कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ शनिवार को बैठक की. सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर हुई मीटिंग में पार्टी के 20 नेता शामिल हुए. इसमें पार्टी को मजबूत बनाने के मसले पर चर्चा हुई. कांग्रेस नेता पवन बंसल ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर नेताओं के बीच कोई असंतोष नहीं है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया कि पार्टी के 20 नेताओं ने करीब करीब 5 घंटे तक बैठक की. पार्टी की मजबूती के लिए सभी नेताओं ने अपनी बात रखी. आगे और भी बैठक होंगी. पचमढ़ी और शिमला जैसा चिंतन शिविर भी होगा. जिन नेताओं ने भी पार्टी को मजबूत बनाने को लेकर बात कही उन सभी सुझावों पर गौर किया जाएगा. अच्छे वातावरण में बातचीत हुई. कांग्रेस अध्यक्षा ने मीटिंग को संबोधित किया.
वहीं कांग्रेस नेता हरीश रावत ने बताया कि सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत हुई. हमने संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए फिर से मिलने का फैसला किया है. हम किसानों के साथ कृषि कानूनों के खिलाफ उनकी लड़ाई में उनके साथ हैं. बैठक में शामिल होने वाले पवन बंसल ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर नेताओं के बीच कोई असंतोष नहीं है. सभी लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए चिंतन शिवर का आयोजन किया जाएगा.
इस बैठक में कांग्रेस के उन नेताओं को भी बुलाया गया था जिन्होंने चार महीने पहले सोनिया गांधी को चिट्टी लिखकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे.
सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर मीटिंग के लिए कांग्रेस के सीनियर नेता पहुंचे. इनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पृथ्वीराज चव्हाण, पी चिदंबरम, भूपिंदर सिंह हुड्डा, अंबिका सोनी, मनीष तिवारी, गुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, कमलनाथ आदि शामिल हुए. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी भी बैठक के लिए 10 जनपथ पहुंचे थे.
बहरहाल, कांग्रेस के अंदरूनी कलह पर लगाम लगाने और पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव की चुनौतियों का रास्ता निकालने के लिए सोनिया गांधी ने सीनियर नेताओं की यह बैठक बुलाई थी. सोनिया गांधी ने इस बैठक में पार्टी के उन नाराज नेताओं से भी मुलाकात की जिन्होंने चार महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्टी लिखकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए थे. इस पत्र के बाद कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक में भी सियासी घमासान मचा था.
क्यों अहम है यह मीटिंग
बिहार विधानसभा चुनाव, हैदराबाद नगर निकाय, गोवा, केरल और राजस्थान के निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशजनक रहा है. पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इन पांचों प्रदेशों में कांग्रेस के सामने अपना अस्तित्व बचाए रखने की चुनौती है. केरल के निकाय चुनावों में कांग्रेस को नाकामी हाथ लगी है. केरल के वायनाड से राहुल गांधी सांसद हैं, लिहाजा उनकी भी प्रतिष्ठा दांव पर है.
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अगर पूर्वोत्तर की तरफ देखें तो असम में कांग्रेस का चेहरा रहे तरुण गोगोई के निधन से पार्टी को नुकसान हुआ है. पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को अपनी सियासी जमीन को लेकर एक अलग तरह का संकट का सामना करना पड़ रहा है. वहां बीजेपी हावी होती जा रही है. लिहाजा कांग्रेस को इन सब मसलों पर विचार विमर्श करने के लिए अहम माना जा रहा है.