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BJP के साथ गठबंधन वाली सरकार में शिवसेना के साथ गुलामों जैसा बर्ताव किया गया- संजय राउत

जलगांव में एक कार्यक्रम के दौरान संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में जब बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन वाली सरकार थी तब बीजेपी ने शिवसेना से गुलामों की तरह बर्ताव किया था.

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शिवसेना सांसद संजय राउत. (फाइल फोटो)
शिवसेना सांसद संजय राउत. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शिवसेना को खत्म करने की कोशिश भी की गई- राउत
  • बीजेपी पर संजय राउत ने साधा निशाना

अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले शिवसेना सांसद संजय राउत ने बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने शनिवार को जलगांव में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि महाराष्ट्र में जब बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन वाली सरकार थी तब बीजेपी ने शिवसेना से गुलामों की तरह बर्ताव किया था. उन्होंने कहा कि सरकार में शिवसेना को तरजीह ना देकर बीजेपी शिवसेना को खत्म करना चाहती थी.

उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में शिवसेना को तवज्जो नहीं दी जाती थी और गुलामों की तरह बर्ताव किया जाता था. शिवसेना को खत्म करने की कोशिश भी की गई. हमारे समर्थन से मिली ताकत का इस्तेमाल हमें ही खत्म करने के लिए किया गया. अगर शिवसैनिकों को कुछ हासिल भी नहीं होता है फिर भी अब हम गर्व से कह सकते हैं कि राज्य का नेतृत्व शिवसेना के हाथों में है.

रविवार को नासिक में राउत ने कहा कि शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे. राउत का यह बयान ऐसे में आया है जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हाल ही में पीएम मोदी से अकेले में मुलाकात की जिसके बाद राजनीतिक अटकलें शुरू हो गईं थी. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नान पटोले  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने की मंशा जाहिर कर चुके हैं. राउत ने कहा कि सीएम की पद की चाह गलत नहीं है लेकिन शिवसेना का ही मुख्यमंत्री पांच साल रहने वाला है.

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जलगांव की राजनीति पर उन्होंने कहा कि शिवसेना इस जिले में मजबूत है, यहां होने वाले चुनाव के लिए शिवसैनिक मानसिक तौर पर तैयार हैं. हम यहां निगम परिषद, जिला परिषद, विधान परिषद और लोकसभा अपने दम पर जीतेंगे.जलगांव से शिवसैनिक विधायक,मेयर बने हैं. अब शिवसैनिकों को उम्मीद है कि सांसद भी शिवसैनिक का ही हो. उन्होंने कहा कि वह इस उम्मीद के बारे में उद्धव ठाकरे को बताएंगे.

गौरतलब है कि साल 2019 में विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद शिवसेना ने महाराष्ट्र में अपनी पार्टी से सीएम होने की मांग रखी थी जबकि बीजेपी इस फार्मूले पर राजी नहीं थी जिसके बाद शिवसेना ने बीजेपी से राज्य और राष्ट्रीय दोनों स्तर पर नाता तोड़ लिया था.

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