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दक्षिण के प्रेम से उत्तर का गेम बिगड़ने का डर! जानें- सनातन विवाद पर कांग्रेस ने क्यों बदला रुख

भारत में सनातन धर्म को मानने वाले 109 करोड़ लोग हैं. बयान दक्षिण की राजनीति में अपना वोटबैंक दुरुस्त करने की चाहत रखने वाले डीएमके नेता देते हैं. लेकिन इस पर सवाल उत्तर में सोनिया गांधी-राहुल गांधी से पूछा जाता है कि क्या यही INDIA गठबंधन की विचारधारा है.

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दक्षिण के नेताओं के बयान पर कांग्रेस ने यू-टर्न ले लिया है
दक्षिण के नेताओं के बयान पर कांग्रेस ने यू-टर्न ले लिया है

2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. इससे पहले सनातन, तिलक, भारत, इंडिया और हिंदू को लेकर विवाद पैदा हो गया है. विपक्षी गठबंधन INDIA की ओर से इस मामले पर जमकर बयानबाजी  की गई, लेकिन लेकिन 96 घंटे में कांग्रेस को यू-टर्न लेना पड़ गया है. पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू, कोरोना, मलेरिया से करते हुए इसे खत्म करने की बात कही, अब डीएमके सांसद ए राजा ने सनातन धर्म को एचआईवी और कुष्ठ रोग बताया है. इसके बाद बीजेपी आक्रामक हो गई. प्रधानमंत्री तक ने सनातन के मुद्दे पर सही से जवाब देने की सलाह दी.

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डीएमके नेता के बयान पर कांग्रेस का स्टैंड ढुलमुल रहा. लेकिन ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, संजय राउत, राम गोपाल यादव ने खुलकर विरोध किया. बीजेपी और आक्रामक हुई और सनातन के खिलाफ डीएमके के बयान पर राहुल, सोनिया से सफाई मांगी. अब कांग्रेस ने भी डीएमके नेताओं के बयान पर किनारा कर लिया है. 

दक्षिण के नेताओं के बयान पर उत्तर के नेताओं से सवाल

भारत में सनातन धर्म को मानने वाले 109 करोड़ लोग हैं. बयान दक्षिण की राजनीति में अपना वोटबैंक दुरुस्त करने की चाहत रखने वाले डीएमके नेता देते हैं. लेकिन इस पर सवाल उत्तर में सोनिया गांधी-राहुल गांधी से पूछा जाता है कि क्या यही INDIA गठबंधन की विचारधारा है. सवाल कांग्रेस के गले आया तो आवाज 96 घंटे में बदल गई. सोमवार को केसी वेगुणगोपाल सभी को अपनी बात कहने की आजादी बताते हैं, लेकिन गुरुवार को पवन खेड़ा डीएमके के बयान पर असमहति जताते हैं. पवन खेड़ा ने कहा कि हम ऐसी टिप्पणी के साथ नहीं हैं. हम ऐसी टिप्पणी से सहमत नहीं हैं. 

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इन मुद्दों पर विवाद के बाद कांग्रेस ने लिया यूटर्न

कांग्रेस के यू टर्न की पहली वजह मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ का चुनाव है. जहां शिवराज सिंह अब सभाओं में घूम घूमकर कांग्रेस से ही सवाल कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस नेता कमलनाथ को अंदाजा है कि इससे नुकसान होता, इसीलिए जो बात कांग्रेस अब दिल्ली में कह रही है. कमलनाथ ने पहले ही साफ कह दिया था. 

कांग्रेस के यू टर्न की दूसरी वजह 

उत्तर के राज्यों में बीजेपी के साथ बहुसंख्यक वोट चुंबक की तरह चिपका हुआ है. वहीं, मुंबई में पिछले हफ्ते INDIA गठबंधन की तीसरी बैठक हुई थी. जल्द सीट शेयरिंग को लेकर उत्साहित कांग्रेस को शायद ये अंदाजा थोड़ी देर बाद लगा कि दक्षिण के प्रेम में उत्तर का गेम बिगड़ सकता है. 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने 52 सीटें जीतीं. इसमें 28 सीटें तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना से आईं. जहां कुल सीट हैं.

 2019 में बीजेपी को इन राज्यों से कितने वोट मिले?

जबकि 2019 में ही बीजेपी को असम, गुजरात, दिल्ली, बिहार, झारखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बंगाल में 57 फीसदी से लेकर 70 फीसदी तक हिंदू वोट एकजुट होकर मिला. जहां से लोकसभा की 296 सीटों का चुनाव होता है. यानी कांग्रेस को ये समझ आया कि सहयोगी दल के बयान पर सफाई उन्हीं से मांगी जाएगी. लिहाजा खुद को इससे अलग नहीं किया तो देश के उत्तर भाग की 296 सीटों पर सफाई देना कठिन हो जाएगा.

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2003 में सनातन धर्म को हिंदुत्ववाद और राष्ट्रवाद के बराबर बताया

2003 में RSS की फ़ैसला लेने वाली सबसे बड़ी इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने एक प्रस्ताव पास कर सनातन धर्म को हिंदुत्ववाद और राष्ट्रवाद के बराबर बताया था. उसी सनातन धर्म का एक प्रतीक तिलक है. जो हिंदू धर्म के नागरिक माथे पर लगाते हैं, इसी तिलक का नाम लेकर नया विवाद बिहार में उठा है.

DMK का विवाद बिहार में RJD ने बढ़ाया 

क्या सनातन, तिलक और हिंदू इन्हीं तीनों के इर्द-गिर्द एक सधी हुई राजनीति की लकीर विपक्ष बीजेपी के खिलाफ खींचना चाह रहा है. जहां दक्षिण में डीएमके नेताओं के बयान से शुरू हुआ विवाद अब उत्तर में लालू प्रसाद यादव की पार्टी के नेताओं ने आगे बढ़ाया है. RJD प्रमुख जगदानंद सिंह पर आरोप है कि उन्होंने सनातन वाली सियासत में विवाद को आगे बढ़ाने के लिए प्रतीक के तौर पर तिलक को चुना है. तिलक यानी जो हिंदू धर्म मानने वाले माथे पर लगाते हैं. जगदानंद सिंह का कहना है कि देश मंदिर बनाओ या मस्जिद तोड़ो अभियान से नहीं चलेगा... देश में हिंदू मुस्लिम को बांटने से काम नहीं चलेगा. आरजेडी के ही एक कार्यक्रम में जगदानंद सिंह ने आरोप लगाया कि तिलक लगाने वालों ने ही देश को गुलाम बनाया. और लगे हाथ पूछा भी, देश गुलाम किस समय हुआ? क्या उस समय कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद और राम मनोहर लोहिया जैसे नेता थे?

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