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बजटः सरकार ने किए सौगातों के दावे, विपक्ष उठा रहा है ये सवाल

बजट के जरिए मोदी सरकार ने कोरोना संकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था को उबारने, देश में विनिर्माण गतिविधियों और कृषि उत्पादों के बाजार की मजबूती देने की कवायद की है. एक घंटे 50 मिनट के भाषण में वित्त मंत्री ने सरकार की जमकर तारीफ की. इसके बावजूद मोदी सरकार के साल 2021 के बजट को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं. विपक्ष ने इसे खोखला और देश की संपत्तियों को बेचने वाला करार दिया है.

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अनुराग ठाकुर और निर्मला सीतारमण
अनुराग ठाकुर और निर्मला सीतारमण
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सरकारी संपत्तियों की हिस्सेदारी बेचने पर सवाल
  • रक्षा बजट न बढ़ाने पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा
  • कृषि क्षेत्र के बजट में कटौती पर खड़े हुए सवाल

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को साल 2021-22 का कुल 34,83,236 करोड़ रुपये का आम बजट पेश किया. मोदी सरकार ने कोरोना संकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था को उबारने, देश में विनिर्माण गतिविधियों और कृषि उत्पादों के बाजार की मजबूती देने की कवायद की है. बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि इस साल विनिवेश का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए का है. एक घंटे 50 मिनट के भाषण में वित्त मंत्री ने सरकार की जमकर तारीफ की. इसके बावजूद मोदी सरकार के साल 2021 के बजट को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं. विपक्ष ने इसे खोखला और देश की संपत्तियों को बेचने वाला करार दिया है. 

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वित्तमंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार ने अपनी हिस्सेदारी बेचकर 2.1 लाख करोड़ रुपए हासिल करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि पिछले साल बड़े विनिवेश की योजना तैयार की गई थी. जिसमें एलआईसी के शेयर बेचे जाने की बात भी शामिल थी. इस योजना को इस साल पूरा किया जा सकता है. ऐसे में मोदी सरकार ने इस साल विनिवेश का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए का रखा है, जिसके पूरा करने के लिए दो सरकारी बैंकों और एक इंश्योरेंस कंपनी समेत कई पब्लिक सेक्टर की कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने जा रही है. यही वजह है कि विपक्ष सरकार पर बजट को लेकर हमलावर है. 

सरकारी संपत्तियों की हिस्सेदारी बेचने पर सवाल
टीएमसी नेता और राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने बजट पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा, 'भारत का पहला पेपरलेस बजट 100 फीसदी 'विजनलेस' भी है. इस फर्जी बजट का थीम 'सेल इंडिया' (भारत बेचो) है.' डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है कि रेलवे बेची जा रही है, एयरपोर्ट किए गए हैं, पोर्ट बेचे जा रहे हैं, बीमा सेक्टर बेचा जा रहा है. 23 सरकारी कंपनियां बेची जा रही हैं. सरकार ने आम आदमी को इग्नोर कर दिया है, किसानों को नजरअंदाज कर दिया है. अमीर और अमीर होते जा रहे हैं, मिडिल क्लास के लिए कुछ नहीं है, गरीब और गरीब होते जा रहे हैं.' 

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लेफ्ट नेता मोहम्मद सलीम अली ने कहा कि इस बजट में रेल, बैंक, बीमा, रक्षा और स्टील... सब कुछ सरकार बेचने जा रही है. ये देश का बजट है या OLX है. सरकार ने बजट में सब कुछ सेल पर डाल दिया है. आम आदमी पार्टी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी सरकारी संपत्तियों को बेचने वाला बजट करार देते हुए मोदी सरकार की अलोचना की है.  

रक्षा बजट नहीं बढ़ाने पर खड़े हुए सवाल
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने बजट पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वित्त मंत्री ने रक्षा पर खर्च का कोई जिक्र नहीं किया है. पी चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री ने स्वास्थ्य के आंकड़े दिए उसमें वैक्सीन का खर्चा जोड़ा और फाइनेंस कमीशन की ग्रांट भी जोड़ दी. पेज 10 पर बजट ग्लान्स में अलग आंकड़े हैं जिससे साफ है खर्च कम हुआ है. रक्षा और स्वास्थ्य बजट में कोई कमी नहीं आनी चाहिए थी. हमने पहले ही कहा था. वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, 'चीन ने हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और हमारे सैनिकों को मार डाला. पीएम मोदी फोटो खींचवाने के लिए उनके साथ दिवाली मनाते हैं. उन्होंने उनके लिए रक्षा बजट क्यों नहीं बढ़ाया है? साथ ही राहुल ने कहा कि लोगों के हाथों में नकदी भूल जाइए, मोदी सरकार ने भारत की संपत्ति को अपने पूंजीवादी दोस्तों को सौंपने की योजना बनाई है.'

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किसान और कृषि बजट पर सवाल
कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन से जुड़े हुए स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने बजट में किसानों की मिलने वाले पीएम किसान सम्मान निधि का बजट घटाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि PM KISAN बजट 2020-21 में 75 हजार करोड़ से घटकर 2021-22 में 65 हजार करोड़ हो गया. मार्केट इंटरवेंशन स्कीम और प्राइस सपोर्ट स्कीम (MIS-PSS) बजट 2000 करोड़ से घटकर 1501 करोड़ रह गया. ये है बजट भाषण से परे असल बजट की खबर. 

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कहा कि इस बजट ने गरीबों और किसानों को धोखा दिया है और उनके लिए कुछ ठोक कदम नहीं उठाए गए हैं. बजट में सरकार ने केवल आंकड़ों की बाजीगरी की है और किसानों को कुछ नहीं दिया. वहीं, कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि खेती बजट 6 प्रतिशत काटा है. यह सबसे बड़ा धोखा है. भूखे हाथी को एक मुट्ठी घास की दे दी जाए तो क्या होगा. ये बजट हर पायदान पर औंधे मुंह गिरा है. कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि बजट में किसानों के कर्ज, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी पर कुछ नहीं कहा गया है.

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नौकरीपेशा वर्ग के लिए कोई राहत नहीं
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि बजट में नौकरीपेशा लोगों के लिए कोई राहत नहीं है. महिलाओं के लिए कुछ नहीं किया गया है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस बजट में वैसे बच्चों के लिए कुछ नहीं किया गया है जो डिजिटल डिवाइड की वजह से अपनी पढ़ाई छोड़ दिए. उन्होंने कहा कि सरकार कई सेक्टरों का निजीकरण कर रही है. उन्होंने कहा कि बजट में वैसे राज्यों को तोहफा दिया गया है जहां हाल में चुनाव होने वाले हैं. साथ ही शशि थरूर का बजट पर तंज कहते हुए कहा कि बीजेपी सरकार मुझे उस गैरेज मैकेनिक की याद दिलाता है जिसने अपने ग्राहक को कहा कि मैं आपका ब्रेक ठीक नहीं कर सका, इसलिए मैं अपने हॉर्न की आवाज बढ़ा दी है.

कोरोना से बिगड़ी अर्थव्यवस्था कैसे सुधरेगी
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, संसद में आज पेश केन्द्र सरकार का बजट पहले मंदी व वर्तमान में कोरोना प्रकोप से पीड़ित देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को संभालने और यहां की अति-गरीबी, बेरोजगारी व महंगाई की राष्ट्रीय समस्या को क्या दूर कर पाएगा? इन्हीं आधार पर सरकार के कार्यकलापों व इस बजट को भी आंका जाएगा. देश की करोड़ों गरीब, किसान व मेहनतकश जनता केन्द्र व राज्य सरकारों के अनेकों प्रकार के लुभावने वायदे, खोखले दावे और आश्वासनों से काफी थक चुकी है और उनका जीवन लगातार त्रस्त है. सरकार अपने वादों को जमीनी हकीकत में लागू करे तो यह बेहतर होगा.

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