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Political Crisis In Maharashtra: सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर से मांगा 5 दिन में जवाब, शिंदे खेमे से कहा- सीधे SC क्यों आए?

Political Crisis In Maharashtra: शिवसेना के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. लिहाजा अब वह 11 जुलाई तक अयोग्यता के नोटिस का जवाब दे सकते हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर से भी 5 दिन में जवाब मांगा है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 11 जुलाई तक जवाब दे सकेंगे बागी विधायक
  • सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को मामले की सुनवाई हुई

Political Crisis In Maharashtra: महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शिवसेना के बागी विधायकों को बड़ी राहत प्रदान की है. सुप्रीम कोर्ट ने दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता के नोटिस का जवाब देने के लिए बागी विधायकों के लिए समय में बढ़ोतरी कर दी है. बागी विधायक अब अब 11 जुलाई शाम 5:30 बजे तक जवाब दे सकते हैं. दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने बागी विधायकों को सोमवार शाम तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा था.

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सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव हुआ था, लेकिन इसे क्यों खारिज कर दिया गया था. सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में डिप्टी स्पीकर से हलफनामा मांगा है.

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता का सामना कर रहे विधायकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाने का आदेश दिया है. साथ ही राज्य सरकार को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाने के लिए भी कहा गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे खेमे की ओर से दायर याचिकाओं पर 5 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए डिप्टी स्पीकर, महाराष्ट्र सरकार और केंद्र समेत सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है. इसके बाद शिंदे खेमे को प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए 3 दिन का अतिरिक्त समय दिया जाएगा.

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कोर्ट में किसने क्या तर्क दिया

- शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों की ओर से पेश हुए वकील नीरज किशन कौल (एनकेके) ने नबाम रेबिया बनाम डिप्टी स्पीकर, अरुणाचल प्रदेश विधानसभा मामले में 2016 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया जिसमें सदन को बुलाने की शक्ति और राज्यपाल के अधिकार के बारे में विस्तार से बात की गई थी.

- महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने 1992 के सुप्रीम कोर्ट के किहोतो होलोहन बनाम ज़ाचिल्हू और अन्य के फैसले का जिक्र किया जिसके माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष के व्यापक विवेक को बरकरार रखा था.

- नीरज किशन कौल ने तर्क दिया कि उपाध्यक्ष अयोग्यता कार्यवाही के साथ आगे नहीं बढ़ सकते हैं, जबकि उनके हटाने की मांग का प्रस्ताव लंबित है. शिंदे खेमे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि महाराष्ट्र में उनके लिए माहौल अनुकूल नहीं है. 

- डिप्टी स्पीकर की ओर से पेश हुए राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि डिप्टी स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव इसलिए खारिज कर दिया गया, क्योंकि यह एक अनधिकृत ई-मेल आईडी से प्राप्त हुआ था, जिसे मान्य नहीं किया जा सकता था.

- उद्धव खेमे के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उपसभापति को अयोग्यता पर निर्णय लेने की अनुमति दी जानी चाहिए.

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बेंच की ओर से पूछे गए सवाल 

- शिंदे खेमे ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया? वे सीधे SC में क्यों आए?

- शिंदे खेमा इन मुद्दों को डिप्टी स्पीकर के सामने क्यों नहीं उठा सकता?

- क्या डिप्टी स्पीकर किसी ऐसे प्रस्ताव पर निर्णय ले सकते हैं, जिसमें उन्हें हटाने की मांग की गई हो? वह अपने ही मामले में न्यायाधीश कैसे हो सकते हैं?

- क्या उपसभापति को अयोग्यता याचिका पर सुनवाई का अधिकार है, जब अनुच्छेद 179 के तहत उन्हें हटाने की मांग करने वाला नोटिस है?

- क्या नबाम राबिया मामला वर्तमान परिस्थितियों में लागू है?
 

(इनपुट- कानू सारदा)

 

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