प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समान नागरिक संहिता पर दिए गए संबोधन के बाद पूरे देश में इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है. इस बीच केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का इस मुद्दे पर गुरुवार को बयान आया है. मेघवाल से जब UCC को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत के लॉ कमीशन ने इस सार्वजनिक डोमेन में डाल दिया है. 13 जुलाई आखिरी तारीख है. तब तक इंतजार करना चाहिए.
दरअसल, समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लाने की तैयारी तेज हो गई है. 22 वें विधि आयोग (लॉ कमीशन) ने समान नागरिक संहिता पर आम जनता से विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है. आयोग ने जनता, सार्वजनिक संस्थान और धार्मिक संस्थानों व संगठनों के प्रतिनिधियों से एक महीने में इस मुद्दे पर राय मांगी है.
इससे पहले पिछले विधि आयोग ने 2016 में इस मुद्दे पर गहन विचार विमर्श प्रक्रिया शुरू की थी. 21वें विधि आयोग ने 2018 मार्च में जनता के साथ विमर्श के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा था कि फिलहाल समान नागरिक संहिता यानी कॉमन सिविल कोड की जरूरत देश को नहीं है. लेकिन पारिवारिक कानून यानी फैमिली लॉ में सुधार की बात जरूर की थी.
बता दें कि एक दिन पहले ही समान नागरिक संहिता (UCC) पर मोदी सरकार को आम आदमी पार्टी का समर्थन मिलता दिखा था. AAP के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने आजतक के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा था कि आम आदमी पार्टी (AAP) समान नागरिक संहिता (UCC) का सैद्धांतिक समर्थन करती है.
संदीप पाठक ने बुधवार को कहा था,'आर्टिकल 44 भी यह कहता है कि UCC होना चाहिए, लेकिन आम आदमी पार्टी का यह मानना है कि इस मुद्दे पर सभी धर्म और राजनीतिक दलों से बातचीत होनी चाहिए. सबकी सहमति के बाद ही इसे लागू किया जाना चाहिए.'हालांकि, UCC को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता संदीप पाठक ने केंद्र की बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा है. संदीप पाठक ने कहा है कि यह भारतीय जनता पार्टी की कार्यशैली में शामिल है कि जब भी चुनाव आता है वह कॉम्प्लिकेटेड और कॉम्प्लेक्स मुद्दे लेकर आते हैं.
PM मोदी ने भोपाल में छेड़ा था UCC का मुद्दा
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के भोपाल में अपने संबोधन के दौरान UCC को लेकर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि भारत के मुसलमानों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल ऐसा कर रहे हैं. एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? ये लोग हम पर आरोप लगाते हैं. ये अगर मुसलमानों के सही हितैषी होते तो मुसलमान पीछे नहीं रहते. सुप्रीम कोर्ट बार-बार कह रहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाओ, लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग ऐसा नहीं करना चाहते.