महाराष्ट्र (Maharashtra) में दो दिन का मॉनसूत्र शुरू (Monsoon Session) होने वाला है और सत्र के दौरान महाविकास अघाड़ी (MVA) के नेता अनिल देशमुख, अनिल परब और अजित पवार के खिलाफ ED की जांच पर हंगामा होने की संभावना है. सामना ने सोमवार को अपने संपादकीय में लिखा, "विपक्ष को सरकार को मुद्दों पर घेरना चाहिए, लेकिन उसके लिए सबूत और फैक्ट्स भी होने चाहिए. विपक्ष को सरकार बनाने के सपने से बाहर आना चाहिए और सरकार के साथ जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए."
सामना में लिखा है, "सरकार गिराने के सपने से बाहर आने को विपक्ष तैयार नहीं है. उनकी हालत 'बेघर' और 'बेकार' जैसी हो गई है." संपादकीय में तीखी टिप्पणी करते हुए लिखा गया है "यहां तक कि अब तक तो हाईकोर्ट ने भी कह दिया है कि बेघरों और बेकारों को देश के लिए कुछ तो काम करना चाहिए. सरकार सब कुछ उपलब्ध नहीं करा सकती. सत्ता की छत ओढ़ने से बेघर और बेकार हुए विपक्ष को भी राज्य के लिए कुछ काम करना चाहिए."
ये भी पढ़ें-- शिवसेना से फिर गठबंधन के सवाल पर फडणवीस- मतभेद हैं लेकिन हम दुश्मन नहीं
BJP MLC पर जांच की मांग
सामना में बीजेपी विधान परिषद के सदस्य प्रसाद लाड़ पर 100 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगाया है. सामना में लिखे संपादकीय में शिवसेना ने आरोप लगाया गया है कि प्रसाद लाड़ की कंपनी क्रिस्टन इंटीग्रेटेड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड ने सरकारी फंड में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का गबन किया है. आगे लिखा है कि अगर इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) जांच नहीं करती है तो राज्य की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) को जांच करनी चाहिए.
सामना में लिखा है कि महाराष्ट्र सरकार इतनी कमजोर नहीं है कि ED की जांच से गिर जाएगी. संपादकीय में ये भी लिखा है कि MVA के नेताओं के खिलाफ ED की जांच का जवाब बीजेपी (BJP) नेताओं के खिलाफ जांच से दिया जाएगा.
केंद्र के निकम्मेपन से समस्याएं बढ़ीं
सामना में केंद्र सरकार पर भी आरोप लगाए गए हैं. इसमें लिखा है कि महाराष्ट्र के सामने आज जो समस्याएं हैं, उसमें आधी से ज्यादा समस्याएं केंद्र के निकम्मेपन के कारण पैदा हुई हैं. इसमें लिखा है, "मराठा आरक्षण और ओबीसी आरक्षण को कोर्ट के आदेश पर खारिज कर दिया गया है. अब ये मुद्दा केंद्र के पाले में है. अगर विरोध करना ही है तो केंद्र सरकार के खिलाफ कीजिए."