पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर 15 जून को विपक्ष दलों की एक कॉन्फ्रेंस बुलाई है. ममता बनर्जी की ओर से जारी किए गए एक आमंत्रण पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, सीपीआईएम के नेता सीताराम येचुरी सहित विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं और मुख्यमंत्रियों को न्योता दिया है. लेकिन ममता बनर्जी की इस कवायद को बड़ा झटका लगता दिख रहा है. ममता बनर्जी की इस कवायद से विपक्ष के नेता खुश नहीं हैं. सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी ने तो ममता के इस कदम को विपक्षी एकता के लिए ठीक नहीं बताया है.
सीताराम येचुरी ने कहा, 'ममता बनर्जी की इस तरह की एकतरफा कोशिश राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्ष की एकता को नुकसान पहुंचाएगा.' येचुरी ने कहा कि सोशल मीडिया से पता चला है कि ऐसा ही एक पत्र मुझे भी भेजा गया है. सामान्य तौर पर ऐसी बैठकें आपसी सहमति के बाद होती हैं. येचुरी ने कहा कि ममता बनर्जी ने एकतरफा लेटर जारी कर दिया है. ये पूरी तरह से असामान्य है. अभी सारा ध्यान विपक्षी दलों को संगठित करना है. किसी भी तरह का एकतरफा कदम सिर्फ विपक्षी एकता को नुकसान पहुंचाएगा.
ममता बनर्जी के इस कदम की आलोचना न सिर्फ सीपीआईएम नेता ने किया है बल्कि शिवसेना भी कन्नी काट रही है. पार्टी के प्रवक्ता संजय राऊत ने कहा है कि इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे अयोध्या दौरे पर होंगे. पार्टी को कोई दूसरा बड़ा नेता इस बैठक में हिस्सा लेने जाएगा.
वहीं सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस बीच विपक्ष के नेताओं शरद पवार, एमके स्टालिन, सीताराम येचुरी से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बात की है. कांग्रेस कार्यसमिति के एक सदस्य ने बताया है कि कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे को राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष के नेताओं से बात करनी की जिम्मेदारी दी गई है ताकि एक आम सहमति से एक उम्मीदवार उतारा जा सके. वहीं सूत्रों का ये भी कहना है कि ममता बनर्जी की ओर से भेजे गए पत्र पर विपक्ष के कई नेता खुश नहीं है. उनका मानना है कि ममता बनर्जी खुद को बीजेपी के खिलाफ मोर्चे का सबसे बड़े नेता के तौर पर दिखाने की कोशिश कर रही हैं.