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कई 'सियासी घाटों' का पानी पी चुके हैं Prashant Kishor, पुरानी रही है कांग्रेस से कड़वाहट

प्रशांत किशोर की पहचान एक चुनावी रणनीतिकार की रही है. लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्होंने राजनीति में सीधे तौर पर दखल नहीं रखा है. प्रशांत 2 साल से ज्यादा वक्त तक जदयू के उपाध्यक्ष भी रहे हैं.

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माना जा रहा था प्रशांत किशोर जल्द ही कांग्रेस जॉइन करने जा रहे हैं. फाइल फोटो
माना जा रहा था प्रशांत किशोर जल्द ही कांग्रेस जॉइन करने जा रहे हैं. फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • प्रशांत के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाओं पर विराम
  • प्रशांत ने कांग्रेस में सुधार को लेकर प्रजेंटेशन दिया था

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर चर्चा में हैं. उन्होंने मंगलवार को एक ट्वीट कर साफ कर दिया कि वे कांग्रेस में शामिल नहीं हो रहे हैं. प्रशांत ने कहा कि कांग्रेस को सामूहिक दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है. पिछले काफी दिनों से ये सस्पेंस चल रहा था कि प्रशांत कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने पार्टी के सामने एक प्रजेंटेशन भी दिया था. कांग्रेस भी प्रशांत की एंट्री के लिए तैयार थी. प्रशांत ने कांग्रेस संगठन में कई सारे बदलाव के सुझाव भी दिए थे. 

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बता दें कि वैसे तो प्रशांत किशोर की पहचान एक चुनावी रणनीतिकार की रही है. लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्होंने राजनीति में सीधे तौर पर दखल नहीं रखा है. प्रशांत 2 साल से ज्यादा वक्त तक जदयू के उपाध्यक्ष रहे. प्रशांत ने 16 सितंबर 2018 को जदयू जॉइन की थी. 2 साल बाद ही प्रशांत और नीतीश कुमार के बीच खटास बढ़ने लगी. प्रशांत की कंपनी आईपैक ने जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की चुनावी रणनीति बनाने की कमान संभाली. इसके बाद दिल्ली विधानसभा के चुनाव में प्रशांत किशोर ने आम आदमी पार्टी के लिए रणनीति बनाने के जिम्मेदारी संभाली. इसी के बाद पीके और पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ नीतीश कुमार से भी दूरी बढ़ने लगी. 29 जनवरी 2020 को नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को जदयू से बाहर कर दिया.

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कांग्रेस में सुधार पर प्रजेंटेशन देकर सुर्खियों में चल रहे

प्रशांत किशोर को पंजाब में भी कांग्रेस चुनावी अभियान में लगाना चाहती थी, मगर तब बात नहीं बन सकी थी. हाल ही में पांच राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद एक बार फिर पार्टी में जी-23 ग्रुप सक्रिय हुआ और संगठन में सुधार की मांग जोर पकड़ने लगी. इसी बीच, पार्टी की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी और प्रशांत किशोर के बीच संगठन में सुधारों को लेकर चर्चा हुई. हाल ही में प्रशांत किशोर ने 2024 के आम चुनाव को लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के सामने एक प्रजेंटेशन दिया था. 

कांग्रेस को सामूहिक दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत

इसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक समिति बनाई थी. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी. माना जा रहा था प्रशांत किशोर जल्द ही कांग्रेस जॉइन करने जा रहे हैं. अब प्रशांत किशोर ने जो ट्वीट किया, उसमें लिखा- मैंने इंपावर्ड एक्शन ग्रुप (EAG) के हिस्से के तौर पर पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदार संभालने की कांग्रेस की पेशकश को अस्वीकार कर दिया है. संगठन से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के लिए पार्टी को मुझसे ज्यादा नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. 

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PK ने मोदी और नीतीश के लिए बनाई थी चुनावी रणनीति

प्रशांत किशोर ने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम किया था, जिसके बाद सुर्खियों में आए थे. बीजेपी की 2014 के जीत में पीके की अहम भूमिका रही. लेकिन नरेंद्र मोदी के पीएम बनते ही बीजेपी के साथ उनके रिश्ते बिगड़ गए. इसके बाद बिहार चुनाव के दौरान जेडीयू के करीब आ गए. 2015 के बाद सक्रिय रूप से सियासत में कदम रखा. सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को जदयू में शामिल किया था. बिहार में नीतीश की साल 2015 की जीत के पीछे प्रशांत किशोर को रणनीति को श्रेय दिया गया था. उन्हें सीएम मेकर से सम्मानित तक किया गया था.

यूएन में नौकरी करते थे प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर का बिहार के बक्सर जिले में साल 1977 में जन्म हुआ था. वो अफ्रीका से संयुक्त राष्ट्र (UN) की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए थे. वो वहां सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े अभियान में नौकरी करते थे. भारत आने पर चुनावी रणनीतिकार के तौर पर करियर की शुरुआत की. साल 2011 में वो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम से जुड़े थे. उन्हें मोदी के प्रचार की कमान दी गई थी. प्रशांत ने मोदी की पॉलिटिकल ब्रांडिंग का कार्य किया. जिसके बाद किशोर ने 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के अभियान को मोदी लहर में तब्दील करने में अहम भूमिका निभाई. 

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वाईएसआर कांग्रेस के लिए भी काम किया

फिर साल 2014 में भाजपा को छोड़कर प्रशांत किशोर 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार- लालू यादव के महागठबंधन से जुड़ गए. फिर साल 2017 में वह वाईएसआर कांग्रेस से जुड़े. चुनाव के दौरान नीतीश कुमार के प्रचार अभियान में 'बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है' नारा पीके ने ही दिया था. यह नारा काफी चर्चा में रहा. इसके अलावा हर घर दस्तक नारा भी उन्होंने दिया था. 

कैप्टन के लिए भी ब्रांडिंग की थी, कांग्रेस की मुखालफत भी की

इसके साथ प्रशांत किशोर 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के पंजाब और उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान से जुड़ें. कैप्टन अमरिंदर सिंह के 'कॉफी विद कैप्टन' और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (तब उपाध्यक्ष थे) की किसान यात्रा और 'खाट सभा' की रूप रेखा भी तैयार की. किशोर के किसी भी दल के साथ काम करने की पहली शर्त यह होती है कि वे उस नेता के घर से ही अपने दफ्तर का संचालन करते हैं. लेकिन कांग्रेस में यह संभव न हो सका. प्रशांत किशोर की कांग्रेस की रणनीति में दखल कई कांग्रेसी पचा नहीं पाए और खुले तौर पर इसकी मुखालफत की.

घर में पत्नी और पिता डॉक्टर और एक बच्चा

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प्रशांत किशोर के पिता बिहार सरकार में डॉक्टर हैं और मां हाउस वाइफ. प्रशांत की पत्नी जाह्नवी दास असम के गुवाहाटी जिले में डॉक्टर हैं. प्रशांत किशोर और जाह्नवी का एक बेटा है. 

 

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