scorecardresearch
 

बिहार : जातीय जनगणना पर BJP नेताओं ने क्यों लिया यूटर्न?

बिहार में बीजेपी नेता जहां पहले जातीय जनगणना का विरोध करते थे. वहीं अब अचानक इस पर यूटर्न ले लिया है.

Advertisement
X
गिरिराज सिंह ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा है. (फाइल फोटो)
गिरिराज सिंह ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा है. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार में जातीय जनगणना की तैयारी
  • BJP नेताओं ने बदले सुर

बिहार में जातीय जनगणना को नीतीश कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब प्रस्ताव और मसौदे तैयार हो रहे हैं. किन नियमों और कौन से संसाधनों से जनगणना होगी, उसकी चर्चा शुरू है. इसी बीच राज्य में जेडीयू की सहयोगी और एनडीए के मुख्य घटक दल बीजेपी नेताओं के बयान भी लगातार आ रहे हैं. सवाल ये है कि अभी तक जातीय जनगणना को सियासी नजरिए से बेकार बनाने वाले कुछ नेताओं ने इस पर यूटर्न कैसे ले लिया है?   

Advertisement

सबसे पहले बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह के बयान को देखते हैं. गिरिराज सिंह ने जातीय जनगणना के बीच एक ऐसी मांग रख दी है जिसके बाद से बिहार की सियासत में एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जातीय जनगणना का समर्थन तो किया है. वहीं दूसरी ओर ये भी मांग रखी है कि अल्पसंख्यकों यानी मुस्लिम समुदाय की भी जातीय जनगणना की जानी चाहिए.  

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री के द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक एवं उस बैठक में लिए गए निर्णय का हम स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के द्वारा आज तक तुष्टिकरण की राजनीति की गई है. जिसका परिणाम यह हुआ कि हिंदुओं में कई विभाजन हुए और लोग विभिन्न जातियों में बंट गए.

Advertisement

गिरिराज ने कहा कि आज भी कांग्रेस के द्वारा तुष्टिकरण की राजनीति की जा रही है. खास समुदाय के लिए विशेष राजनीति करने का प्रयास किया जा रहा है. जबकि ये बात साबित हो चुकी है की बांग्लादेशी मुसलमानों ने अवैध ढंग से भारत की नागरिकता प्राप्त की एवं मतदाता सूची में भी उनका नाम दर्ज हुआ. सबसे पहले सर्वेक्षण करके वैसे नामों का को मतदाता सूची से हटा कर भारत की नागरिकता खत्म करनी चाहिए.

गिरिराज सिंह का साफ इशारा है कि बिहार के सीमांचल में अवैध नागरिकता के जरिए बसे मुसलमानों पर भी सबसे पहले ध्यान होना चाहिए. सबसे पहले उनका सर्वेक्षण हो और उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाकर उन्हें देश से बाहर किया जाए.
 
वहीं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया है और कहा है कि बिहार सरकार को कर्नाटक और तेलंगाना टीम भेजकर अध्ययन कराना चाहिए कि इन दोनों राज्यों ने किस प्रकार जातीय गणना कराई थी. साथ ही इस बात का भी अध्ययन कराना चाहिए कि 2011 की सामाजिक, आर्थिक, जातीय गणना में क्या त्रुटियां थी कि केंद्र सरकार जाति के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं करा पाई.

सुशील मोदी ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने जातीय गणना तो कराई परंतु 7 वर्ष हो गए. आज तक आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं कर पाई. कुछ जातियों की संख्या काफी कम पाई गयी और उनके विरोध के डर से कोई भी सरकार जातीय आंकड़े प्रकाशित नहीं कर सकी. तेलंगाना ने 2014 में 'समग्र कुटुंब सर्वे' के नाम से जातीय गणना करायी जिसमें एक ही दिन में पूरे सरकारी तंत्र ने सर्वे का काम पूरा किया. इस सर्वे में 75 सामाजिक, आर्थिक मुद्दों पर सर्वेक्षण किया गया था. सुशील मोदी ने नीतीश सरकार से अपील करते हुए कहा कि उपरोक्त तीनों सर्वेक्षण का पूरा अध्ययन किया जाए ताकि वो गलतियां बिहार में नहीं दोहराई जाए.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement