महाराष्ट्र की सत्ता गंवाने और शिव सेना में विभाजन के बाद आदित्य ठाकरे दोबारा अपना सियासी आधार मजबूत करने में जुटे हैं. बिहार के दौरे पर पहली बार पहुंचे उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने बुधवार को अपने प्रतिनिधि मंडल के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात की. आदित्य ने तेजस्वी यादव को महाराष्ट्र आने का न्यौता दिया और साथ ही कहा कि मुंबई में बिहारियों को पीटने वाले अब बीजेपी के साथ हैं.
आदित्य ठाकरे अपने बिहार के पहले ही दौरे से सियासी समीकरण साधते और राजनीतिक संदेश देते दिखे. माना जा रहा है कि आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) चुनाव में तेजस्वी यादव शिवसेना (उद्धव गुट) के लिए प्रचार करने के लिए उतर सकते हैं?
शिवसेना (उद्धव गुट) की युवा शाखा के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात की. आदित्य के साथ शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई भी मौजूद थे. तेजस्वी ने आदित्य को मिथिला पेंटिंग की चादर और लालू प्रसाद पर लिखी दो किताबें भेंट कर उनका स्वागत किया. वहीं, आदित्य ठाकरे ने तेजस्वी यादव को मराठी शाल और शिवाजी महाराज की मूर्ति भेंट की. इसके बाद आदित्य ठाकरे डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की गाड़ी में एक साथ बैठकर मुख्यमंत्री आवास पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अंगवस्त्र देकर आदित्य ठाकरे और उनके साथियों का स्वागत किया.
आदित्य ने नीतीश-तेजस्वी से मुलाकात ऐसे समय की है, जब शिवसेना दो गुटों में बंट चुकी है और बीएमसी चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में बीएमसी पर अपने सियासी वर्चस्व को बनाए रखने के लिए शिवसेना (उद्धव गुट) के लिए चुनौती खड़ी हो गई है. बीएमसी में उत्तर भारतीय वोटों की सियासी ताकत को देखते हुए आदित्य ठाकरे मुंबई से पटना पहुंचे और उन्हें नीतीश और तेजस्वी से मिलकर राजनीतिक समीकरण को मजबूत करने की कवायद की है.
बता दें कि बीएमसी पर तीन दशक से शिवसेना (उद्धव गुट) का कब्जा है, लेकिन एकनाथ शिंदे के बगावत के बाद शिवसेना दो धड़ों में बट चुकी है. ऐसे में उद्धव ठाकरे हरहाल में बीएमसी की सत्ता को बचाए रखना चाहते हैं, जबकि बीजेपी किसी भी सूरत में मुंबई पर राज करना चाहती है. ऐसे में आदित्य ठाकरे बीएमसी चुनाव से पहले सियासी समीकरण दुरुस्त करने में जुट गए हैं, जिसके लिए उनकी नजर उत्तर भारतीय वोटों पर है.
मुंबई में 50 लाख से भी ज्यादा आबादी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की है, जो बीएमसी चुनाव में किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. उत्तर भारतीय वोटों के सियासी आधार को देखते हुए आदित्य ठाकरे को मुंबई से नीतीश-तेजस्वी से मिलने पटना आना पड़ा. सूत्रों की मानें तो आदित्य ठाकरे ने आरजेडी नेता से बीएमसी चुनाव में अपनी पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए बात की तो तेजस्वी यादव ने बीएमसी चुनाव में शिवसेना के प्रचार के लिए अपनी सहमति दे दी है.
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि विपक्षी एकता को मजबूत करना हम सभी का पहला लक्ष्य है. हम सभी की कोशिश है कि विपक्षी ताकत मजबूत हो, इसपर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ हम सब की बात हुई. शिवसेना की प्रवक्ता व सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि आदित्य ठाकरे और तेजस्वी यादव की यह मुलाकात काफी अहम है. दोनों नेता युवा हैं और दोनों में भविष्य की राजनीति में पूरी संभावना है.
मुंबई में उत्तर भारतीय को निशाना बनाने के सवाल पर आदित्य ठाकरे ने बीजेपी को कठघरे में खड़ा किया. मनसे प्रमुख राज ठाकरे का नाम लिए बगैर आदित्य ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में बिहारियों पर हमला करने वाले आज बीजेपी के साथ हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी सरकार में बिहारियों को काफी सम्मान दिया जाता रहा है. इतना ही नहीं आदित्य ने कहा कि बाला साहेब और उद्धव साहेब से नितीश कुमार जी के पुराने संबंध हैं. ऐसे में नीतीश से मुलाकात के दौरान उन्होंने पुरानी यादों को ताजा किया.
आदित्य ठाकरे के बयान से साफ है कि बीएमसी चुनाव जीतने के लिए उनकी नजर उत्तर भारतीयों के वोट बैंक पर है और इसीलिए उन्होंने उत्तर भारतीयों के खिलाफ पिछले कुछ सालों में हुई हिंसा से पल्ला झाड़ लिया है. मुंबई में उत्तर भारतीय को निशाना साधने के लिए राज ठाकरे को जिम्मेदार ठहरा कर उनके बीजेपी के साथ रिश्ते को भी सार्वजनिक कर दिये. ऐसे में देखना है कि आदित्य ठाकरे का यह दांव बीएमसी चुनाव में कितना सफल होता है?