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संसद भवन के उद्घाटन पर सियासी जंग जारी: मोदी सरकार के साथ आए ये 4 विपक्षी दल

नई संसद के उद्घाटन समारोह को लेकर बयानबाजी का दौर जारी है. तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए, प्रधानमंत्री के हाथों नहीं. जबकि कई विपक्षी दल इस उद्घाटन समारोह का हिस्सा होंगे. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस उद्घाटन समारोह में कौन से गैर NDA दल शामिल होने जा रहे हैं. जानें कौन सा दल कर कहां...

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नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे ये विपक्षी दल
नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे ये विपक्षी दल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इस पर जमकर सियासत हो रही है. तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए, प्रधानमंत्री के हाथों नहीं. जबकि कई विपक्षी दल इस उद्घाटन समारोह का हिस्सा होंगे. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस उद्घाटन समारोह में कौन से गैर NDA दल शामिल होने जा रहे हैं. 

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आपको बता दें कि पंजाब की राजनीतिक पार्टी अकाली दल इस कार्यक्रम का हिस्सा होगी. इसके अलावा ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल भी इस उद्घाटन समारोह का हिस्सा होने जा रही है. वहीं जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP भी इस कार्यक्रम में शामिल होगी. इसके अलावा मायावती की पार्टी बसपा भी इस समारोह का हिस्सा होने वाली है. 

जगन मोहन रेड्डी ने किया शामिल होने का ऐलान

YSR कांग्रेस की ओर से आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने ट्वीट कर कहा, इस भव्य और विशाल संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित करने के लिए मैं पीएम नरेंद्र मोदी जी को बधाई देता हूं. संसद, लोकतंत्र का मंदिर होने के नाते, हमारे देश की आत्मा को दर्शाती है और हमारे देश के लोगों और सभी राजनीतिक दलों की है. ऐसे शुभ आयोजन का बहिष्कार करना लोकतंत्र की सच्ची भावना के अनुरूप नहीं है. सभी राजनीतिक मतभेदों को दूर करते हुए, मैं अनुरोध करता हूं कि सभी राजनीतिक दल इस शानदार आयोजन में शामिल हों. लोकतंत्र की सच्ची भावना में मेरी पार्टी इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होगी.

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NDA ने की बहिष्कार करने वालों दलों पर साधा निशाना

इसके अलावा NDA का कहना है कि वह 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के 19 राजनीतिक दलों के निर्णय की स्पष्ट रूप से निंदा करता है. एनडीए के बयान में कहा गया है, 'यह फैसला केवल अपमानजनक नहीं है, यह हमारे महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का भी घोर अपमान है.'

NDA के बयान में कहा गया है कि संसद के प्रति इस तरह का खुला अनादर न केवल बौद्धिक दिवालिएपन को दर्शाता है बल्कि लोकतंत्र के सार के लिए एक परेशान करने वाली अवमानना ​​​​है. अफसोस की बात है कि इस तरह के तिरस्कार का यह पहला उदाहरण नहीं है. पिछले नौ वर्षों में, इन विपक्षी दलों ने बार-बार संसदीय प्रक्रियाओं के लिए बहुत कम सम्मान दिखाया है, सत्रों को बाधित किया है, महत्वपूर्ण विधानों के दौरान बहिर्गमन किया है और अपने संसदीय कर्तव्यों के प्रति एक खतरनाक अभावग्रस्त रवैया प्रदर्शित किया है. यह हालिया बहिष्कार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अवहेलना की उनकी टोपी में सिर्फ एक और पंख है.

इन दलों ने किया है उद्घाटन समारोह का विरोध 

बताते चलें कि अब तक 19 विपक्षीय दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बायकॉट का ऐलान किया है. इन दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं.

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गुलाम नबी आजाद ने नई संसद को बताया जरूरी
 
गौरतलब है कि डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने भी इस बीच एक अहम बयान दिया है. उन्होंने कहा, जिस समय पीवी नरसिम्हा राव पीएम थे, शिवराज पाटिल स्पीकर थे और मैं संसदीय कार्य मंत्री था. तब शिवराज जी ने मुझसे कहा था कि एक नया और बड़ा संसद भवन 2026 से पहले बनकर तैयार होना चाहिए. नया भवन तब से बनाना जरूरी था. ऐसे में यह तो अच्छा हुआ है कि अब बन गया है. मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता कि उद्घाटन समारोह में कौन शामिल होगा या कौन बहिष्कार करेगा.

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