कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटिल ने गुरुवार को एक किताब के विमोचन के दौरान विवादित बयान दिया था. उन्होंने कह दिया था कि सिर्फ कुरान में जिहाद की बात नहीं हुई है, बल्कि गीता में भी इसका जिक्र किया गया है. उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में सियासी भूचाल ला दिया और बीजेपी ने भी चुनावी मौसम में इसे बड़ा मुद्दा बनाया. अब कांग्रेस की तरफ से शिवराज पाटिल के बयान पर सफाई पेश की गई है.
गीता तो संस्कृति का अहम हिस्सा- जयराम
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा है कि मेरे एक साथी ने भगवत गीता को लेकर कोई बयान दिया है, जिससे हम सहमत नहीं है. इस मुद्दे पर कांग्रेस का स्टैंड एकदम स्पष्ट है. भारत की संस्कृति में भगवत गीता एक अहम स्तंभ है. जवाहर लाल नेहरू ने भी अपनी किताब द डिस्कवरी ऑफ इंडिया में इसका जिक्र किया है. उन्होंने लिखा था कि गीता के संदेश को किसी एक विचार या स्कूल के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है. गीता तो जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी के लिए है. जयराम रमेश ने अपने बयान में ये भी बताया है कि गीता में तो इंसान की हर समस्या का समाधान है, समय-समय पर इसने सभी को राह दिखाने का काम किया है.
शिवराज पाटिल ने क्या कहा था?
अब जानकारी के लिए बता दें कि गुरुवार को शिवराज पाटिल ने मोहसिना किदवई की किताब का विमोचन किया था. उस किताब का जिक्र करते वक्त ही उन्होंने गीता में जिहाद वाली बात का जिक्र कर दिया था. उन्होंने कहा था कि जिहाद सिर्फ कुरान में नहीं बल्कि गीता और जीजस में भी जिहाद है. जब स्वस्छ विचार तमाम कोशिशों के बाद भी कोई समझता नहीं है, तब शक्ति का उपयोग करना चाहिए. महाभारत के अंदर जो गीता का भाग है उस मे भी जिहाद है. महाभारत में श्रीकृष्ण जी ने भी अर्जुन को जिहाद का पाठ पढ़ाया था. ईसाइयों ने भी लिखा है कि वे सिर्फ शांति स्थापित करने के लिए नहीं आए हैं, बल्कि साथ में तलवारें भी लाए हैं. यानि कि अगर सबकुछ समझने के बावजूद भी कोई हथियार लेकर आ रहा है, तो आप भाग नहीं सकते हैं.
बीजेपी ने बनाया बड़ा मुद्दा
पाटिल के इस बयान पर बीजेपी ने उन्हें आड़े हाथों लेने का काम किया. बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट कर कहा कि इसी कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद की थ्योरी को जन्म दिया था, राम मंदिर का विरोध किया था, उनके अस्तित्व पर सवाल उठाए थे. कांग्रेस का ये हिंदुओं को लेकर नफरत संयोग नहीं है, बल्कि वोटबैंक का एक प्रयोग है. गुजरात चुनाव से पहले जानबूझकर ध्रुवीकरण के लिए ये मुद्दा उठाया गया है.