कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच हो गई है. इसके साथ ही एक उम्मीदवार का नामांकन कैंसिल हो गया है. जिसके बाद अब इस पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच मुकाबला देखा जा रहा है. वहीं तीसरे प्रत्याशी झारखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री केएन त्रिपाठी इस रेस से बाहर हो गए हैं. इस बीच चुनाव से पहले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि कोई भी अध्यक्ष गांधी परिवार को गुडबाय नहीं कहेगा.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के बाद गांधी परिवार की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर शशि थरूर कहा, "गांधी परिवार और कांग्रेस का डीएनए एक ही है... गांधी परिवार को 'अलविदा' कहने के लिए कोई (पार्टी) अध्यक्ष इतना मूर्ख नहीं है. वे हमारे लिए बहुत बड़ी संपत्ति हैं..."
इसके अलावा उन्होंने ट्वीट कर अपने और खड़गे के चुनाव लड़ने की भी बात कही. उन्होंने लिखा, "यह जानकर प्रसन्नता हुई कि, जांच के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे और मेरे बीच अध्यक्ष पद के लिए मैत्रीपूर्ण प्रतियोगिता होगी. कांग्रेस और हमारे सभी सहयोगियों को इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया से लाभ मिले!"
Delighted to learn that, following scrutiny, Shri @kharge and I will be squaring off in the friendly contest for President of @incIndia. May the Party and all our colleagues benefit from this democratic process! pic.twitter.com/X9XAyy8JCB
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 1, 2022
थरूर ने अपने प्रस्तावकों की सूची जारी की
शशि थरूर ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने वाले 60 प्रतिनिधियों की सूची साझा की है. ट्वीट के साथ लिस्ट शेयर करते हुए उन्होंने कहा, "मैं अपने 60 नोमिनी प्रस्तुत करता हूं. 12 राज्य, हर नेतृत्व के लोग, लेकिन सभी सम्मानित कांग्रेस कार्यकर्तओं का मुझपर विश्वास जताने के लिए मैं उन्हें और उन हजारों कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देता हूं. आपके अटूट समर्थन के लिए मेरे संसदीय साथियों धन्यवाद."
I present my 60 nominees. 12 states, all levels of leadership but all proud @INCIndia workers. I thank them & the thousands of workers they represent for the faith they have placed in me. Thanks, my Parliamentrary colleagues, for yr unwavering support. #ThinkTharoorThinkTomorrow pic.twitter.com/qbml84m4Vk
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 1, 2022
अब पार्टी के युवाओं को सुनने का समय आ गया- थरूर
नागपुर में कांग्रेस शशि थरूर ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे का आत्मविश्वास अच्छा है. मुझे विश्वास है कि कुछ लोग हैं, जो मेरी बात भी सुनेंगे. बड़े नेता स्वाभाविक रूप से पार्टी में अन्य बड़े नेताओं के साथ खड़े हो सकते हैं, लेकिन मेरे साथ विभिन्न राज्यों के पार्टी के कार्यकर्ता हैं. हम बड़े नेताओं को सम्मान देते हैं लेकिन पार्टी में युवाओं को सुनने का समय आ गया है. हम पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को बदलने के लिए काम करेंगे और पार्टी के कार्यकर्ताओं को यह महत्व दिया जाना चाहिए.
20 फॉर्म में से 4 फॉर्म्स में मिली गड़बड़ी
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उम्मीदवारों के फॉर्म की जांच की जा चुकी है. इनमें 20 फॉर्म्स में से 4 में फॉर्म्स में हस्ताक्षर में भिन्नता पाई गई, जिसकी वजह से उन्हें अस्वीकृत कर दिया गया. अब इस चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर आमने-सामने होंगे. झारखंड के प्रत्याशी केएन त्रिपाठी का फॉर्म रिजेक्ट हो गया. दरअसल, खड़गे और थरूर ने गलती की गुंजाइश को देखते हुए एक से अधिक फॉर्म दाखिल किए थे.
1939 में पहली बार हुआ था अध्यक्ष पद के लिए चुनाव
-रिकॉर्ड से पता चलता है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पहला सीरियस कंटेस्ट 1939 में सुभाष चंद्र बोस और पट्टाभि सीतारामय्या के बीच हुआ था. बाद में गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने समर्थन दिया, लेकिन बोस जीत गए.
- 1950 में फिर से इस पद के लिए चुनाव नासिक अधिवेशन से पहले जेबी कृपलानी और पुरुषोत्तम दास टंडन के बीच लड़ा गया था. टंडन विजयी रहे लेकिन बाद में उन्होंने तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू के साथ मतभेदों के बाद इस्तीफा दे दिया.
-नेहरू ने 1951 और 1955 के बीच पार्टी प्रमुख और पीएम के दो पदों पर कार्य किया. नेहरू ने 1955 में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया और यूएन ढेबर उनके उत्तराधिकारी बने.
- 1947 और 1964 के बीच और फिर 1971 से 1977 तक ज्यादातर पार्टी अध्यक्ष प्रधानमंत्री के उम्मीदवार थे. 1997 में सीताराम केसरी ने प्रतिद्वंद्वियों शरद पवार और राजेश पायलट को हराकर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जीता.
- बाद में केसरी को मार्च 1998 में CWC के प्रस्ताव के जरिए कुर्सी से हटा दिया गया और एक साल पहले ही AICC की प्राथमिक सदस्य बनी सोनिया गांधी को पद संभालने का ऑफर किया गया. सोनिया 6 अप्रैल 1998 को औपचारिक रूप से अध्यक्ष चुनी गईं.
-बाद में 2017-2019 में एक ब्रेक लिया. सोनिया सबसे लंबे समय तक सेवा देने वालीं पार्टी नेता हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.
- 2000 में जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया को चुनौती दी और हार गए. 22 साल से इस पद के लिए कोई मुकाबला नहीं हुआ है. राहुल 2017 में सर्वसम्मति से चुने गए थे.