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क्या इंदिरा गांधी की तरह कानूनी कार्रवाई को राजनीतिक हथियार बना पाएंगे राहुल और प्रियंका?

नेशनल हेराल्ड केस में 8 साल बाद गांधी परिवार कानून और कचहरी के फंदे में नजर आ रहा है. विपक्ष में रहने पर कई बार ऐसे हालात पैदा हुए कि गांधी नेहरू परिवार के लिए कठिन परिस्थितियां आईं. ऐसे वक्त में उन्होंने कुशल राजनीति का परिचय देते हुए ऐसी कार्रवाई और अदालतों के मामलों का इस्तेमाल इस तरह से किया कि उनकी राजनीतिक रूप से वापसी हुई.

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राहुल गांधी और प्रियंका गांधी
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नेशनल हेराल्ड केस में ईडी का राहुल-सोनिया को समन
  • 1977-78 में इंदिरा गांधी ने कानूनी कार्रवाई को बनाया था हथियार

नेशनल हेराल्ड केस की जांच अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी से पूछताछ तक पहुंच गई है. ईडी की इस कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस ने देश के अलग-अलग हिस्सों में  'सत्याग्रह' किया. अगर हम अतीत को देखें, तो पता चलेगा कि कांग्रेस को ऐसे और अभियानों की जरूरत है. 

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अभी नेशनल हेराल्ड केस में नेहरू गांधी परिवार के किसी सदस्य की गिरफ्तारी की संभावना नहीं है. हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय की कार्यशैली से परिचित लोगों के मुताबिक, आने वाले समय में ऐसी किसी संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता. 

नेशनल हेराल्ड केस में 8 साल बाद गांधी परिवार कानून और कचहरी के फंदे में नजर आ रहा है. विपक्ष में रहने पर कई बार ऐसे हालात पैदा हुए कि गांधी नेहरू परिवार के लिए कठिन परिस्थितियां आईं. ऐसे वक्त में उन्होंने कुशल राजनीति का परिचय देते हुए कानूनी कार्रवाई और अदालतों के मामलों का इस्तेमाल इस तरह से किया कि उनकी राजनीतिक रूप से वापसी हुई. 

जब इंदिरा ने अपनी गिरफ्तारी को बनाया राजनीतिक हथियार

मौजूदा हालात 3 अक्टूबर 1977 की याद दिला रहे हैं. उस वक्त इंदिरा गांधी पर कार्रवाई हुई थी. इसके बाद 1978 के बाद संजय गांधी को 5-6 बार अदालतों का चक्कर लगाना पड़ा. जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इंदिरा गांधी ने अपने खिलाफ हुई कार्रवाई का इस्तेमाल माहौल बनाने में किया और जनता को अपने पक्ष में किया. 

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ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी अपनी दादी के कौशल को दोहरा सकते हैं. क्या वे 2024 में करिश्मा दिखाकर नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं. लेकिन पार्टी के ज्यादातर नेता निजी तौर पर ये नहीं मानते. 

जब इंदिरा गांधी के घर पहुंची सीबीआई

सोनिया गांधी अभी सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती हैं. 3 अक्टूबर 1977 को वे अपनी सास इंदिरा गांधी के लिए चाय बना रही थीं. शाम करीब 5 बजे सीबीआई अफसर एनके सिंह ने दरवाजा खटखटाया. उन्होंने इंदिरा को गिरफ्तारी के बारे में बताया. इंदिरा गांधी ने एनके सिंह से कहा कि उन्हें हथकड़ी लगाकर ले जाया जाए. इंदिरा ने कहा, जब तक उन्हें हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी, वे नहीं जाएंगी. सोनिया गांधी ये सब देख रही थीं. 

उधर, संजय गांधी ने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को इकट्ठा होने के लिए कहा. आरके धवन ने स्थानीय मीडिया को फोन किया. सूर्या मैगजीन के एक रिपोर्टर ने बताया था कि उन्हें मेनका गांधी की ओर से फोन आया था और इंदिरा के घर पहुंचने के लिए कहा गया था. देखते ही देखते इंदिरा के घर के बाहर उनके समर्थकों को हुजूम उमड़ पड़ा. इस दौरान जमकर नारेबाजी और हंगामा हुआ. 

जब तक बड़ी संख्या में मीडिया नहीं पहुंची, तब तक इंदिरा अपनी गिरफ्तारी में देरी करती रहीं. उन्होंने पूछा कि अरेस्ट वारंट कहां है, एफआईआर की कॉपी कहां है. जब सीबीआई की टीम ये सब दस्तावेज दिखाने में संघर्ष करती दिख रही थी, तभी इंदिरा के वकील फ्रेंक एंटोनी ने पूछा कि क्या यही चरण सिंह का नया कानून है. चरण सिंह तब केंद्रीय गृह मंत्री थे. वहीं, इंदिरा हथकड़ी लगाने की जिद पर अड़ी थीं. बाद में इंदिरा गांधी बाहर आ गईं. 

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1978 में जब जेल गईं इंदिरा गांधी

बाद में इंदिरा गांधी दिसंबर 1978 में जेल गईं. उस वक्त देसाई सरकार ने स्पेशल कोर्ट बनाने के लिए कानून बनाया था. इंदिरा को गिरफ्तार किया गया. इसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल ले जाया गया. यहां उन्हें उसी बैरक में रखा गया, जहां इमरजेंसी के वक्त जॉर्ज फर्नांडिस को रखा गया था. उस वक्त सोनिया गांधी इंदिरा के लिए दिन में तीन बार घर से खाना लेकर आती थीं. 

लेकिन अब सवाल उठ रहा है क्या कांग्रेस नेशनल हेराल्ड केस का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ लेने के लिए कर सकती है. हालांकि, 1977-79, 2022 नहीं है. न ही सोनिया गांधी इंदिरा गांधी हैं. जब शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने उनके विदेशी मूल के होने का मुद्दा उठाया था, तब सोनिया गांधी ने कहा था कि वे जवाहर लाल नेहरू की बेटी नहीं हैं. 

संजय गांधी- नरसिम्हा राव नहीं कर पाए इस्तेमाल

यह भी याद रखने वाली बात है कि जहां इंदिरा ने सहानुभूति और राजनीतिक वापसी के लिए अपनी गिरफ्तारी का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया, वहीं उनके बेटे संजय ऐसा नहीं कर पाए थे. 1978 में संजय गांधी एक महीने के लिए जेल गए थे. 1979 में भी वे कई बार जेल गए. उन्होंने दिल्ली, देहरादून और बरेली जेल में समय काटा. किस्सा कुर्सी फिल्म को लेकर संजय गांधी को दो साल की सजा हुई थी. हालांकि, बाद में संजय को बेल मिल गई. इस दौरान कांग्रेसियों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था. वहीं, जब पीवी नरसिम्हा राव, जो कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और पूर्व पीएम थे, जब वे कानून के लपेटे में आए, तो उन्हें जनता से न सहानुभूति मिली न ही कोई राजनीतिक लाभ मिला. 

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