. अब कांग्रेस आलाकमान के नजरिये से देखें तो उसकी थरूर से नाराजगी के भी कई कारण हैं. शशि थरूर डिप्लोमेट से राजनेता बने हैं और सियासत में भी वह कई बार पार्टी के स्टैंड से इतर डिप्लोमैटिक स्टैंड पर खड़े नजर आते हैं. कभी विरोधियों की तारीफ कर जाते हैं तो कभी ऐसा कोई बयान दे जाते हैं जिसका फायदा विरोधी दल और नुकसान अपनी पार्टी के हिस्से आ जाता है. पीएम मोदी और केरल की एलडीएफ सरकार को लेकर बयान और लेख तो महज ताजा उदाहरण भर हैं.

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कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी की एक वजह शशि थरूर का उपन्यास 'द ग्रेट इंडियन नॉवेल' भी है. इस उपन्यास में थरूर ने 15 अगस्त 1947 को मिली आजादी का जिक्र करते हुए लिखा है कि भारत का नेतृत्व धृतराष्ट्र ने संभाला. इसे आधार बनाकर भी विपक्ष कांग्रेस पार्टी को घेरता रहा है. संसद में थरूर के उपन्यास के पृष्ठ संख्या 245 के इस कथानक को आधार बनाकर बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस और गांधी परिवार को जमकर घेरा था. शायद यही वजह थी कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में जब अशोक गहलोत के नाम की चर्चा जोरों पर थी, शशि थरूर के मैदान में उतर आने के बाद गांधी परिवार ने मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम बढ़ा दिया. 

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