संसद के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन, बिहार से बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान 2000 रुपए के नोट का मामला उठाया. उन्होंने सरकार से इस नोट को बंद कर देने की अपील की है.
सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 2000 रुपए का नोट अब बाजार में दिखाई नहीं दे रहा है. ये एटीएम से भी नहीं निकल रहा है. अफवाह है कि ये लीगल टेंडर नहीं रहा. सरकार को अब इसके बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
BJP राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि जब नोटबंदी हुई थी तब 500 और 2000 के नोट को तेजी से बदलने के लिए, रीमॉनेटाइज़ करने के लिए 2000 के नोट का प्रचलन शुरू किया गया था. पिछले 3 सालों से RBI ने इस नोट की प्रिंटिंग बंद कर दी है. बडी संख्या में 2000 के नकली नोट ज़ब्त किए जा रहे हैं. लोगों ने बड़ी तादात में 2000 के नोट जमा कर रखे हैं, जिसका इस्तेमाल अवैध व्यापार में हो रहा है. कुछ जगह पर ये ब्लैक में मिल रहा है.
बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में छोटे नोट
दुनिया की जितनी एडवांस इकोनॉमी हैं, वहां छोटे मूल्य के नोट उपलब्ध हैं, जैसे अमेरिका में अधिकतम 100 रुपए का डॉलर है, 1000 का नहीं है. चीन में 100 युआन, कनाडा में 100 CAD, यूरोपीय संघ में 200 यूरो. जबकि पाकिसतान और श्रीलंका जैसे देशों में उच्चतम मूल्य का नोट 5000 का है. इंडोनेशिया में तो 1 लाख रुपए का भी नोट है.
EU, सिंगापुर ने बड़े नोट बंद किए
बिहार के पूर्व वित्त मंत्री सुशील मोदी ने कहा कि यूरोपीय संघ ने 2018 में 500 यूरो के नोटों को बंद कर दिया था और सिंगापुर ने 2010 में 10,000 के नोट को बंद कर दिया था, ताकि नशीले पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग, कर चोरी आदि की अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके.
जब एक हजार का नोट बंद हो गया, तो 2000 रुपए के नोट का कोई औचित्य नहीं है. अब तो सरकार डिजिटल ट्रांज़ैक्शन को भी बढ़ावा दे रही है. इसलिए मेरा सरकार से निवेदन है कि फेज़्ड मैनर में 2000 के नोट को ग्रैजुअली विड्रा कर लेना चाहिए. जनता को भी वैद्य नोटों को बदलने के लिए साल-दो साल का समय देना चाहिए. एक निश्चित समय सीमा के बाद 2000 के नोट के प्रचलन की कोई ज़रूरत नहीं पड़नी चाहिए. ब्लैक मनी को अगर बंद करना है तो 2000 के नोट को बंद कर देना चाहिए.