बुधवार शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन रहा. इस दिन एक तरफ कांग्रेस पार्टी की प्रेस कॉन्फ़्रेंस हुई वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शीतकालीन सत्र में पार्टी के प्रदर्शन के बारे में सांसदों के साथ समीक्षा बैठक की.
सूत्रों के मुताबिक, सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद, कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी कार्यालय में लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के सभी सांसदों से मुलाकात की और विस्तार से चर्चा की.
बैठक में सोनिया गांधी ने उन मुद्दों के बारे में विवरण मांगा जो कांग्रेस पार्टी ने संसद में उठाए थे. उन्होंने सांसदों से इस बात पर सुझाव भी मांगे कि पार्टी को और ज़्यादा प्रभावी कैसे बनाया जाए, सांसद अपने विचार सदन में कैसे रख सकते हैं, पार्टी ने अन्य दलों के साथ कैसे काम किया, साथ ही आने वाले सत्रों में पार्टी अपने विचार और मुद्दों को संसद में कैसे रख सकती है.
सूत्रों के मुताबिक, सांसदों ने अपने राज्य और खासकर निर्वाचन क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को सदन में रखने की जरूरत के बारे में सोनिया गांधी से बात की. असम के एक कांग्रेस सांसद ने कहा, 'सोनिया जी ने हमें आश्वस्त किया है कि हर किसी की बात पर गंभीरता से विचार किया जाएगा.'
आमतौर पर कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ से पार्टी सांसदों के लिए डिनर का आयोजन किया जाता है, लेकिन कोविड प्रोटोकॉल के कारण ऐसा नहीं हो पाया.
उधर कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि शीतकालीन सत्र में 12 सांसदों को नियंबित किया जाना एक साजिश थी. हर बिल को दिन में जल्दबाजी में बिना बहस किए ही पास करा देने के पीछे उनकी मंशा क्या थी, इसपर विचार किया तो पता चला कि उत्तरप्रदेश के 68 राज्यसभा सदस्य हैं, दूसरी पार्टियों के 50 और इंडिपेंडेंट 2 हैं, यानी विपक्षी सदस्य 120 हुए. NDA के आंकड़े 118 हैं. बिल पर वोटिंग होगी तो डिविजन पूछे जाने पर वे माइनॉरिटी में होंगे. वे जानते थे कि राज्यसभा में बहुमत उनके पास नहीं है, इसीलिए उन्होंने सांसदो को ससपेंड कर मैजॉरिटी बनाने का काम किया.