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आलाकमान बताएगा 2022 के यूपी चुनाव में कौन होगा पार्टी का चेहरा, नाराज नहीं हैं OBC: केशव मौर्य

केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि  2022 में पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा या चेहरा कौन होगा ये केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा, ये मेरा विषय नहीं है, केंद्रीय नेतृत्व का विषय है.

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बीजेपी नेता केशव प्रसाद मौर्य. (फाइल फोटो)
बीजेपी नेता केशव प्रसाद मौर्य. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • केंद्रीय नेतृत्व करेगा 2022 के संबंध में फैसला: मौर्य
  • जरूरत पड़ी तो और दलों को साथ जोड़ेंगे: मौर्य

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गतिविधियां तेज होने लगी हैं. बीजेपी में बैठकों का दौर चल रहा है. चर्चा इस बात की है कि 2022 में बीजेपी किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी, क्या पार्टी में सूबे के स्तर पर बदलाव किए जाएंगे. इन सब सवालों के बीच यूपी के डिप्टी मुख्यमंत्री केशव प्रसाद का कहना है कि इसका फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा.

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केंद्रीय नेतृत्व लेगा फैसला- केशव प्रसाद मौर्य
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि  2022 में पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा या चेहरा कौन होगा ये केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा, ये मेरा विषय नहीं है, केंद्रीय नेतृत्व का विषय है. आजतक से खास बातचीत में उन्होंने  कहा कि जिन चर्चाओं को आप मंथन का नाम दे रहे हैं, दरअसल वह मंथन नहीं बल्कि रूटीन बैठक थी, मीडिया अपनी अटकलों के लिए स्वतंत्र है.वहीं, ओबीसी दलों के मसले पर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि ओबीसी पार्टी से नाराज नहीं है. अगर अनुप्रिया पटेल, संजय निषाद या निषाद पार्टी की बात कर रहे हैं तो वह हमारे सहयोगी हैं, पहले से साथ हैं. अगर जरूरत पड़ी तो हम आगे और भी दलों को जोड़ेंगे.

पुराने सहयोगियों को वापस लाने की कवायद में जुटी बीजेपी
बता दें कि चर्चा यह भी है कि मौजूदा सहयोगी को समझाने और साथ छोड़कर चले पुराने सहयोगी को दोबारा से लाने की कवायद में बीजेपी जुट गई है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद से मुलाकात की थी. वहीं, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओपी राजभर के लिए गठबंधन में वापसी के दरवाजे खोल दिए गए हैं.

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बीजेपी में बैठकों का दौर
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से बीजेपी नेताओं की लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बैठकों का सिलसिला इसीलिए चल रहा है कि कैसे यूपी में बीजेपी की फिर से सत्ता में वापसी हो. सूत्रों की मानें तो बीजेपी नेतृत्व को जो फ़ीडबैक मिला है, उनका आकलन हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में कुप्रबंधन के आरोपों और विधायकों-सांसदों की नाराजगी के चलते पार्टी को पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में अच्छे ख़ासे वोट बैंक का नुकसान हो सकता है.

 

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