कांग्रेस में पांच राज्यों की चुनावी हार के बाद मंथन और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. देश की सबसे पुरानी पार्टी की हार के बाद कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में हर त्याग के लिए तैयार होने की बात कही. वहीं पार्टी ने फिर से उनसे ही नेतृत्व संभाले रहने की अपील की. एक तरफ कांग्रेस में हार के बाद मंथन का दौर चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रचंड जीत के बावजूद मुख्यमंत्री कौन होगा, ये सवाल बरकरार है.
उत्तराखंड में प्रचंड जीत के साथ सत्ता में बीजेपी की वापसी तो हो गई लेकिन पार्टी का चेहरा रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट ही नहीं बचा पाए. पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में थे. पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट से चुनाव हार गए. पुष्कर सिंह धामी की हार के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा, ये सवाल लगातार उठ रहा है लेकिन बीजेपी ने इसे लेकर अपने पत्ते अब तक नहीं खोले हैं.
मुख्यमंत्री पद को लेकर कई नेताओं के नाम चल रहे हैं. उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष मदन कौशिक से लेकर धन सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, सतपाल महराज तक के नाम सीएम पद की रेस में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ पुष्कर सिंह धामी के अपनी सीट से चुनाव हारने के बावजूद मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं को भी मजबूत बताया जा रहा है.
धामी के ही फिर से सीएम बनने की संभावनाओं को मजबूत बता रहे नेता इसके पीछे ये दलील दे रहे हैं कि भले ही सीएम धामी अपनी सीट से चुनाव हार गए हों लेकिन सूबे में पार्टी को उनके ही चेहरे पर वोट मिला है. धामी को ही फिर से सीएम बनाए जाने की संभावनाएं कम ही नजर आ रही हैं. बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश में सीएम कैंडिडेट प्रेम कुमार धूमल के चुनाव हारने पर जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाया था.
यूपी, मणिपुर और गोवा में बीजेपी की सत्ता में वापसी के साथ ही मुख्यमंत्रियों की वापसी भी तय मानी जा रही है लेकिन उत्तराखंड में सीएम को लेकर पेंच फंस गया है. गौरतलब है कि उत्तराखंड राज्य गठन के बाद ऐसा पहली दफे हुआ है जब किसी पार्टी को लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का जनादेश मिला है. बीजेपी को 70 में से 48 सीटों पर जीत मिली है.
(आजतक ब्यूरो)