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क्या CM योगी-मेनका गांधी की एक मुलाकात ने वरुण की बयानबाजी पर फुल स्टॉप लगा दिया?

बीजेपी नेता वरुण गांधी अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं. बड़ी बात ये रहती है कि कई मौकों पर वे अपनी ही पार्टी के खिलाफ बोल जाते हैं. लेकिन इस समय उन्होंने चुप्पी साध ली है, वे सोशल मीडिया पर भी एक्टिव नहीं चल रहे हैं.

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बीजेपी नेता वरुण गांधी
बीजेपी नेता वरुण गांधी

उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों वरुण गांधी की चर्चा इसलिए नहीं है कि उन्होंने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था बल्कि चर्चा इस बात को लेकर है कि आखिर मोर्चा खोलने के बाद वो कौन सी वजह है कि उन्होंने अचानक से चुप्पी साध ली है और बीजेपी के खिलाफ इशारों में भी बोलना बंद कर दिया है. भाषणों में वरुण चुप हैं, ट्विटर पर चुप हैं, सोशल मीडिया पर चुप हैं, आखिर ऐसा क्या हुआ कि वरुण गांधी अब उन मुद्दों को उठाने से भी परहेज कर रहे हैं जो बीजेपी को असहज कर रहे थे.

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ऐसे में पिछले दिनों सीएम योगी और मेनका की हुई मुलाकात को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मुलाकात के बाद वरुण गांधी न तो गांधी परिवार की बात कर रहे और ना ही अखिलेश यादव की बात कर रहे हैं. इस समय वे बेरोजगारी, आशा वर्करों और किसानों की आय दोगुनी जैसे मुद्दों को भी नहीं उठा रहे हैं. सूत्रों की मानें तो वरुण गांधी को राहुल गांधी के उस बयान की कतई उम्मीद नहीं थी जिसमें राहुल गांधी ने यह साफ कर दिया कि वह वरुण गांधी को निजी तौर पर तो गले लगाने को तो तैयार हैं लेकिन सियासत में अपने साथ लेने को तैयार नहीं. 

यह वह दिन था जब राहुल गांधी से उनके भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पंजाब में वरुण गांधी को लेकर सवाल किए गए, चर्चा थी कि वरुण गांधी कांग्रेस पार्टी के साथ जा सकते हैं, और कयास तो यहां तक थे कि वरुण गांधी, राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होना चाहते हैं, इसलिए राहुल गांधी की यात्रा के वक्त ही वरुण गांधी ने भी जोड़ने की उनके मुहिम वाला बयान दिया था लेकिन राहुल गांधी ने साफ मना कर वरुण के मंसूबों पर पानी फेर दिया.

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राहुल के बाद अखिलेश यादव ने भी वरुण गांधी को कोई तवज्जो नहीं दी, अखिलेश यादव का एक भी बयान वरुण गांधी के लिए नहीं आया, जबकि वरुण गांधी उनकी तारीफ अपनी सभाओं में कर चुके थे. यहां तक कह चुके थे कि अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते उन्होंने जो काम कहे, सारे किए गए. राहुल गांधी के बयान के पहले लगातार वरुण गांधी बयान वायरल कराए जा रहे थे. उन बयानों में कभी वरुण जनता के बीच जवाहरलाल नेहरु की बात करते दिखाई देते तो कभी मनमोहन सिंह की तारीफ करते दिखते. एक बयान में तो उन्होंने यहां तक कह दिया था कि उन्हें कांग्रेस से कोई समस्या नहीं है. 13 जनवरी को वरुण गांधी ने जो ट्वीट किया था उसमें उन्होंने आशा वर्करों के समर्थन में आवाज से आवाज मिलाने की बात कही थी, उसके बाद से ना तो उनका कोई ट्वीट आया और ना ही भाषण का कोई अंश वायरल हुआ है.

जबकि योगी आदित्यनाथ और मेनका गांधी की एक मुलाकात की चर्चा इन दिनों सियासत में खूब हो रही है. हालांकि यह अलग से कोई मुलाकात नहीं थी बल्कि जनवरी के तीसरे हफ्ते में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब सभी सांसदों और विधायकों से मिल रहे थे, उसी दौरान बतौर सांसद मेनका गांधी की भी योगी आदित्यनाथ से मुलाकात हुई जिसमें मोदी सरकार की योजनाएं, सरकार की तरफ से किये  जाने वाले काम और और सरकार के फीडबैक को लेकर बैठक मंथन हुआ. वरुण गांधी फिलहाल शांत हैं और उनका पूरा फोकस उनकी नई किताब पर है. वरुण गांधी इन दिनों मीडिया को इंटरव्यू भी दे रहे हैं लेकिन किसी  भी सियासी सवाल पर जवाब नहीं दिया है. 

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उधर बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने वरुण गांधी के उन बयानों को अच्छा नहीं माना है. उनकी बयानबाजी को पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ माना गया है. माना जा रहा है कि 2024 को लेकर अभी मेनका गांधी और वरुण गांधी असमंजस की स्थिति में है जबकि बीजेपी इन्हें लेकर बिल्कुल स्पष्ट है. सपा का एक तबका मानता है कि यह तूफान की पहले की खामोशी है और वरुण गांधी ज्यादा वक्त तक खामोश नहीं रह सकते, अगर बीजेपी के भीतर 2024 को लेकर उनकी बात नहीं बनती तो एक बार फिर वरुण गांधी का रौद्र रूप सामने आ सकता है.

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