शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर तीखे हमले किए गए हैं. सामना में लिखा गया है कि कोरोना जिस तेजी से हिंदुस्तान में फैल रहा है, उससे पूरा विश्व संकट में आएगा, इसलिए हिंदुस्तान को कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए देश ज्यादा से ज्यादा मदद करें, ऐसा यूनिसेफ ने कहा है.
ये भी लिखा गया है कि इस तरह के संकट पाकिस्तान, रवांडा, कांगो जैसे देशों पर आता था, लेकिन आज राजनेताओं की गलत नीतियों के कारण ये समय खुद को आत्मनिर्भर कहलाने वाले हिंदुस्तान पर आया है. तंज कसते हुए ये भी लिखा गया है कि गरीब देश आत्मनिर्भर भारत की मदद कर रहे हैं, तब भी पीएम सेंट्रल विस्टा का काम रोकने को तैयार नहीं हैं.
'नेहरू-गांधी की व्यवस्था पर टिका है देश'
सामना में लिखा गया है, "बांग्लादेश ने हिंदुस्तान को 10 हजार रेमडेसिवीर वायल दान के रूप में भेजी है. भूटान जैसे देश ने ऑक्सीजन भेजा है. नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका जैसे देशों ने भी आत्मनिर्भर हिंदुस्तान को मदद का हाथ बढ़ाया है. स्पष्ट कहें तो आज भी हिंदुस्तान नेहरू-गांधी द्वारा निर्माण की गई व्यवस्था पर ही टिका हुआ है. नहीं तो कोरोना की लहर में सवा सौ करोड़ लोग कब का खत्म हो गए होते. हिंदुस्तान में जल रही चिताओं का धुंआ अगल-बगल के देशों का दम घोंट रहा है. इस धुएं से कोरोना अपने देश में फैले नहीं, इसके लिए कई गरीब देश भी हिंदुस्तान की दयाभावना से मदद कर रहे हैं."
'पीएम तब भी सेंट्रल विस्टा का काम नहीं रोक रहे'
सामना में आगे लिखा गया है, "गोर-गरीब देश हमें अपनी हैसियत के हिसाब से छोटी-मोटी सहायता कर रहे हैं, तो भी हमारे सम्माननीय प्रधानमंत्री महोदय 20 हजार करोड़ के महत्वाकांक्षी ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को रोकने के लिए तैयार नहीं हैं. दिल्ली में नया संसद भवन, उसमें प्रधानमंत्री का नया-नवेला महल, इन योजनाओं पर हजारों करोड़ रुपए बर्बाद करना और फिर बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका जैसे देशों से कोरोना निवारण के लिए मदद स्वीकारना, इसका दुख किसी को नहीं, इस पर आश्चर्य होता है."
लिखा है कि "देश की अवस्था भयावह बनी हुई है. इस भय का सदमा हमारे दिल्लीश्वर ने कितना लिया, ये कहा नहीं जा सकता लेकिन विश्व ने हिंदुस्तान की इस परिस्थिति का बड़ा ही सदमा लिया है. कोरोना की दूसरी लहर के बीच तीसरी लहर का झटका इससे ज्यादा जोरों में लगेगा, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है, लेकिन भाजपा के लोग आज भी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की राजनीतिक घेराबंदी करने से बाज नहीं आ रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय कोरोना को लेकर रोज केंद्र सरकार पर हंटर बरसा रहा है. कोई संवेदनशील या राष्ट्रभक्त सरकार होती तो राजनीतिक हानि-लाभ का विचार किए बिना सभी पार्टियों के प्रमुखों की एक राष्ट्रीय टीम बनाती और इस संकट से कैसे लड़ा जाए, इस पर सलाह-मशविरा करती, लेकिन बंगाल में एक राज्यमंत्री की गाड़ी पर पत्थर पड़ने का बहाना बनाकर केंद्र सरकार मौन हो गई है."
'स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह असफल साबित हुआ'
लेख में आगे लिखा गया है कि "कोरोना का संकट इतना गहरा है और सर्वोच्च न्यायालय का हंटर इतनी जोर से पड़ रहा है कि उससे सरकार का पूरा वस्त्रहरण हो गया है. इस वजह से कोरोना के मामले में सरकार एक भी शब्द न बोले, ऐसी परिस्थिति हो गई है. उत्तर प्रदेश में श्रीराम मंदिर निर्माण का भूमिपूजन उत्सव कोरोना काल में ही किया. उसी उत्तर प्रदेश में भाजपा के विधायक कोरोना से मरते हुए दिखाई दे रहे हैं. सभी ओर भय और अफरा-तफरी का माहौल है. सरकार का दिमाग चलना या तो बंद हो गया है या फिर सरकार ने संकट के समय हथियार डाल दिए हैं. देश का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से असफल साबित होने का ही यह प्रमाण है."
'हर घंटे 150 लोगों की जान जा रही'
सामना ने लिखा, "हिंदुस्तान में पिछले 10 दिनों में सबसे अधिक कोरोना से हुई मौतों का वैश्विक रिकॉर्ड है. देश में हर घंटे में 150 लोगों की कोरोना से मौत हो रही है. पिछले 10 दिनों में हिंदुस्तान में 36,110 लोगों की कोरोना से मौत हो गई है. यह आंकड़ा धड़कनें बढ़ाने वाला है. अमेरिका, ब्राजील को हमने पीछे छोड़ दिया है. विश्व को अब हिंदुस्तान का भय लगने लगा है. हिंदुस्तान में जाने से लेकर व्यापार-उद्योग करने तक उन देशों ने अपने लोगों को रोक दिया है. हिंदुस्तान में हवाई यात्रा करने पर प्रतिबंध लगाया है. इसका आर्थिक नुकसान हिंदुस्तान को हो रहा है. फिर भी देश टिका हुआ है तो 70 वर्षों से पंडित नेहरू, शास्त्री, इंदिरा जी, राजीव गांधी, नरसिंहराव, मनमोहन सिंह द्वारा बनाई गई योजना, परियोजना और आत्मविश्वास पर ही. यह बड़ा पुण्य है. प्रधानमंत्री मोदी को देश संवारने के लिए कठोर परिश्रम और राजनीति रहित राष्ट्रवाद का विचार करना होगा. वैश्विक स्तर पर हिंदुस्तान की स्थिति विकट होना ठीक नहीं."