महाराष्ट्र में विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन कार्यवाही में सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) का न आना विपक्ष को खटक रहा है. बीजेपी की तरफ से तो यह तक कहा गया है कि उद्धव अपनी जिम्मेदारी (सीएम पद) किसी और को सौंप दें. वहीं उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा है कि उनके पिता की तबीयत ठीक है.
दरअसल, उद्धव ठाकरे की हाल ही में सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की सर्जरी हुई है. फिलहाल वह रिकवर कर रहे हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए विधानसभा का शीतकालीन सत्र नागपुर की जगह मुंबई में हो रहा है क्योंकि उद्धव को फ्लाइट से ट्रैवल करने के लिए मना किया गया है.
चंद्रकांत पाटिल बोले - आदित्य को सौंपें जिम्मेदारी
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा कि मुख्यमंत्री की तबीयत ठीक नहीं है. ऐसे में उन्हें ऐसा कोई काम करने की जरूरत नहीं है जिससे उनकी तबीयत को नुकसान पहुंचे. उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का चार्ज किसी अन्य मंत्री को या पसंद के किसी दूसरे व्यक्ति को देना चाहिए. अगर किसी पर विश्वास नहीं है तो पुत्र आदित्य ठाकरे को चार्ज देना चाहिए, लेकिन लगता है उद्धव को उनपर भी विश्वास नहीं है.
मामले पर आदित्य ठाकरे (उद्धव के बेटे) का भी बयान आया है. उन्होंने कहा कि सीएम की तबीयत अब ठीक है और जब उनको ठीक लगेगा तब वह आएंगे.
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का बयान भी आया
घटनाक्रम पर अजीत पवार ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे की सेहत ठीक है. वो सत्र में सभी दिन उपस्थित रहेंगे. उनका चार्ज किसी को देने की जरूरत नहीं है. अजीत पवार ने कहा, 'चंद्रकांत पाटिल बोलते हैं कि राष्ट्रपति शासन लगाने की तैयारी हो चुकी है. क्या बोल रहे हैं? 170 विधायकों का समर्थन है हमारे पास.'
क्या पद छोड़ेंगे ठाकरे? अटकलें तेज
बता दें कि उद्धव ठाकरे 10 नवंबर से सार्वजनिक मंच पर दिखाई नहीं दिए हैं. इसी दिन वह सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की सर्जरी के लिए हरकिशन दास हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे. 2 दिसंबर को उद्धव ठाकरे डिस्चार्ज हुए, लेकिन रिकवरी प्रोसेस स्लो बताया जा रहा है. इस बीच विपक्ष इस बात को लेकर राज्य सरकार को घेर रहा है कि सीएम ऑफिस की तरफ से उद्धव की तबीयत पर आधिकारिक बयान क्यों जारी नहीं किया गया.
इससे पहले जब अमित शाह मुंबई आए थे तब उन्होंने भी यह कहकर कटाक्ष किया था कि उद्धव ठाकरे 'गायब' हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा था कि ठाकरे की तबीयत ठीक नहीं है.
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि तबीयत खराब होने की वजह से कोई मुख्यमंत्री सार्वजनिक मंचों से दूर हो.
एमजी रामचंद्रन को जब कैंसर हुआ था तो वह इलाज के लिए विदेश गए थे. इसी तरह एन टी रामराव इलाज के लिए विदेश गए थे, हालांकि तब उनकी सरकार भी गिर गई थी. अटल बिहारी वाजपेयी का भी उनके कार्यकाल में घुटनों का ऑपरेशन हुआ था. पीएम मनमोहन सिंह को भी अपने कार्यकाल के दौरान बायपास सर्जरी करानी पड़ी थी.
मतलब साफ है कि अपने कार्यकाल में प्रधानमंत्रियों का यूं सार्वजनिक मंच से दूर रहना नया नहीं है लेकिन कई मामलों में ऐसी स्थिति में किसी दूसरे को चार्ज दिया जाता है लेकिन उद्धव ने ऐसा नहीं किया है. बुधवार को असेंबली सेशन के पहले दिन ठाकरे के न आने पर बीजेपी ने निशाना साधा है. अब अटकलें यहीं हैं कि क्या ठाकरे आने वाले वक्त में भी सीएम बने रहेंगे या फिर किसी और को जिम्मेदारी देंगे.