पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में चुनाव नतीजे आने के बाद अब सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मेघालय में कोनराड संगमा की पार्टी एनपीपी को समर्थन दिया है तो नगालैंड में एनडीपीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही है. त्रिपुरा में बीजेपी ने अभी तक मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं किया है. त्रिपुरा के सत्ता की कमान माणिक साहा के हाथों में सौंपी जाएगी या असम का फार्मूला आजमाया जाएगा तो फिर माणिक साहा की जगह किसकी होगी ताजपोशी?
त्रिपुरा में बीजेपी सरकार का शपथ ग्रहण 8 मार्च को होना है. ऐसे में आजकल में मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा होने की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर नए सीएम के नाम को लेकर बैठक हुई. इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी मौजूद रहे. एक न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पार्टी का एक धड़ा माणिक साहा को सीएम बनाए जाने के पक्ष में है जबकि पूर्व सीएम बिप्लब देब के समर्थकों वाला गुट केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक को.
दरअसल, पूर्वोत्तर के राज्यों में चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद से दिल्ली के बीजेपी नेताओं की चिंता इस बात को लेकर है कि अब सत्ता की कमान किसे सौंपी जाए. इसके लिए बाकायदा दिल्ली में शीर्ष बीजेपी नेताओं की अमित शाह के आवास पर बैठक भी हुई है जिसमें नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर मंथन किया गया. सवाल उठता है कि सीएम के लिए क्या असम का फॉर्मूला आजमाया जा सकता है?
असम फॉर्मूला क्या त्रिपुरा में दोहराएगी
असम में बीजेपी किसी भी चेहरे को आगे करके चुनाव नहीं लड़ी थी. पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा गया था. नतीजे आने के बाद सर्बानंद सोनोवाल की जगह हिमंता बिस्वा सरमा को सीएम बनाया गया था. इसी तर्ज पर त्रिपुरा में माणिक साहा के हाथों में जरूर सत्ता की कमान थी, लेकिन चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा गया था. नतीजे के बाद एक गुट माणिक साहा के पक्ष में है तो दूसरा पक्ष केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक को सीएम बनने की मांग कर रहा है. इसीलिए बीजेपी नेतृत्व नए सीएम को लेकर असमंजस में पवड़ गई है.
माणिक साहा की दावेदारी कितनी मजबूत
माना जा रहा है कि माणिक साहा पर ही बीजेपी सीएम पद के लिए अगला दांव लगाने जा रही है. बीजेपी सूत्रों का मानना है कि पार्टी ने चुनाव पीएम मोदी के चेहरे के साथ-साथ माणिक साहा को भी आगे किया था. इसीलिए माणिक साहा को सत्ता की कमान एक बार फिर से मिल सकती है. बिप्लव देब की जगह माणिक साहा ने जब त्रिपुरा में मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था तो कई चुनौतियां उनके सामने थीं. सबसे बड़ी चुनौती सालभर में चुनाव से पहले कानून और व्यवस्था की धारणा को बदलना. अब, जबकि माणिक साहा ने चुनाव में बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने की चुनौती को पार कर लिया है, क्या वे (माणिक साहा) मुख्यमंत्री के रूप में बने रहेंगे?
माणिक साहा साफ-सुथरी छवि के नेता माने जाते हैं और उन्होंने पिछले एक साल में कानून-व्यवस्था पर काफी काम किया. पिछले एक साल में बतौर मुख्यमंत्री माणिक साहा के नेतृत्व में राज्य में हिंसा की घटनाएं नहीं हुई थीं. आदिवासी कारक और कांग्रेस-वाम गठबंधन के बीच, माणिक साहा ने न केवल अपनी सीट से चुनाव लड़ा, बल्कि सभी सीटों पर सक्षम नेतृत्व दिया और प्रचार किया. उन्होंने सभी के साथ संतुलन बनाए रखा और पार्टी के छोटे कार्यकर्ताओं और बाहरी लोगों के साथ भी अच्छा व्यवहार किया. इसीलिए उन्हें सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने चुनाव नतीजे के बाद शनिवार को त्रिपुरा का दौरा किया था और सभी वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी. सरमा ने ये संकेत भी दे दिए हैं कि साहा पद पर बने रह सकते हैं लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद प्रतिमा भौमिक के नाम पर अटकलें लगाई जाने लगी हैं. सूत्रों की मानें तो बीजेपी शीर्ष नेतृत्व एक बार फिर से माणिक साहा को सीएम बना सकता है. वहीं, धनपुर की मुश्किल और चुनौती भरी सीट से चुनाव लड़ने और 3,500 से अधिक वोट के अंतर से जीतने वाली केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक की भूमिका को लेकर पार्टी जल्द फैसला लेगी.
प्रतिमा भौमिक के पक्ष में क्या तर्क
प्रतिमा भौमिक के संघर्ष का लंबा इतिहास है और उन्होंने त्रिपुरा सहित पूर्वोत्तर में इलाके में बीजेपी को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है. साधारण सूती साड़ियों और हवाई चप्पल में नजर आने वाली प्रतिमा सादगी के लिए भी खास पहचान रखती हैं. वह दलित समुदाय से आती हैं और एक महिला नेता हैं. ये सभी कारक सकारात्मक हैं. पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लव देब के समर्थक गुट के नेता माणिक साहा की जगह प्रतिमा भौमिक को सत्ता की कमान सौंपने की पैरवी कर रहे हैं.
फिलहाल प्रतिमा भौमिक सांसद के साथ-साथ केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं. ऐसे में वो केंद्र की राजनीति में रहेंगी या प्रदेश सरकार में कोई भूमिका निभाएंगी, इसको लेकर पार्टी नेतृत्व जल्द फैसला करेगा. त्रिपुरा में बीजेपी के डिप्टी सीएम भी चुनाव हार गए हैं. ऐसे में डिप्टी सीएम के पद को लेकर भी बीजेपी जल्द ही कोई फैसला ले लेगी, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है. बीजेपी 2024 से पहले पूर्वोत्तर भारत के महिला मतदाताओं पर पक्ष में करने की रणनीति के तहत प्रतिमा भौमिक को उपमुख्यमंत्री बनाने का दांव चल सकती है?
(हिमांशु मिश्रा के इनपुट के साथ)